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घृणा भरे टीवी डिबेट्स से भारतीय सुप्रीम कोर्ट क्षुब्ध !

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निर्मल कुमार शर्मा

 ‘टेलीविजन चैनलों पर बहस बेलगाम हो गई है। नफरती टिप्पणियों पर रोक लगाने की जिम्मेदारी एंकर की है,पर ऐसा नहीं हो रहा है। टीवी न्यूज से फैलने वाली नफरत पर केंद्र सरकार मूकदर्शक क्यों है ? ‘

            ‘आजकल एंकर अपने मेहमानों को बोलने की अनुमति नहीं देते हैं। उन्हें म्यूट कर देते हैं और अभद्र भी हो जाते हैं। यह सब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर हो रहा है। दु ;ख की बात है कि कोई उन्हें जवाबदेह नहीं बना रहा है। ‘

               ‘राजनीतिक दल आएंगे और जाएंगे,पर देश और स्वतंत्र प्रेस की संस्था कायम रहेगी !

आखिर देश किस ओर जा रहा है ? इसे सामान्य मुद्दे के रूप में क्यों ले रहे हैं ? नफरती भाषण देकर देशश के ताने-बाने में जहर घोल रहे हैं,इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती है। हमें सच्ची स्वतंत्रता होनी चाहिए और सरकार को अपना पक्ष स्पष्ट करने के लिए आगे आना चाहिए। ‘

              ‘अभिव्यक्ति की आजादी में दर्शकों का अधिकार भी शामिल हैं,केंद्र की प्रतिक्रिया पर विचार करने के बाद टीवी चैनलों के लिए कुछ दिशानिर्देश तैयार किए जा सकते हैं। केंद्र सरकार को मामले को विरोध के रूप में नहीं लेना चाहिए और इसे कुछ कानून लाने के अवसर के रूप में लेना चाहिए। ‘

                ‘मेन स्ट्रीम मीडिया में कम से कम एंकर की भूमिका काफी अहम है। जैसे ही कोई नफरती टिप्पणी करने की कोशिश करता है तो एंकर का कर्तव्य है कि वह उसे तुरंत रोक दे। पीठ ने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी में दर्शकों का अधिकार भी शामिल है। जब तक संस्थागत व्यवस्था नहीं हो जाती,लोग ऐसे ही चलते रहेंगे। हमारे पास उचित कानूनी ढांचा होना चाहिए। ‘

             ‘निष्पक्ष और तथ्यपूर्ण रिपोर्टिंग कोई समस्या नहीं है। समस्या तब होती है जब ब्रॉडकास्ट, कार्यक्रमों का इस्तेमाल दूसरों को उकसाने के लिए होता है। नफरती भाषण या तो टीवी न्यूज चैनलों के जरिये या फिर सोशल मीडिया के जरिये आ रहा है। ‘

               ‘ यदि मिडिया स्वतंत्र है तो किसी से आदेश नहीं लेना है। मीडिया को संवैधानिक मूल्यों को बढ़ावा देना चाहिए,हर कोई इस गणतंत्र का हिस्सा है। हर कोई इस एक राष्ट्र का है। नफरत फैलाने वाले बयान विभिन्न रूपों में हो सकते हैं। किसी समुदाय के खिलाफ धीमा अभियान चलाना भी इसमें शामिल हो सकता है। ‘

                  ‘विजुअल मीडिया का ‘विनाशकारी ’ प्रभाव हुआ है,क्योंकि नफरती भाषण इस पर ज्यादा होते हैं। समाचार पत्रों में क्या लिखा है, इसकी किसी को परवाह नहीं है क्योंकि लोगों के पास उसे पढ़ने का वक्त ही नहीं है। ‘

                  उक्त सुझाव अभी हाल ही में यहां के अधिकतर निजी टेलीविजन चैनलों पर सांप्रदायिक और जातीय वैमनस्यता भरे डिबेट्स के गिरते स्तर पर बहुत व्यथित होकर इस देश की सर्वोच्च अदालत मतलब भारतीय सुप्रीमकोर्ट ने अभी हाल ही में दिया है !

              सबसे बड़े दु:ख की बात है कि इस देश में टेलीविजन चैनलों की दुनिया से बाहर सभाओं में,रैलियों में और गांव और मुहल्लों के नुक्कड़ों पर भी नफरती और भड़काऊ भाषण देकर दंगे-फसाद कराकर अरबों रूपयों की संपत्ति जलाने के साथ -साथ जिंदा इंसानों को जलाकर,छुरा या तलवार से काटकर उन बेकसूर लोगों की निर्ममता पूर्वक हत्या कर दी जाती है !

               उदाहरणार्थ 23 से 29 फरवरी 2020 तक पूरे 7 दिन तक देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कथित सबसे सुयोग्य,कर्मठ और ईमानदार प्रधानमंत्री श्रीयुत् श्रीमान नरेंद्र दास दामोदरदास मोदीजी के दिल्ली में उपस्थित रहते दंगे करवाकर मौत का नंगा नाच करवाने में बीजेपी के तीन युवा नेता क्रमशः कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा ने अपनी बुरी नीयत की सक्रिय भूमिका निभाई ! जिसमें अधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार 53निरपराध लोग मौत के घाट उतार दिए गए ! जिनमें दो तिहाई मुसलमान लोग थे ! 

             अनुराग ठाकुर नामक एक बीजेपी का एक दरिंदा नेता जो आजकल श्रीमान नरेंद्र मोदी जी द्वारा अपने मंत्रीमंडल में सूचना और प्रसारण मंत्री के पद पर बेशर्मी से बैठा दिया गया है,ने 27 जनवरी 2020 को रिठाला की एक जनसभा में मुसलमानों को टारगेट करते हुए हिन्दू उग्रवादी संगठनों के अधकचरे ज्ञान वाले युवकों को उत्तेजित करने का आह्वान किया कि ‘देश के गद्दारों को..गोली मारो सा….को ‘  

             इसी प्रकार बीजेपी का एक युवा दरिंदा नेता प्रवेश वर्मा ने शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन नामक काले कानून के खिलाफ प्रदर्शनरत महिलाओं के प्रदर्शन को उखाड़ने के लिए अपनी एक सभा में मुसलमानों के प्रति घृणा का बीज बोते हुए कहा कि ‘शाहीन बाग में लाखों लोग जमा हैं। दिल्ली की जनता को सोच-विचारकर ही फैसला लेना चाहिए। वे आपके घरों में घुस जाएंगे,आपकी मां-बहनों से दुष्कर्म करेंगे और उन्हें मार देंगे। अगर भाजपा सरकार बनी तो सभी मस्जिदें हटवा दूंगा,शाहीन बाग भी एक घंटे में खाली होगा ! ‘

               दिल्ली में दंगे कराने का असली सूत्रधार कपिल मिश्रा ने 23 फरवरी 2020को दिल्ली के जाफराबाद के मौजपुर चौक पर मुसलमानों को टारगेट करते हुए बोला कि ‘8 फरवरी को दिल्ली की सड़कों पर भारत और पाकिस्तान के बीच मुकाबला होगा ! ये यही चाहते हैं कि दिल्ली में आग लगी रहे,इसीलिए इन्होंने रास्ते बंद किए हैं, इसीलिए दंगे जैसा माहौल बना रहे हैं ! हमारी तरफ से एक भी पत्थर नहीं चला है डीसीपी साहब हमारे सामने खड़े हैं,मैं आप सबकी तरफ से यह बात कह रहा हूं। डोनाल्ड ट्रंप के जाने तक तो हम शांति से जा रहे हैं लेकिन उसके बाद हम आपकी भी नहीं  सुनेंगे ! अगर रास्ते खाली नहीं हुए तो, ट्रंप के जाने तक आप जाफराबाद और चांद बाग खाली करवा लीजिए, ऐसी आपसे विनती कर रहे हैं,उसके बाद हमें रोड पर आना पड़ेगा.! ‘ कपिल मिश्रा द्वारा  ’23 फरवरी को दिए गए इस भड़काऊ बयान की वीडियो अभी भी सोशल मीडिया पर उपलब्ध है !

 दिल्ली पुलिस का हलफनामा छूट का पुलिंदा !   

             _______________________कितने दु:ख और बेहद अफसोसजनक बात है कि उक्त तीनों दरिंदों कपिल मिश्रा,अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा के बिष बुझे बयानों से दिल्ली पूरे 7 दिनों तक धू-धू कर जलती रही, हत्यारों,आगजनी करने वालों का जाफराबाद जैसे मुस्लिम बहुल इलाकों में पूरा जंगलराज और बर्बर राज का पुनरागमन हो गया था,लेकिन दिल्ली पुलिस ने उक्त वर्णित तीनों दरिंदों कपिल मिश्रा,अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा को बहुत ही आसानी से क्लिक चिट दे दी !

              दिल्ली पुलिस ने हाईकोर्ट में दायर किए गए अपने हलफनामे में साफ -साफ और स्पष्ट तौर पर लिखा है कि ‘ बीजेपी नेता कपिल मिश्रा,केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, सांसद प्रवेश वर्मा और अभय वर्मा के खिलाफ हिंसा में उनकी भूमिका को लेकर अब तक कोई सबूत नहीं मिले हैं उनके खिलाफ अभी तक कोई केस ही नहीं बनता !भविष्य में सबूत मिला तो जांच होगी, फ्रेश एफआईआर दर्ज करने की जरूरत नहीं है ! ‘ भारत की मुख्य सत्ता अपराधिक व्यक्तियों के साथ में !

               ___________

            वर्तमान समय की राजनीति की यह हालत है कि नई दिल्ली की केन्द्रीय सत्ता के साथ-साथ अन्य कई राज्यों में सत्तारूढ़ सरकार के अधिकांश कर्णधार दंगाई,माफिया,हत्या और अन्यान्य गंभीर अपराधों के शातिर अपराधी हैं ! गुजरात दंगों में सीधे-सीधे संलिप्त अपराधी आज केन्द्रीय सत्ता के शीर्ष पर आसीन हैं,यह बात इस देश के सुप्रीमकोर्ट के साथ-साथ सारा देश भी खूब ठीक से जानता-समझता है,लेकिन हकीकत यह है कि आज इस देश में इंदिरा गांधी द्वारा लगाई गई इमर्जेंसी से भी भयावह जर्मन तानाशाह एडोल्फ हिटलर के समकक्ष तानाशाही का मोदीकाल का दौर चल रहा है,इसका प्रत्यक्ष उदाहरण ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ आइपीएस पुलिस आफिसर संजीव भट्ट,प्रख्यात वीरांगना महिला वकील श्रीमती तीस्ता सीतलवाड़ और गुजरात के सेवानिवृत्त पुलिस महानिदेशक आरबी कुमार की प्रताड़ना से परिलक्षित हो रहा है ! 

 भारत की वर्तमान दु:स्थिति में बदलाव की बहुत ही कम संभावना !

              ____________

             इसलिए जब तक उक्त वर्णित गंभीर अपराधियों को कठोरतम् दंड नहीं दिया जाता है,तब तक न्याय के नाम पर सुप्रीमकोर्ट द्वारा किए जा रहे इन छोटे-मोटे महत्वहीन निर्णयों से कुछ भी नहीं होनेवाला है ! सुप्रीमकोर्ट द्वारा टीवी डिबेट्स में सांप्रदायिक वैमनस्यता फैलाने वाले शो को प्रतिबंधित करने वाले कानून बनाने के लिए वर्तमान समय की सरकार से उम्मीद करना रेत से तेल निकालने जैसे उम्मीद करने के सिवा कुछ नहीं है,क्योंकि वर्तमान सरकार के कर्णधार हिन्दू-मुस्लिम,मंदिर -मस्जिद आदि के प्रायोजित रूप से डिबेट कराकर भारतीय अल्पसंख्यक मुसलमानों के प्रति धर्मभीरू और मूर्ख हिन्दुओं के मन में घृणा का माहौल बनाकर और सामाजिक सौहार्द् को समाप्त करने के लिए ही उक्त वर्णित सेट स्पीचेज डिबेट्स कराते हैं,ताकि इन बहुसंख्यक धर्मभीरू हिन्दुओं के वोट के बल पर अनंन्तकाल तक सत्ता में रह सकें ! 

              एक भारतीय कहावत है ‘भेड़ों के रेवड़ की रखवाली का काम भेड़ियों को सौंप दिया जाय और भेड़ियों से ईमानदारी ,दया,करूणा,अहिंसा,  सच्चाई और भलाई की उम्मीद किया जाय,तो इससे बड़ी नासमझी और मूर्खता और कुछ हो ही नहीं सकती ! ‘

             -निर्मल कुमार शर्मा ‘गौरैया एवम् पर्यावरण संरक्षण तथा देश-विदेश के सुप्रतिष्ठित समाचार पत्र-पत्रिकाओं में वैज्ञानिक,सामाजिक, राजनैतिक, पर्यावरण आदि विषयों पर स्वतंत्र,निष्पक्ष,बेखौफ,आमजनहितैषी,न्यायोचित व समसामयिक लेखन,संपर्क-9910629632, ईमेल – nirmalkumarsharma3@gmail.com

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