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महिला अत्याचारों की बढ़ती संख्या से गुस्से में क्यों है मुख्यमंत्री अशोक गहलोत

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एस पी मित्तल,अजमेर

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने महिला अत्याचारों के मामलों में देश भर में राजस्थान को पहले नंबर पर माना है। इनमें सबसे ज्यादा मामले महिलाओं खास कर बच्चियों के साथ बलात्कार के हैं। यह रिपोर्ट पुलिस थानों में दर्ज मुकदमों की संख्या पर आधारित है। एक समय था जब अपराध खास कर महिला अत्याचारों के मामलों में उत्तर प्रदेश और बिहार सबसे ऊपर रहते हैं, लेकिन अब राजस्थान पहले नंबर पर आ गया है। इससे राजस्थान की कानून व्यवस्था की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। लेकिन सच्चाई को स्वीकारने के बजाए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कहना है कि महिला अत्याचारों के 56 प्रतिशत मामले झूठे पाए गए हैं। गहलोत यहीं नहीं रुके, बल्कि कहा कि अधिकांश मामलों में बलात्कार के आरोपी रिश्तेदार ही हैं। यानी सीएम गहलोत पअनी सरकार के बचाव में पीड़ित महिलाओं को ही कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। चूंकि गहलोत के पास ही गृह विभाग भी है, इसलिए वे अपनी पुलिस को भी बचा रहे हैं। गहलोत नहीं चाहते कि महिला अत्याचारों के मामलों में पुलिस की बदनामी हो। गहलोत का तो यहां तक आरोप है कि अपराध के आंकड़ों को आगे रख कर राजस्थान को बदनाम करने की साजिश हो रही है। अब जब विधानसभा चुनाव में डेढ़ वर्ष बचा है, तब मुख्यमंत्री के ऐसे बयान कांग्रेस को कितना फायदा पहुंचाएंगे, यह आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन आम लोगों में मुख्यमंत्री के ऐसे बयानों को महिला विरोधी माना जा हा है। सवाल उठता है कि ताजा आंकड़ों पर गहलोत इतना गुस्सा क्यों दिखा रहे हैं? गहलोत जब विपक्ष में थे, तब अत्याचार की मालूमी सी घटना पर भी सीधे तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को जिम्मेदार ठहराते थे। गहलोत का कहना होता था कि महिला मुख्यमंत्री के होते महिला के साथ बलात्कार की घटनाएं हो रही हैं। गहलोत यहां तक कहते थे कि बलात्कार की घटना पर वसुंधरा राजे को शर्म आनी चाहिए। लेकिन तब वसुंधरा राजे यह कभी नहीं कहा कि बलात्कार के मामले झूठे हैं। जांच में झूठे मुकदमे तो तब भी पाए जाते थे, लेकिन वसुंधरा ने कभी भी इस तरह अपनी सरकार का बचाव नहीं किया। अच्छा हो कि पीड़िताओं को झूठा ठहरने के बजाए महिला अत्याचारों के मामलों को गंभीरता से लिया जाए। जिस बच्ची के साथ रेप होता है, उसका दर्द वह बच्ची और उसका परिवार ही जनता है। रेप के मामलों में पुलिस कैसे जांच करती है, यह सभी को पता है। महिला के अत्याचारों के मामलों में पुलिस को भी अपना आचरण सुधारने की जरूरत है।

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