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 भावुक हुए शिंदे…किसकी तरफ जाएंगे शिवसैनिक?

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महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरेको जब इस बात का एहसास हो गया कि उनके हाथ से न केवल सत्ता जाने वाली बल्कि पार्टी को लेकर भी संकट है, उसके बाद वो राजनीति की इमोशनल पिच पर बैटिंग करते नजर आए। उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र की जनता खासकर शिवसैनिकों को यह बताने पूरी कोशिश करते रहे कि उन्हें इस पद का कोई मोह नहीं है। उन्होंने कहा कि वो सीएम पद के लिए भी पहले राजी नहीं थे लेकिन बाद में वो कांग्रेस व एनसीपी के कहने पर इसके लिए राजी हुए। उद्धव ठाकरे को पता था कि सरकार तो जा रही है लेकिन आगे जो संकट है वो इससे कहीं बड़ा है । इस पूरे बात को ध्यान में रखकर वो भावुक अपील कर रहे थे। सोमवार, आज एकनाथ शिंदे भी उसी पिच पर बैटिंग करते नजर आए जिस पर अब तक उद्धव बैटिंग कर रहे थे।

हम बालासाहेब के शिवसैनिक हैं
महाराष्ट्र विधानसभा में बहुमत हासिल करने के बाद सीएम एकनाथ शिंदे ने बालासाहेब ठाकरे के प्रति निष्ठा दिखाते हुए कहा कि हम शिवसैनिक हैं। हम शिवसैनिक हैं और हमेशा बालासाहेब और आनंद दीघे के शिवसैनिक रहेंगे। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सोमवार को राज्य विधानसभा में शक्ति परीक्षण में जीत हासिल कर ली। 288 सदस्यीय सदन में 164 विधायकों ने विश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जबकि 99 विधायकों ने इसके खिलाफ मतदान किया। शक्ति परीक्षण से पहले ठाकरे के खेमे से शिवसेना के एक और विधायक संतोष बांगर शिंदे खेमे में चले गए। इसके साथ ही शिंदे गुट में पार्टी के विधायकों की संख्या 40 हो गई है।

उन्होंने कहा कि मेरे सीएम बनने से बालासाहेब ठाकरे का सपना पूरा हुआ है। यही नहीं उन्होंने उद्धव ठाकरे गुट पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि विधान परिषद के चुनाव के दौरान मुझसे बदसलूकी हुई। शिंदे ने कहा कि मुझे बालासाहेब ठाकरे ने अन्याय से लड़ने का सबक दिया था उसी के अनुसार मैं अपने मिशन पर निकल गया। एकनाथ शिंदे ने कहा कि मैं आप सभी को याद दिलाना चाहता हूं कि वह कौन था जिसने बाला साहब के मतदान पर 6 साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया था।

मेरे परिवार पर हमला किया गया.. भावुक हुए शिंदे

विश्‍वासमत हासिल करने के बाद अपने संबोधन में एकनाथ शिंदे ने कहा कि मेरे परिवार पर हमला किया गया। मेरे पिता जीवित हैं, मेरी मां की मृत्यु हो गई। मैं अपने परिवार को ज्यादा समय नहीं दे पाता था। मेरे दो बच्चों की मौत हो गई। तब आनंद दीघे ने मुझे सांत्वना दी और मेरा समर्थन किया। मैं सोचता था, जीने के लिए क्या है। अपने बच्‍चों को याद करके उनकी आंखे भर आईं। वे लगभग 22 साल पुरानी घटना को याद करके इमोशनल हो गए। तब उनकी आंखों के सामने बेटे दीपेश और बेटी शुभदा की नदी में डूबकर मौत हो गई थी।

उन्होंने यह भी खुलासा किया कि उन्हें एमवीए सरकार में शुरू में सीएम बनाया जाना था। लेकिन बाद में अजित पवार या किसी ने कहा कि उन्हें सीएम नहीं बनाया जाना चाहिए। शिंदे ने कहा क‍ि मुझे कोई समस्या नहीं थी और मैंने उद्धव ठाकरे को आगे बढ़ने के लिए कहा और मैं उनके साथ था। मैंने उस पोस्ट पर कभी नजर नहीं डाली।

अब लड़ाई पार्टी की, शिवसैनिकों को साथ लाने की कोशिश
उद्धव ठाकरे की कुर्सी जा चुकी है और अब महाराष्ट्र में शिवसेना पर कब्जे को लेकर संघर्ष और तेज होगा। मुख्यमंत्री बनने के बाद एकनाथ शिंदे की स्थिति पहले से अधिक मजबूत हुई है। अधिकांश विधायक पहले ही उनके साथ आ गए हैं। वहीं विधायकों के बाद अब सांसदों के भी बागी होने की संभावना है। पार्टी के कुछ सांसद पहले ही बगावत का मूड बना चुके हैं। विधायकों के बाद यदि सांसद पार्टी से टूटते हैं तो एकनाथ शिंदे का पार्टी पर दावा और मजबूत हो सकता है। हालांकि सबको पता है यह लड़ाई लंबी चलने वाली है, इसको ध्यान में रखकर उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे दोनों की कोशिश है कि उनके साथ शिवसैनिक सबसे अधिक दिखे।

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