अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

जलता सवाल : जवान होने के लिए क्या करें ‘नौजवान बूढ़े’ !

Share

 अमृता शर्मा (कोलकाता)

      _आज के नवजवान और जवान बूढ़ो से भी बदतर है. उनका न कोई मानवीय ऐम है, न सामाजिक सरोकार और न ही आत्मविकास का लक्ष्य. यौनशक्ति तक के मामले में ज़ीरो._

             आप इस कटेगरी में हैं और अगर जवान होना है, तो जिंदगी को उसको सामने से पकड़ लेना पड़ेगा। एक-एक क्षण जिंदगी भागी चली जा रही है, उसे मुट्ठी में पकड़ लेना पड़ेगा, उसे जीने की पूरी चेष्टा करनी पड?गी। और जी केवल वे ही सकते हैं, जो उसमें रस का दर्शन करते हैं।

वहां दोनों चीजें हैं जिंदगी के रास्ते पर–कांटे भी हैं और फूल भी। जिन्हें बूढ़ा होना हो वे कांटों की गिनती कर लें। जिन्हें जवान होना हो वे फूलों को गिन लें।

     _करोड़-करोड़ कांटे भी फूल की एक पंखुड़ी के मुकाबले क्या हैं? एक गुलाब के फूल की छोटी सी पंखुड़ी इतना बड़ा मिरेकल है, इतना बड़ा चमत्कार है कि करोड़ों कांटे भी इकट्ठे कर लो, उससे क्या सिद्ध होता है? उससे कुछ भी सिद्ध नहीं होता। उससे सिर्फ इतना ही सिद्ध होता है कि बड़ी अदभुत है यह दुनिया, जहां इतने कांटे हैं वहां भी मखमल जैसा गुलाब का फूल पैदा हो सकता है। उससे सिर्फ इतना सिद्ध होता है, और कुछ भी सिद्ध नहीं होता।_

   लेकिन यह देखने की दृष्टि पर निर्भर है कि हम कैसे देखते हैं।

पहली बात, जिंदगी पर ध्यान चाहिए–मेडिटेशन ऑन लाइफ–मौत पर नहीं। तो आदमी जवान से जवान होता चला जाता है। बुढ़ापे के अंतिम क्षण तक मौत के द्वार पर खड़ा होकर भी वैसा आदमी जवान होता है। दूसरी बात, जो आदमी जीवन में सुंदर को देखता है, जो आदमी जवान है, वह आदमी असुंदर को मिटाने के लिए लड़ता भी है।

      _जवानी फिर देखती नहीं, जवानी लड़ती भी है। जवानी स्पेक्टेटर नहीं है, जवानी तमाशबीन नहीं है कि तमाशा देख रहे हैं खड़े होकर। जवानी का मतलब है जीना, तमाशगिरी नहीं। जवानी का मतलब है सृजन। जवानी का मतलब है सम्मिलित होना।_

        तो पार्टिसिपेशन दूसरा सूत्र है। खड़े होकर रास्ते के किनारे अगर देखते हो जवानी की यात्रा को, जीवन की यात्रा को, तो तुम तमाशबीन हो, तुम जवान नहीं हो; पैसिव ऑनलुकर, एक निष्क्रिय देखने वाले। निष्क्रिय देखने वाला आदमी जवान नहीं हो सकता। जवान सम्मिलित होता है जीवन में।

       _और जिस आदमी को सौंदर्य से प्रेम है, जिस आदमी को जीवन के रस और आनंद से प्रेम है, जिस आदमी को जीवन का आह्लाद है, वह जीवन को आह्लादित बनाने के लिए श्रम करता है, सुंदर बनाने के लिए श्रम करता है। वह जीवन की कुरूपता से लड़ता है, वह जीवन को कुरूप करने वालों के खिलाफ विद्रोह करता है। कितनी अग्लीनेस है! कितनी कुरूपता है समाज में और जिंदगी में!_

       अगर आपको प्रेम है सौंदर्य से, तो एक युवक एक सुंदर लड़की की तस्वीर लेकर बैठ जाए और पूजा करने लगे, एक युवती एक सुंदर युवक की तस्वीर लेकर बैठ जाए और कविताएं करने लगे, इतने से जवानी का काम पूरा नहीं हो जाता।

सौंदर्य के प्रेम का मतलब है: सौंदर्य को पैदा करो, क्रिएट करो; जिंदगी को सुंदर बनाओ। आनंद की उपलब्धि और आनंद की आकांक्षा का अर्थ है: आनंद को बिखराओ।

       _फूलों को चाहते हो तो फूलों को पैदा करने की चेष्टा में संलग्न हो जाओ। जैसा चाहते हो जिंदगी को वैसा जिंदगी को बनाओ। जवानी मांग करती है कि कुछ करो, खड़े होकर देखते मत रहो।_

    {चेतना विकास मिशन)

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें