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पत्रकारिता/पक्षकारिता : बीजेपी और विपक्ष के पसंदीदा पत्रकार?

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पुष्पा गुप्ता

अमेरिका में मिशिगन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की ओर से सोमवार को जारी किए गए रीट्वीट की स्टडी के नतीजे बताते हैं कि भारत में प्रमुख दलों के राजनेता ट्विटर पर जर्नलिस्टिक कंटेंट के लिए कुछ खास प्रकाशनों पर अपना भरोसा जताते हैं.

          रिपोर्ट के मुताबिक, किसी मीडिया घराने – जो सत्ताधारी दल और विपक्ष के बीच विभाजित होते हैं – की बजाय विपक्ष का झुकाव कुल मिलाकर किसी खास पत्रकार की तरफ होता है.

‘इंडियन जर्नलिस्ट ऑन ट्विटर एंड देअर पॉलिटिशियन फुटप्रिंट’ नामक रिपोर्ट में बताती है कि ‘उन मुद्दों पर पत्रकारों के रुख को उन संस्थानों की तुलना में समझा जा सकता है, जिनके लिए वे रिपोर्टिंग करते हैं.’ रिपोर्ट के अनुसार, ‘अगर राजनेताओं के जुड़ाव के मामले में देखें तो तीन मीडिया ग्रुप भाजपा के पक्ष में हैं – ज़ी, रिपब्लिक और जागरण ग्रुप. तो वहीं विपक्षी पक्ष का लगाव काफी हद तक NDTV के हिंदी और अंग्रेजी प्रसारण (समाजवादी पार्टी द्वारा @ndtvindia और INC द्वारा @ndtv) से है. जबकि इंडिया टुडे ग्रुप भी आम तौर पर विपक्ष की पसंद की तरफ जाता नजर आता है.

दूसरी ओर, द टाइम्स ग्रुप जैसे मीडिया घरानों के पास ‘ध्रुवीकरण’ के विचार के लिए कई अलग-अलग बिंदुओं पर चैनल और समाचार पत्र हैं.

       अध्ययन में कहा गया है कि भारत में अगर सीएनएन-न्यूज 18 को छोड़ दें, तो विपक्षी नेताओं का झुकाव अंतरराष्ट्रीय पब्लिकेशन की तरफ तेजी से बढ़ा हैं. क्योंकि न्यूज-18 भाजपा का पक्ष लेता है इसलिए विपक्षी दल उसकी ओर कम ही जाता है, जबकि इसका कंटेंट पार्टनर @CNN, सामान्य रूप से अमेरिका में उदारवाद की तरफदारी करता है.’

लेखकों ने लगभग 40,000 भारतीय राजनेताओं और 4,099 भारतीय पत्रकारों के डेटाबेस को एक्सेस किया. उन्होंने ‘राजनेताओं के अकाउंट से पिछले 1,000 मैसेज (अगर राजनेता ने कम बार ट्वीट किया, तो उससे कम) को खंगाला और उसमें प्रत्येक रीट्वीट (उद्धृत ट्वीट्स को छोड़कर) की जांच की.’

       स्टडी में लगभग एक साल यानी एक अगस्त 2021 से लेकर 14 सितंबर 2022 तक का समय यह समझने और जानकारी जुटाने में लगाया गया कि ‘किस पार्टी द्वारा किसकी पत्रकारिता को प्रचारित किया गया और उनका झुकाव किस पत्रकार या मीडिया की तरफ रहा है.’’

रिपोर्ट के मुताबिक, अगर मिडिया ग्रुप की बजाय किसी खास पत्रकार की बात हो तो विपक्षी नेता पारंपरिक समाचार पत्रों के बीट पत्रकारों या राजनीतिक संपादकों के साथ-साथ स्वतंत्र पत्रकारों के साथ अधिक जुड़ना पसंद करते हैं. ये वो पत्रकार हैं जो ‘एंकरिंग करने के बजाय पारंपरिक ऑन-द-ग्राउंड रिपोर्टिंग’ को तरजीह देते हैं.

        भाजपा ने इसके लिए अपने लाखों से ज्यादा फॉलोअर्स वाली लिस्ट में ‘स्टार इन्फ्लुएंसर्स ’ और ‘हाई- फोलोड एंकर अकाउंट’ के साथ एक मजबूत नेटवर्क बनाया हुआ है.

         रिपोर्ट में कहा गया है, ‘ स्टडी के दौरान @RajatSharmaLive, @RubikaLiyaquat, @DChaurasia2312 और @SushantBSinha को भाजपा नेताओं ने 150 से ज्यादा बार रीट्वीट किया था. इसके उलट एक मिलियन से ज्यादा की मेगा-फॉलोइंग वाले केवल दो पत्रकार – @ppbajpai और @ajitanjum – को एक या किसी अन्य प्रमुख विपक्षी दल ने 100 से ज्यादा बार रिट्वीट किया.’

भाजपा का रुख उन पब्लिक कमेंटेटरों की तरफ भी काफी रहा, जिनकी कोई पत्रकारिता पृष्ठभूमि नहीं थी. वहीं दूसरी तरफ राजदीप सरदेसाई, राणा अय्यूब, अभिसार शर्मा और सुहासिनी हैदर कुछ ऐसे पत्रकार रहे, जिन्हें स्टडी के दौरान भाजपा के राजनेताओं ने एक बार भी रीट्वीट नहीं किया था.

       रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘क्रॉसओवर’ पत्रकारों की संख्या काफी कम थी. यानी वो पत्रकार जिन्हें सभी पार्टियों द्वारा रीट्वीट किया गया हो. अध्ययन के अनुसार दैनिक भास्कर के संपादक एल.पी. पंत इसमें सबसे आगे रहे.

        और कौन सी पार्टी ‘जर्नेलिस्टिक कंटेट’ के साथ सबसे ज्यादा व्यस्त रही? रिपोर्ट की माने तो यह आम आदमी पार्टी (आप) है. ‘पत्रकारों की संख्या’ और ‘प्रति राजनेता रीट्वीट किए गए मीडिया हैंडल की संख्या’ दोनों के मामले में यह सबसे आगे रही है. लेखकों ने इसके लिए आप के आउटरीच सिस्टम में मौजूद उन पत्रकारों को इसकी वजह बताया है जो हाल के दिनों में पार्टी में शामिल हुए हैं.

रिपोर्ट में कुछ महत्वपूर्ण कीवर्ड का भी जिक्र किया गया है, जिसकी वजह से राजनेताओं को रीट्वीट करने या पत्रकारों के साथ बार-बार जुड़ने का मौका मिला. ‘मंत्री, श्री, जन्मदिन, प्रवक्ता, वरिष्ठ, प्रेस और सम्मेलन’ जैसे शब्दों ने राजनेताओं को ट्वीट करने में काफी व्यस्त रखा. इसके अलावा ‘ब्रेकिंग न्यूज, नीतिगत मामले, चुनाव और योजनाएं’ जैसे मुद्दे रिट्वीट के लिए काफी लोकप्रिय रहे.

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