गुलशन राय खत्री
दिल्ली नगर निगम चुनाव में भले ही आम आदमी पार्टी ने अपना परचम लहरा दिया हो और उसकी बदौलत कांग्रेस तीसरे नंबर पर लुढ़क चुकी हो लेकिन डेढ़ साल बाद होने वाले लोकसभा चुनाव में दिल्ली से सांसद बीजेपी के होंगे या आप के, ये कांग्रेस पर ही निर्भर करेगा। ऐसे में कांग्रेस दिल्ली में कुछ करने की स्थिति में हो या नहीं लेकिन संसदीय चुनाव में उसकी भूमिका अहम होने जा रही है।
दरअसल, पिछले लोकसभा चुनाव के समय दिल्ली की सत्ता में होते हुए भी कांग्रेस ने आप को तीसरे नंबर पर धकेलने में कामयाबी हासिल की थी। उस वक्त कांग्रेस ने 22 फीसदी वोट हासिल करके बीजेपी के बाद दूसरे नंबर पर थी जबकि आप सिर्फ 18 फीसदी पर ही रुक गई थी। नगर निगम चुनाव में आप ने इस बार जमकर छलांग लगाई और 2017 के निगम चुनाव के वक्त 26 फीसदी की बजाय 42 फीसदी वोट हासिल कर लिए।
कांग्रेस की मौजूदा हालत को देखते हुए ये साफ है कि फिलहाल कांग्रेस तीसरे नंबर पर ही होगी लेकिन जिस तरह से इस बार कांग्रेस ने मुस्लिम समुदाय के एक बड़े वर्ग का समर्थन हासिल किया है, उसे देखते हुए ये साफ है कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी व आप के बीच की हार जीत वही तय करेगी। याद रखना होगा कि पिछली बार लोकसभा चुनाव के वक्त भी मुस्लिम बहुल इलाकों में कांग्रेस को ही बढ़त मिली थी। अब जबकि निगम चुनाव में भी आधी से अधिक सीटों पर मुस्लिम वोटरों का रुझान कांग्रेस की ओर गया है, उसे देखते हुए ये निर्भर करेगा कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस अपना चुनाव अभियान किस तरह से चलाती है।
अगर कांग्रेस ने नगर निगम चुनाव से सबक लेते हुए अभी से लोकसभा चुनाव की तैयारियां की तो उस स्थिति में वह 2019 की तरह ही फिर से आप को तीसरे नंबर पर धकेल सकती है। हालांकि इसका फायदा बीजेपी को मिल सकता है। ऐसे में कांग्रेस के पास दिल्ली में सीटों के लिए आम आदमी पार्टी के साथ बार्गेनिंग पावर आ जाएगी। आप के लिए ये मजबूरी हो जाएगी कि अगर उसने कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव नहीं लड़ा तो उस स्थिति में आप को फिर से दिल्ली की सातों सीटें गंवाने का खतरा रहेगा। ऐसे में आप चाहेगी कि एक साथ सात सीटें गंवाने की बजाय कांग्रेस से हाथ मिला ले और उसके साथ कुछ सीटों का बंटवारा कर ले। इससे कांग्रेस और आप दोनों को ही फायदा होगा। लेकिन ये तभी संभव है, जबकि कांग्रेस एक रणनीति के तहत काम करे और मुस्लिम वोटरों में पैठ बढ़ाने के साथ ही अपना जनाधार भी मजबूत करे। अगर ऐसा नहीं होता और कांग्रेस, नगर निगम चुनाव की तरह ही लोकसभा चुनाव में भी ढुलमुल रवैया अपनाती है तो उस स्थिति में बीजेपी के लिए मुसीबत बढ़नी तय है। ऐसे में आप मजबूत प्रदर्शन करेगी। ऐसे में भले ही कांग्रेस, लोकसभा चुनाव में अपने बूते कुछ न कर सके लेकिन उस पर ये निर्भर करेगा कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी की राह आसान होगी या फिर आप की।