प्रखर अरोड़ा
_कोरोना महामारी के बाद से देश में कई प्रकार की दवाओं की की बिक्री और खपत काफी बढ़ गई हैं. लेकिन इनमें कई सारी मेडिसिन ऐसी भी हैं, जो लोग बिना डॉक्टरों की सलाह से ले रहे हैं और ये दवाएं कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी भी कर सकती है. इस खतरे को देखते हुए केंद्र सरकार ने कैंसर होने की चिंता को लेकर लोकप्रिय एंटासिड सॉल्ट रैनिटिडिन को आवश्यक दवाओं की सूची से हटा दिया है._
रैनिटिडीन लोकप्रिय रूप से एसीलोक, ज़िनेटैक, और रैंटैक ब्रांड नामों के तहत बेची जाती है, और आमतौर पर पेट दर्द से संबंधित समस्या के लिए इस दवा को लिया जाता है. केंद्र ने कुल 26 दवाओं को इस सूची से हटाया है.
रैनिटिडीन कैंसर से संबंधित चिंताओं के लिए दुनिया भर में जांच के दायरे में है और स्वास्थ्य मंत्रालय ने भारत के औषधि महानियंत्रक और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के साथ इस दवा को आवश्यक स्टॉक से बाहर निकालने के बारे में भी चर्चा की है क्योंकि ये दवाएं स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं.
*रैनिटिडिन से कैंसर*
इस दवा की जांच 2019 से चल रही है जब अमेरिका स्थित खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने दवा में संभावित कैंसर पैदा करने वाले एसिड पाए थे. दवा नियामकों ने रैनिटिडिन युक्त दवाओं के नमूनों में कैंसर पैदा करने वाली अशुद्धता एननाइट्रोसोडिमिथाइलमाइन (एनडीएमए) को पाया गया था. जिससे कैंसर फैलने की आशंका रहती है.
_रैनिटिडिन के अलावा जिन अन्य दवाओं को सूची से हटाया गया है उसके कई प्रकार की गंभीर बीमारियां होने की आशंका है. इनमें कई दवाएं ऐसी भी हैं जिनकी काफी ज्यादा बिक्री होती रही है._
*ये 26 दवाएं हैं :*
1. अल्टेप्लेस
2. एटेनोलोल
3. ब्लीचिंग पाउडर
4. कैप्रोमाइसिन
5. सेट्रिमाइड
6. क्लोरफेनिरामाइन
7. दिलोक्सैनाइड फ्यूरोएट
8. डिमेरकाप्रोलो
9. एरिथ्रोमाइसिन
10. एथिनिल एस्ट्राडियोल
11. एथिनिल एस्ट्राडियोल (ए) नोरेथिस्टरोन (बी)
12. गैनिक्लोविर
13. कनामाइसिन
14. लैमिवुडिन (ए) + नेविरापीन (बी) + स्टावूडीन (सी)
15. लेफ्लुनोमाइड
16. मेथिल्डोपा
17. निकोटिनामाइड
18. पेगीलेटेड इंटरफेरॉन अल्फा 2ए, पेगीलेटेड इंटरफेरॉन अल्फा 2बी
19. पेंटामिडाइन
20. प्रिलोकेन (ए) + लिग्नोकेन (बी)
21. प्रोकार्बाज़िन
22. रैनिटिडीन
23. रिफाब्यूटिन
24. स्टावूडीन (ए) + लैमिवुडिन (बी)
25. सुक्रालफेट
26. सफेद पेट्रोलेटम
*ऎसी दवाएं लेने वाले क्या करें :*
जो लोग रैनिटिडिन जैसी दवाओं का सेवन कर रहे थे उन्हें अब क्या करना चाहिए?
_अपने डॉक्टर से सलाह करके ये बताना है कि वे इन दवाओं का इस्तेमाल कितने समय से कर रहे हैं. इस जानकारी को देने के बाद साल में एक से दो बार कैंसर की जांच कराते रहें. अगर इसके कुछ लक्षण दिख रहे हैं तो इलाज कराएं. इस मामले में लापरवाही न करें. 50 साल से अधिक उम्र वाले इस बात का विशेष ध्यान रखें._
लोगों को अपनी लाइफस्टाइल को ठीक रखना चाहिए. कोशिश करें कि बिना वजह दवाएं न लें. खानपान की आदत को ठीक रखें.
बिना दवा के भी जिंदगी जीना सीखना चाहिए. ऐसा नहीं है कि हर किसी बीमारी के लिए मेडिसिन लें. अगरकिसी बीमारी की दवा चल भी रही है तो कोशिश करें कि उसे बहुत लंबे समय तक न लें. जीवनशैली में बदलाव कप बीमारी को काबू में करने की कोशिश करें.
इसी ग्रुप की एक ओर दवा पैंटोप्राजोल भी है, जिसके सेवन से किडनी खराब होती है, लेकिन ये दवा ओवर दी काउंटर उपलब्ध है. ऐसे में लोग इन्हें खरीदते है और सेवन करते हैं. उन्हें ये जानकारी ही नहीं है कि ये दवा कितनी खतरनाक है और इनकी कितनी डोज लेनी चाहिए.
ऐसे में जरूरी है कि दवाओं के सेवन को लेकर जागरूक रहें और बिना डॉक्टरी सलाह के मेडिसिन का सेवन न करें.
सरकार को चाहिए कि ओवर दी काउंटर उपलब्ध होने वाली सभी मेडिसिन की एक लिस्ट तैयार की जाए और इनके अलावा अन्य दवाएं डॉक्टर के परामर्श के बिना मेडिकल स्टोर पर न मिले.