दिव्या गुप्ता
_क्या ईसाई,हम हिंदूऔ का नव वर्ष मनाते है, नही ! तो हम हिंदू, ईसाइयो का नव वर्ष क्यो मनाen? हैप्पी न्यू इयर ! भाई हैप्पी न्यू इयर ! ये अभी से शुरू हो चूका है “पर क्यों ? क्या वजह है ? नया क्या है इसमें जो नया वर्ष कहा जाए ? “नया साल कहाँ है ? जवाब मिला एक जनवरी और लास्ट डे इगात्तिस दिसंबर… इट्स द टाइम टू सेलिब्रेट !_
पर कैसे ? समझाओ तो जरा, मैं १५ अगस्त को नया साल मना लू तो क्या बुरा है ? नहीं ऐसा नहीं होता है | चलो फिर किसी भी आड़े दिन मना लेंगे, आपके जन्मदिन से नयावर्ष !
अरे नहीं ऐसा नहीं हो सकता, नए साल पर ही न्यू इयर मनाते है, न्यू इयर तो १ जनवरी से ही शुरू होता है ऐसे कैसे कभी भी मना लेंगे !
“पर क्यों ? क्या वजह है ? नया क्या है इसमें जो नया वर्ष कहा जाए” और नहीं है नया तो कभी भी मना सकते है !
31 दिसंबर को भी कडाके की ठण्ड और १ जनवरी को भी, क्या नया हुआ इसमें, 11:59 pm को भी रात, और 12.01 am को भी रात , कुछ भी तो नया नहीं है|
दिसम्बर में भी पतजड़ जनवरी में भी | सिर्फ तारीख ही तो बदलती है वो तो रोज बदलती है|
हम भारतीयों का नववर्ष “पतझड़” से आरम्भ नही होता, कड़ाके की ठण्ड से नववर्ष आरम्भ नही होता, जीसस का खतना हुआ उस दिन को हम क्यों नववर्ष मनायें।
आज के वैज्ञानिक युग में जहां लोगो को सबसे अधिक समझदार माना जाता है, सोचा जाता है की वो हर बात को प्रमाणित होने पर, सोच समझ कर, वैज्ञानिक मूल्यों पर परख कर ही अपनाएंगे पर यहाँ तो सभी भेड़ चाल चलने पर आमादा है.
* भारतीय नववर्ष तब मनाया जाता है,जब प्रकृति में नवचेतना शुरू हो जाती है।
* भारतीय नववर्ष तब आता है, जब न तो गर्मी चरम पर होती है और न ही सर्दी। मौसम सम होता है।
* भारतीय नववर्ष तब आता है जब ग्रह नक्षत्र अपनी स्थित बदलते हैं |
* भारतीय नववर्ष तब आता है जब पृथ्वी पर हरियाली छा जाती है |
* भारतीय नववर्ष तब आता है, जब पेड़ों पर नये कोपले पत्ते, कलियां आ जाते हैं |
* भारतीय नववर्ष तब है,जब फसल पक कर किसान मुख पर रौनक लाती है |
* भारतीय नववर्ष तब आता है, जब श्रष्टि की रचना हुई |
* भारतीय नववर्ष उस दिन है जिस दिन भारतियों ने हूणों पर विजय प्राप्त की |
* भारतीय नववर्ष तब आता है, जब पृथ्वी को प्रभावित करने वाले सातों गृह कल्प के प्रारंभ में एक साथ एक ही अश्विन नक्षत्र में स्थित थे, और इसी नक्षत्र से प्रतिपदा भारतीय नववर्ष का प्रारंभ होता है |
अर्थात प्रत्येक चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के प्रथमा को भारतीय नववर्ष प्रारंभ होता है जो वैज्ञानिक दृष्टि के साथ-साथ सामाजिक व सांस्कृतिक संरचना को प्रस्तुत करता है|
भारत में अन्य संवत्सरो का प्रचलन बाद के कालों में प्रारंभ हुआ जिसमे अधिकांश वर्ष प्रतिपदा को ही प्रारंभ होते हैं, इनमे विक्रम संवत महत्वपूर्ण है| इसका आरम्भ कलिसंवत से होता है, जिसको इतिहास में सम्राट विक्रमादित्य के द्वारा शुरू किया गया था|
हिन्दू के घर बच्चा पैदा होता है, उसका जन्म संस्कार हिन्दू कैलेन्डर के अनुसार होता है। हिन्दू के घर पुजा होता है तो हिन्दू कैलेन्डर के अनुसार होता है। हिन्दू के घर शादी होता है तो शुभमुहुर्त भी हिन्दू तीथि के अनुसार होता है।
हिन्दू के घर कोई मरता है तो मृत्यु संस्कार हिन्दू कैलेन्डर के अनुसार होता है। जब सब देशों में अपने अपने पंचांग के अनुसार नववर्ष मनाते है, तो हम क्यों न हमारे पंचांग के अनुसार नववर्ष मनाये|
हमारा नव वर्ष सृष्टि संवत है जो 1,96,8,53120 वां वर्ष है।
{चेतना विकास मिशन}