गोरीशंकर अग्रवाल
अब तो भय्यन मुझे भी विश्वास हो गया
मोर के आंसुओं से मोरनी गर्भवती होती
बतख आक्सीजन छोड़ती है
गाय के गोबर और मुत्र पीने से केंसर ठीक होता है
नाली की गेंस से चाय बनाई है
मगर के बच्चों से खेले हैं
शेर के दांत गिने है
कहाँ तक गिनाऊँ हरी कथा अनंता
ताजा ताजा तो स्कूल की 8 वीं कक्षा की पुस्तक में वर्णन भी छप गया
सावरकर जिस जैल में छेद भी नहीं था
वहां एक बुलबुल आती थी जिसपर बैठकर
सावरकर मातृभूमि के दर्शनों को निकलते थे.
फाड़ डालो सांइस की किताबों को
जिनमें लिखा है पृथ्वी गोल है, मानना होगा चोकोर है
मानना होगा सूर्य प्रथ्वी के चक्कर लगता है .
आज से सब बंद कर दो सिर्फ संघी साहित्य पढो
संघी साहित्य पढेगा जब ही तो विश्व गुरु बनेगा इंडिया
गोरीशंकर अग्रवाल