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जब धर्म को राजनीति में घुसाया जाता है

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अजय असुर

उदयपुर में इंसानियत का कत्ल हुआ वह भी धर्म के नाम पर। हिंसक वारदात करने वाले दोनों शख्स को गिरप्तार कर लिया गया है पर घटना के पीछे की बहुत सारी साजिशें का खुलासा होना बाकी है पर ये खुलासा हो नहीं पाएंगा, क्योंकि शासक वर्ग ने इस घटना को अंजाम दिया पर शासक वर्ग इस घटना के अवसर का फायदा पुरी तरह से उठा नहीं पाया। शासक वर्ग ने पुरी ताकत तो लगाई इस अवसर को भुनाने के लिये पर देश की मेहनतकश जनता ने शासक वर्ग की इस प्लांड योजना को विफल कर दिया।

दरअसल पूंजीवाद जब से संकट में फंसा हुआ है, उसकी राजनीति फेल होती जा रही है तो धर्म को राजनीति में घुसेड़ दे रहा है। भारत क्या समूची दुनिया धर्म के नाम पर हिंसा को बढ़ावा दिया जा रहा है। उदयपुर में यह हिंसा कोई नया नहीं है, धर्म के नाम पर विश्व के किसी ना किसी कोने में ऐसी हिंसक घटनायें आये दिन घटित होती रहती हैं और ये घटनाएं अक्सर तभी घटित होती हैं जब धर्म को राजनीति में घुसा दिया जाता है।

जिन दो शख्स ने दर्जी कन्हैयालाल की नृशंस हत्या की उनमें से एक शख्स रियाज अटारी भाजपा का कार्यकर्ता है। रियाज अटारी भाजपा के बड़े और कद्दावर नेता गुलाब चंद्र कटारिया के कार्यक्रमों में लगातार शामिल होता आया है। उदयपुर के स्थानीय नेता अपने फेसबुक पोस्ट में उसे ‘हमारे कार्यकर्ता रियाज भाई’ कहकर संबोधित करते हैं।’’ एक फोटो में रियाज अटारी भाजपा का गमछा ओढ़े दिख भी रहा है इससे बड़ा भाजपाई होने का क्या सबूत हो सकता है और तो और स्थानीय नेताओं द्वारा ‘हमारे कार्यकर्ता रियाज भाई’ कहकर संबोधित करना साफ-साफ दिखता है कि रियाज अटारी भाजपा का कार्यकर्ता है और प्लांड तरीके से अपने कार्यकर्ता रियाज अटारी से इस घटना को अंजाम दिलवाया गया। 

सोचने वाली बात है कि जिस शख्स के अन्दर इतनी कट्टरता भरी हो वो भाजपा (जो कि मुसलमान विरोधी पार्टी के रूप में जानी जाती है) के कार्यक्रम में शामिल कैसे हो सकता है और भाजपा का चुनाव चिन्ह वाले भगवा गमछे को कैसे अपने शरीर पर डाल फोटो खिंचा अपनी फोटो कैसे वायरल करा सकता है? एक बात और ध्यान दीजिये कि बयानबाजी नुपुर शर्मा ने किया और उसके समर्थन में उदयपुर का एक टेलर सोशल मीडिया पर समर्थन जारी करता है और उस समर्थन कर रहे टेलर कन्हैयालाल का मर्डर कर देते हैं ये दोनों! ये कहकर कि कन्हैयालाल ने मो साहब का अपमान किया है पर असल अपमान तो नुपुर शर्मा ने किया उसको हाथ तक नहीं लगाया, आखिर क्यूँ? क्योंकि ये दोनों भाजपा के ही आदमी हैं और शासक वर्ग की ये प्लांड साजिश थी देश में धर्म के नाम पर दंगे कराने की।

घटना के पीछे की साजिश 

सभी धर्मों में दो वर्ग होते हैं एक शोषक और एक शोषित, एक उत्पीड़क और एक उत्पीड़ित, एक शासक और शासित। सभी धर्मों में धर्म में धर्म के ठेकेदार हैं। क्या कभी आपने सोचा कि हर एक धर्म के ठेकेदार उस धर्म के अमीर यानी शोषक वर्ग के लोग ही क्यों बने हुए हैं? शोषक वर्ग हमेशा अपने फायदे के लिए धर्म का स्वयंभू ठेकेदार बन जाता है। वह उदयपुर जैसी घटना कराने के लिए सीधे-साधे बेरोजगार जनता के दिमाग में धार्मिक कट्टरता भर देता है, इस प्रकार उदयपुर जैसी घटना घट जाती है। फिर उस घटना को शासक वर्ग के हित में कैसे भुनाना है ये धर्म के ठेकेदार अच्छी तरह जानते हैं। गुजरात, हिमांचल प्रदेश में चुनाव इस साल के आखिर तक होने वाला है वहां भी धर्म को कैसे मुद्दा बनाया जा रहा है यह देखना दिलचस्प होगा। अभी से माहौल बना रहें हैं और इसके अलावा इस वक्त महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार… अपनी चरम सीमा पर है। लोगों के जेब में रोटी तक खरीदने के लिये पैसे नहीं क्योंकि उनके पास रोजगार नहीं इसलिये पेट की भूख मिटाने के लिये प्रतिदिन जद्दोजहद करना पड़ रहा है। मेहनतकश जनता इन मुद्दों को लेकर सड़क पर उतरकर विरोध ना करे इसलिये धर्म को राजनीति में घुसेड़ कर मेहनतकश जनता का ध्यान असल मुद्दे से भटकाकर अपने बनाये हुवे नकली मुद्दे थमाकर मेहनतकश जनता को आपस में ही लड़ाकर साजिश रच रहें हैं।

धर्म को राजनीति में घुसेड़ने पर पूरी दुनिया में धर्म के नाम पर हिंसा बढ़ती जा रही है। विशेषकर भारत में गाय, गोबर, गंगा, हिन्दू-मुसलमान के नाम पर लिंचिंग की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। गाय और धर्म के नाम पर माबलिंचिंग कर आदमी की जान ले लेना आम बात होती जा रही है, और धर्म के नाम पर इसे जायज ठहराने की कोशिश हो रही है। ये धर्म के तथाकथित ठेकेदार ऐसी घटनाओं को धर्म के बेअदबी के नाम पर जस्टीफाई कर रहें हैं। मेहनतकश जनता की जान की कोई कीमत नहीं। 

धर्म को जब राजनीति में घुसाया जाता है तो धर्म, धर्म नहीं रह जाता, कभी-कभी तो यह एक वाहियात, गन्दी और घटिया सोच बन जाता है। यह आतंकवाद भी बन जाता है और धर्म के ठेकेदार अपने राजनीतिक फायदे के लिए धर्म का राजनीतिकरण कर उसे आतंकवाद बना देते हैं… धर्म एक निहायत ही निजी मामला है इसको राजनीति में नहीं घसीटना चहिए। धर्म मनुष्य के लिए बना है ना कि मनुष्य धर्म के लिए, और यह बात सभी धर्मों पर लागू होता है…

धर्म के नाम पर ऐसी घटनाओं को अंजाम देकर भारत का शासक वर्ग यह साबित करना चाहता है और हिन्दुओं के दिमाग में ठूंस देना चाहता है कि दरअसल “हम (भाजपा) इस्लामी आतंकवाद से लड़ रहे हैं, उदयपुर की घटना को देखो ये मुस्लिम लोग कितने खतरनाक हैं, कितने कट्टर हैं, कट्टरता इनके खून में है। कितने बेहरमी और निर्मम तरीके से गला रेतकर हत्या कर रहा है, इनता बेरहम मुस्लिम ही हो सकता है। देखो इनके अन्दर कट्टरता भरी पड़ी है।” इस प्रकार वे अपनी साम्प्रदायिक घृणा, हिंसा, मासूमों के खिलाफ अपने बर्बरतापूर्ण हमलों को न्यायसंगत ठहराने की कोशिश कर रहे हैं और इसके बदले में भारत की मेहनतकश जनता से अपने पक्ष में समर्थन मांग रहे हैं। ऐसा सिर्फ भारत में ही नहीं कमोबेश ऐसा ही दुष्प्रचार लगभग हर देश में उस देश के अल्पसंख्यक धर्मों के मामले में करते रहे हैं। जैसे बांग्लादेश और पाकिस्तान में हिन्दू अल्पसंख्यक हैं वंहा हिन्दुओं के खिलाफ ऐसा ही प्रोपोगंडा चलाया जाता है, ऐसे ही अमेरिका आस्ट्रेलिया, जापान, फ्रांस, जर्मनी, श्रीलंका… में अल्पसंख्यकों के खिलाफ प्रोपगंडा चलाकर मेहनतकश जनता के दिमाग में जहर भरा जाता है। यहां भारत में उदयपुर की घटना को लेकर मुस्लिम संप्रदाय को कट्टर दिखा कर शासक वर्ग मुस्लिमों को सबक सिखाने के लिए जनता से वोट/समर्थन मांग रहा है। वह हिन्दूओं-मुसलमानों को दंगों की आग में झोंकने के लिए सारे दंगों-फसादों, माबलिंचिंगों, षडयंत्रों कुकर्मों को तथा अपनी घृणा की राजनीति को जायज ठहराने की कोशिश कर रहा है इस्लामोफोबिया के नाम पर। 

कोई फिल्म तभी दिलचस्प बनती है जब नायक के साथ खलनायक भी हो, दोनों एक-दूसरे के लिए जरूरी होते हैं। ओवैशी बनने के लिये मोदी जरूरी हैं तो मोदी बनने के लिए ओवैशी। दोनों ही एक दूसरे के पूरक हैं। एक के बिना दूसरे का कोई वजूद नहीं। दिलचस्प ये भी है कि दोनों को फाइनेन्स करने वाला पूंजीपति वर्ग, एक ही है। वह पूंजीपतिवर्ग खुद तो गोलबंद है मगर आम जनता को एक होने से रोकता है। जनता में बिखराव का बीज डाल देता है और इसमें खाद पानी डालने के लिए धर्म, जाति, क्षेत्र, भाषा, रंग, नस्ल, भेद…. को आगे कर देता है और मुसलमानों के लिये कभी ओवैसी, कभी आजम खान, कभी डा अयूब… और हिन्दुओं के लिये कभी लाल कृष्ण आडवाणी, कभी अशोक सिंघल, कभी विनय कटियार, कभी मोदी… जैसे शासक वर्ग के दलालों को आगे कर उनका नेता/मसीहा बना देता है। 

असल मुद्दे से जनता का ध्यान हटाने के लिए सभी धर्मों के ठेकेदार मिलकर यह साबित करने लगते हैं कि फलां धर्म में कट्टरता बहुत ज्यादा है। उदयपुर जैसी घटना को लेकर मनुष्य को धर्म के लिए बनाया गया है यह साबित करवा रहें हैं। ताकि एक तरफ आम जनता अपने-अपने धर्म को ऊंचा साबित करने में आपस में लड़ती रहे और देश की मेहनतकश जनता रोजी-रोटी की जगह मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा…. मांगती रहे और दूसरी तरफ शासक वर्ग मेहनतकश जनता का खून चूस कर देश की सम्पदा को लूट कर अपना और अपने सरकार रूपी नुमाइंदे की झोली भरता रहे। 

हमारी भोली-भाली मेहनतकश जनता शासक वर्ग के बहकावे में आकर उन्हीं के मुद्दे में उलझ जाते हैं। असल मुद्दों को ये बनावटी और नकली मुद्दे गौड़ कर देते हैं। अब आप स्वयं देखें महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार रोजी-रोटी… का कोई मुद्दा ही नहीं। जब भी इन मुद्दों पर जनता मिलकर आवाज उठानी शुरू कर देती है तब ये शासक वर्ग द्वारा तैयार धर्म के ठेकेदार शासक वर्ग द्वारा तैयार किया हुआ बनावटी और नया मुद्दा उछाल देते हैं और फिर शासक वर्ग द्वारा थोपे गए मुद्दे के सामने रोजी-रोटी के मुद्दे गौण हो जाते हैं।

साथियों शासक वर्ग के चालों को समझकर हमें मेहनतकश जनता को इनके खिलाफ गोलबन्द कर रोजी-रोटी (महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार…) के असल मुद्दे पर सड़क पर उतरना पड़ेगा।

*अजय असुर*

*राष्ट्रीय जनवादी मोर्चा*

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