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कार्यकर्ताओं का मान सम्मान होने पर ही राजस्थान में कांग्रेस सरकार रिपीट होगी

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एस पी मित्तल, अजमेर

18 दिसंबर को एक अखबार में दिए इंटरव्यू में पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने कहा कि कांग्रेस के जिन कार्यकर्ताओं ने भाजपा शासन में डंडे खाकर संघर्ष किया उन्हें हमारी सरकार में मान सम्मान मिलना चाहिए। जब कार्यकर्ता में ऊर्जा होती है, तब किसी भी स्थिति का मुकाबला कर सकता है। सरकार और संगठन में तालमेल हो तो राजस्थान में कांग्रेस सरकार रिपीट हो सकती है। पायलट ने कहा कि उन्होंने अपनी कार्य योजना कांग्रेस हाईकमान को सौंप रखी है। सचिन पायलट यह बात पिछले चार साल से कह रहे हैं। अब जब विधानसभा चुनाव में 11 माह शेष रहे हैं, तब भी पायलट यही बात कह रहे हैं। जाहिर है कि उनके सुझावों पर अभी तक भी अमल नहीं किया गया है। 18 दिसंबर के बयान से पायलट ने मौजूदा समय में सरकार और संगठन के तालमेल को भी नकार दिया है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा भले ही सीएम अशोक गहलोत के साथ देखे जाते हों, लेकिन सब जानते हैं कि राजस्थान में कांग्रेस की जिला और ब्लॉक कांग्रेस कमेटियां ढाई वर्ष से भंग पड़ी है। सीएम अशोक गहलोत ने जुलाई 2020 में पायलट को प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से बर्खास्त करवा कर डोटासरा को अध्यक्ष तो बनवा दिया, लेकिन जिला और ब्लॉक की भंग कमेटियों को दोबारा से नहीं नबाया। कांग्रेस की गतिविधियां भंग कमेटियों के माध्यम से ही हो रही हैं। पायलट का ताजा बयान जाहिर करता है कि मौजूदा समय में कांग्रेस सरकार का माहौल एक तरफा है, जिसमें अशोक गहलोत और उनके समर्थकों का ही महत्व है। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का इवेंट भी राजस्थान में पूरा हो गया है, ऐसे में देखना होगा कि पायलट ने अपनी जो कार्ययोजना हाईकमान को सौंपी है उस पर कब अमल होता है। सचिन पायलट के गढ़ माने जाने वाले दौसा, सवाई माधोपुर आदि क्षेत्रों में राहुल की यात्रा में जबरदस्त भीड़ देखने को मिली है। समर्थकों ने राहुल के सामने ही पायलट को मुख्यमंत्री बनाने के नारे भी लगाए। इन नारों में राहुल पर कितना असर होता है, यह तो आने वाले दिनों में भी पता चलेगा, लेकिन पायलट ने 18 दिसंबर को जो इंटरव्यू दिया है, उसमें गत 25 सितंबर को जयपुर में कांग्रेस विधायक दल की बैठक नहीं होने की ओर इशारा किया है। पायलट ने कहा कि कांग्रेस में कौन मुख्यमंत्री बनेगा, यह हाईकमान ही तय करता है। विधायक दल की बैठक में सिर्फ एक लाइन का ही प्रस्ताव पास होना है। जिसमें निर्णय का अधिकार हाईकमान को ही दिया जाता है। हिमाचल में भी ऐसा ही किया गया। हाईकमान द्वारा घोषित विधायक ही मुख्यमंत्री की शपथ लेता है। मालूम हो कि गत 25 सितंबर को जयपुर में कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई थी, लेकिन सीएम गहलोत ने इस बैठक को नहीं होने दिया। 

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