आज रामनवमी है। इस बार ये त्योहार त्रेतायुग जैसे तिथि और नक्षत्र के संयोग में मनेगा। श्रीराम का जन्म दोपहर में हुआ था, इसलिए रामनवमी की पूजा दिन में ही होती है। इसके लिए दिन में 2 शुभ मुहूर्त रहेंगे। इस दिन 9 योग भी बनेंगे। जिससे पूजा और खरीदारी के लिए दिन शुभ रहेगा।
रामनवमी पर बन रहे शुभ संयोग के बारे में हमने काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी से बात की। उन्होंने अगस्त्य संहिता और वाल्मीकि रामायण के हवाले से बताया कि श्रीराम का जन्म चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि और पुनर्वसु नक्षत्र में हुआ था। ऐसा ही संयोग इस बार 30 मार्च, गुरुवार को बन रहा है।
इस त्योहार की ग्रह स्थिति के बारे में पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र और अयोध्या के ज्योतिषाचार्य अंकित शास्त्री कहते हैं कि इस दिन तिथि, वार, नक्षत्र और ग्रहों से सर्वार्थसिद्धि, बुधादित्य, महालक्ष्मी, सिद्धि, केदार, सत्कीर्ति, हंस, गजकेसरी और रवियोग बन रहे हैं। इस तरह रामनवमी पर 9 शुभ योग रहेंगे। पिछले 700 सालों में ऐसा संयोग नहीं बना।
रामनवमी पर क्या करें: अगस्त्य संहिता के मुताबिक
रामनवमी पर कमल, केतकी, नागकेसर और चंपा के फूलों से श्रीराम की पूजा करें। लोहा, पत्थर या लकड़ी से बनी श्रीराम की मूर्ति का दान कर सकते हैं। पवित्र नदी के जल से स्नान और जरूरतमंदों को दान करना चाहिए।
इस दिन मौन व्रत करना चाहिए। रामनवमी पर अतिगंड नाम का योग बने तो उसमें श्रीराम की पूजा से बहुत पुण्य मिलता है। ये योग इस साल बन रहा है।
अयोध्या में जन्मोत्सव: 11 क्विंटल प्रसाद बंटेगा
गुरुवार को दिन में ठीक 12 बजे शंख और घंटियां बजाकर श्री रामलला का जन्मोत्सव मनेगा। भगवान का अभिषेक होगा। षोडशोपचार महापूजा के साथ पीले वस्त्र पहनाकर श्रृंगार किया जाएगा। फिर महाआरती के बाद प्रसाद बंटेगा।
इस बार सिंघाड़ा, कुट्टू, रामदाना और धनिया मिलाकर 10 क्विंटल पंजीरी और 1 क्विंटल पंचामृत प्रसाद के तौर पर बंटेगा। रामनाम का जाप, सुंदरकांड और रामायण पाठ होगा।
पुत्रकामेष्टि यज्ञ से हुआ श्रीराम जन्म
वाल्मीकि रामायण के मुताबिक, राजा दशरथ जब बहुत बूढ़े हो गए तो संतान न होने के कारण चिंतित रहने लगे। ब्राह्मणों ने उन्हें पुत्रकामेष्टि यज्ञ की सलाह दी। महर्षि वशिष्ठ के कहने पर दशरथ ने ऋषि श्रृंग को इस यज्ञ के लिए बुलाया।
यज्ञ पूरा होने के बाद अग्नि देव प्रकट हुए। उन्होंने खीर से भरा सोने का घड़ा दशरथ को दिया और रानियों को खीर खिलाने को कहा। दशरथ ने ऐसा ही किया। एक साल बाद चैत्र शुक्ल नवमी पर पुनर्वसु नक्षत्र में कौशल्या ने श्रीराम को जन्म दिया। पुष्य नक्षत्र में कैकई ने भरत और सुमित्रा से जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघ्न हुए।