पुष्पा गुप्ता
*05 साल में 05 लाख तक की आय करमुक्त नहीं कर पाए जेटली*
इंटरनेट पर उपलब्ध खबरों और सूचनाओं के आधार पर आइए अब देखें कि प्रधानमंत्री ने बजट में आयकर के क्षेत्र में किया क्या है और किसे क्या लाभ हुआ है.
2014 में टैक्स छूट की सीमा बढ़ी. पहले वर्ष 2014 में वित्त वर्ष 2014-15 के लिए पेश बजट में इनकम टैक्स में छूट की सीमा बढ़ाकर 2 लाख रुपये से 2.5 लाख रुपये कर दी गई. वहीं सीनियर सिटीजंस के लिए टैक्स छूट की सीमा बढ़ाकर 3 लाख रुपये की.
होम लोन पर चुकाये जाने वाले ब्याज में इनकम टैक्स डिडजक्शन की लिमिट को 1.5 लाख से बढ़ाकर 2 लाख रुपये कर दिया गया, वहीं इनकम टैक्स के सेक्शन 80सी के तहत मिलने वाली टैक्स छूट को 1 लाख से बढ़ाकर 1.5 लाख कर दिया.
*2015 में वेल्थ टैक्स हटाया*
2015 के बजट मे वेल्थ टैक्स खत्म कर दिया गया और उसके सुपर रिच जिनकी करयोग्य आय 1 करोड़ रुपये से अधिक है, उनपर 2 फीसदी सरचार्ज लगा दिया और सरचार्ज को 10 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया था.
एनपीएस स्कीम के तहत 50,000 रुपये के एडिशनल डिडक्शन की घोषणा की गई. हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर मिलने वाली छूट को 15,000 से बढ़ाकर 25,000 रुपये किया गया था.
*2016 में 80 जी के तहत सौगात*
वर्ष 2016 में पेश आम बजट में मोदी सरकार ने 5 लाख रुपये से कम आमदनी वाले किराये पर रहने वालों को सौगात देते हुए इनकम टैक्स के सेक्शन 80जीजी के तहत टैक्स छूट की सीमा को 24 हजार से बढ़ाकर 60,000 रुपये कर दिया था.
सुपर रिच जिनका टैक्सेबल इनकम 1 करोड़ रुपये से अधिक था, उनपर सरचार्ज को 12 फीसदी से बढ़ाकर 15 फीसदी कर दिया. इसके अलावा जिन लोगों को डिविडेंड के रूप में सालाना 10 लाख रुपये से अधिक मिलते हैं, उन पर 10 फीसदी आईटी टैक्स लगाया गया.
*2017 में टैक्स स्लैब में बदलाव*
वर्ष 2016 में पेश आम बजट में मोदी सरकार ने इनकम टैक्स में बदलाव करते हुए सालाना 3.5 लाख रुपये आमदनी वाले लोगों के लिए टैक्स छूट 5000 रुपये से घटाकर 2500 रुपये कर दिया.
वहीं, 2.5 लाख रुपये से 5 लाख रुपये आमदनी वाले लोगों के लिए इनकम टैक्स रेट के 10 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दी. वहीं, 50 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये सालाना आमदनी वाले लोगों के लिए 10 फीसदी सरचार्ज लगाया गया था.
*2018 में आयकरदाताओं को 5800 रुपये का फायदा*
मोदी सरकार ने 2018 में पेश बजट में ट्रांसपोर्ट अलाउंस और मेडिकल भत्तों में 40,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन पेश किया था वरिष्ठ नागरिकों के लिए मेडिकल खर्च में छूट की सीमा को 30,000 से बढ़ाकर 50,000 रुपये किया गया.
इसके बाद 3 फीसदी एजुकेशन सेस को 4 फीसदी हेल्थ एंड एजुकेशन सेस से बदल दिया गया.
2014 से 2018 तक अरुण जेटली ने पाच बजट पेश किए थे. तब नवभारत टाइम्स डॉट कॉम पर खबर थी, अरुण जेटली के 5 बजट से आपको क्या-क्या मिला? तब ज़ी न्यूज ने लिखा था, कभी जेटली ने खुद की थी आयकर छूट 5 लाख करने की मांग, लेकिन अधूरा ही रह गया वादा.
हालांकि अब साफ हो चुका है कि इस सरकार के मामले में मांग और वादा अलग चीजें हैं. मांग करने का मतलब यह नहीं है कि मौका मिला तो पूरा कर देंगे. कहने की जरूरत नहीं है कि विपक्ष में रहते हुए पांच लाख रुपए तक आयकर खत्म करने की मांग करने वाले अरुण जेटली (जो भाजपा के काबिल नेताओं में थे भले अर्थशास्त्री नहीं थे और बजट बनाते रहे) खुद पांच साल में 2.50 लाख तक की आय को ही कर मुक्त कर पाए.
*2019 में 5 लाख की आय पर जीरो टैक्स*
2019 में पेश अंतरिम बजट में मोदी सरकार ने इनकम टैक्स की छूट की सीमा को बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दी.
यानी 5 लाख रुपये तक कमाने वाले लोगों को कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा. वहीं सैलरी क्लास के लिए 2019 में स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा को 40,000 से बढ़ाकर 50,000 कियी गया था.
*2020 में नए टैक्स स्लैब की घोषणा*
2020 मे नया पर्सनल इनकम टैक्स रेजीम शुरू करने की घोषणा हुई और डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन स्कीम को खत्म कर दिया गया.
इसके अलावा 15 लाख रुपये तक की आमदनी वाले लोगों के लिए नए टैक्स स्लैब की घोषणा की गई. इसके मुताबिक 5 लाख तक की कमाई वाले लोगों के लिए जीरो टैक्स, 5 से 7.5 लाख पर 10 फीसदी, 7.5 लाख से 10 लाख पर 15 फीसदी और 10 से 12.5 लाख तक कमाने वाले लोगों पर 20 फीसदी टैक्स और 12.5 लाख से 15 लाख की कमाई पर 25 फीसदी आयकर लगाया गया.
*2021 में वरिष्ठ नागरिकों को राहत*
2021 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सीनियर सिटीजन को टैक्स में राहत दी. अब 75 साल से अधिक उम्र वाले पेंशनधारकों को आयकर नहीं भरना होगा. हालांकि, वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि भुगतानकर्ता बैंक जरूरी कर काट लेंगे.
यानी टीडीएस से कटे पैसे वापस लेने के लिए रिटर्न फाइल करना ही पड़ेगा और छूट सिर्फ उनके लिए है जिनकी कमाई ही नहीं है. इसके अलावा टैक्स असेसमेंट की अवधि को कम करके 6 साल से 3 साल किया गया. इससे तीन साल से पुराने आयकर केस नहीं खोले जाएंगे.
*2022 में पूरक शिक्षा का प्रावधान*
महामारी के कारण स्कूलों को बंद कर देने से विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों और अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों तथा अन्य पिछड़े वर्गों के बच्चों की लगभग 2 वर्षों की औपचारिक शिक्षा का नुकसान हुआ है.
इनमें से अधिकतर बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं. वित्त मंत्री ने बताया कि इसे ध्यान में रखते हुए पूरक शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ शिक्षा सुलभ कराने हेतु एक मजबूत व्यवस्था बनाने के लिए ‘पीएम ई-विद्या’ के ‘एक कक्षा-एक टीवी चैनल’ कार्यक्रम का विस्तार 12 टीवी चैनलों से बढ़ाकर 200 टीवी चैनल कर दिया जाएगा और इससे सभी राज्य कक्षा 1 से लेकर कक्षा 12 तक के लिए क्षेत्रीय भाषाओं में पूरक शिक्षा प्रदान करने में सक्षम हो जाएंगे.
(चेतना विकास मिशन)