अनिल कुमार द्विवेदी
‘मौलाना साहब, जन्नत में कौन से लोग जाएंगे, हिन्दू या क्रिस्चियन ?
मौलाना गुस्से में बोले – केवल मुसलमान
मैंने मौलाना से पूछा – जी, कौन से मुसलमान, शिया या सुन्नी ?
मौलाना तुरन्त बोल पड़े – बेशक सुन्नी, जनाब
मैंने मौलाना से पूछा – जी सुन्नी में तो 2 वर्ग है, उनमें से कौन ? मुकल्लिद या गैर-मुकल्लिद ?
मौलाना तुरन्त बोल उठे – केवल मुकल्लिद जाएंगें !
मैंने फिर पूछ लिया – जी, मुकल्लिद में तो चार हैं, उनमें से से जन्नत कौन जाएगा ?
मौलाना बड़े इत्मीनान से बोले – महज हनफी और कौन ?
फिर मैंने मौलाना से पूछ लिया – जी, पर हनफी में तो – देबबंदी और बरेलवी दोनों हैं, फिर उनमें से कौन जन्नत जाएगा ?
मौलाना ने छूटते ही जबाब दिया.- भाई मेरे, केवल देबबंदी ही जन्नत जाने के हकदार होते हैं।
मैंने कहा – बहुत शुक्रिया, परन्तु मौलाना साहब, देबबंदी में भी तो 2 होते हैं, हयाती और ममाती दोनों हैं, तो उन दोनों में से कौन जन्नत जाएगा हुजूर ?
इसके बाद मौलानासाहब गायब हो गये, वो दोबारा दिखे ही नहीं !!
पता नहीं कितना सही है लेकिन जात पात और फिरका परस्ती तो इस्लाम में भी है इतना जनता हूं.
- अनिल कुमार द्विवेदी