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UP का नाम आते ही जेहन में आता है एनकाउंटर और बुलडोजर… UP में1000% बढ़ी फर्जी एनकाउंटर की शिकायतें

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UP का नाम आते ही जेहन में आता है एनकाउंटर और बुलडोजर…। गुरुवार को ही गैंगस्टर अतीक अहमद के बेटे असद का एनकाउंटर और अब शनिवार रात अतीक और उसके भाई की पुलिस के सामने ही सरेआम हत्या ने पूरे देश को चौंका दिया है।

पिछले महीने UP सरकार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आंकड़े जारी किए थे कि भाजपा के शासन के 6 सालों में 10 हजार से ज्यादा पुलिस एनकाउंटर हुए। इनमें 23,069 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया। एनकाउंटर्स में 4,911 क्रिमिनल घायल हुए जबकि 178 पुलिस की गोली से मारे गए।

ये तस्वीर 13 अप्रैल को एनकाउंटर में मारे गए गैंगस्टर अतीक अहमद के बेटे असद अहमद की है। उमेश पाल हत्याकांड के मुख्य आरोपी असद को UP पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने झांसी के पास हुई मुठभेड़ में मार गिराया।

ये तस्वीर 13 अप्रैल को एनकाउंटर में मारे गए गैंगस्टर अतीक अहमद के बेटे असद अहमद की है। उमेश पाल हत्याकांड के मुख्य आरोपी असद को UP पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने झांसी के पास हुई मुठभेड़ में मार गिराया।

ये वीडियो स्क्रीनग्रैब शनिवार 15 अप्रैल की रात को हुई घटना का है, जब पुलिस की मौजूदगी में अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या कर दी गई।

ये वीडियो स्क्रीनग्रैब शनिवार 15 अप्रैल की रात को हुई घटना का है, जब पुलिस की मौजूदगी में अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या कर दी गई।

लेकिन इन आंकड़ों से जुड़ा एक और पहलू भी है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के मुताबिक योगी सरकार के 6 सालों में से 3 सालों यानी 2017 से 2020 के बीच ही फर्जी एनकाउंटर्स की 93 शिकायतें उसके पास पहुंचीं।

यही नहीं, ऐसे फर्जी एनकाउंटर्स की शिकायतें भाजपा के सत्ता में आते ही 1000% बढ़ गई हैं। 2016-17 में फर्जी एनकाउंटर्स की सिर्फ 4 शिकायतें थीं…2017-18 में ये बढ़कर 44 हो गईं।

विपक्षी दल इसके लिए भाजपा की नीतियों को जिम्मेदार ठहराते हैं। कई विपक्षी नेता ये भी आरोप लगा चुके हैं कि भाजपाशासित राज्यों में कानून-व्यवस्था के नाम पर फर्जी एनकाउंटर हो रहे हैं।

हालांकि, भाजपा के इस एनकाउंटर कनेक्शन का दूसरा पहलू और भी रोचक है। असम में 2016 से भाजपा सत्ता में है। यहां पार्टी के सत्ता में आते ही फर्जी एनकाउंटर्स की शिकायतें 41% घट गईं, और उसके बाद से लगातार घट ही रही हैं।

जानिए, क्या है भाजपा का ये एनकाउंटर कनेक्शन…देश में किस राज्य में सबसे ज्यादा फर्जी एनकाउंटर की शिकायतें आती हैं…और इन शिकायतों का होता क्या है?

पहले देखिए, देश में फर्जी एनकाउंटर्स की शिकायतें कितनी हैं

8 साल में 1300 से ज्यादा फर्जी एनकाउंटर्स की शिकायत…यानी हर दूसरे दिन एक एनकाउंटर की वैधता पर सवाल

नेशनल ह्यूमन राइट्स कमिशन (NHRC) अपनी वार्षिक रिपोर्ट में ये लेखा-जोखा देता है कि किस राज्य से फर्जी एनकाउंटर की कितनी शिकायतें मिली हैं।

NHRC की आखिरी वार्षिक रिपोर्ट 2019-20 में आई थी। 2012-13 से लेकर 2019-20 तक की रिपोर्ट्स की पड़ताल बताती है कि इन 8 सालों में आयोग के पास फर्जी एनकाउंटर की कुल 1,356 शिकायतें आईं।

यानी औसतन हर दूसरे दिन एक न एक एनकाउंटर को फर्जी ठहराया गया।

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के आने के बाद बढ़ी फर्जी एनकाउंटर की शिकायतें

उत्तर प्रदेश में 2017 में भाजपा ने चुनाव जीतकर सरकार बनाई थी और योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने थे। 2022 भाजपा ने लगातार दूसरी बार चुनाव जीता और योगी आदित्यनाथ दोबारा CM बने।

अब तक 6 साल के भाजपा शासन में 10 हजार से ज्यादा पुलिस एनकाउंटर्स की बात खुद सरकार स्वीकार करती है। राज्य सरकार का कहना है कि प्रदेश में ऑर्गनाइज्ड क्राइम और माफिया के बढ़ते प्रभाव से निपटने के लिए ये सख्ती जरूरी है।

ये तस्वीर 10 जुलाई, 2020 की है, जब उज्जैन में गिरफ्तार किए गए UP के गैंगस्टर विकास दुबे को कानपुर ले जा रही UP STF की गाड़ी पलट गई थी। पुलिस के मुताबिक विकास दुबे ने इसके बाद भागने की कोशिश की और एनकाउंटर में मारा गया।

ये तस्वीर 10 जुलाई, 2020 की है, जब उज्जैन में गिरफ्तार किए गए UP के गैंगस्टर विकास दुबे को कानपुर ले जा रही UP STF की गाड़ी पलट गई थी। पुलिस के मुताबिक विकास दुबे ने इसके बाद भागने की कोशिश की और एनकाउंटर में मारा गया।

विकास दुबे एनकाउंटर पर सवाल उठे और जांच कमेटी भी बैठी। ये तस्वीर अप्रैल, 2021 की है जब UP STF की टीम ने एनकाउंटर को री-इनएक्ट कर दिखाया था। जांच कमेटी ने STF को क्लीन चिट दे दी थी।

मगर पुलिस की सख्ती बढ़ने के साथ ही एनकाउंटर्स पर सवाल उठना भी शुरू हो गए। 2012-13 से 2016-17 तक उत्तर प्रदेश में फर्जी एनकाउंटर्स की शिकायतों का आंकड़ा 10 तक भी नहीं पहुंचा था।

मगर 2017-18 में ये शिकायतें सीधे 1000% बढ़कर 44 तक पहुंच गईं। हालांकि इसके बाद के दो सालों में ये आंकड़ा घटा, मगर कभी भी 20 के नीचे नहीं आया।

अभी NHRC ने 2020-21 और 2021-23 में आई फर्जी एनकाउंटर की शिकायतों का आंकड़ा जारी नहीं किया है।

UP पुलिस एनकाउंटर में गलती से निर्दोषों को भी मार चुकी है

UP में राज्य सरकार की एनकाउंटर नीति के आलोचक कहते हैं कि पुलिस पर लगाम न होने की वजह से गलतियां होने की आशंका भी बढ़ जाती है।

एनकाउंटर्स पर सवाल उठना तो अलग बात है, इन एनकाउंटर्स में पुलिस की गलती से आम नागरिकों की भी मौत हुई है।

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़े बताते हैं कि 2019 से 2021 के बीच देश में पुलिस एनकाउंटर्स में गलती से 15 निर्दोष लोगों की मौत हुई। इनमें से 4 मौतें उत्तर प्रदेश में हुईं।

अब देखिए, असम का हाल

2016 से असम में भाजपा की सरकार…भाजपा के आते ही फर्जी एनकाउंटर्स की शिकायतें घट गईं

असम में पिछले 8 साल का NHRC का आंकड़ा बताता है कि 2012-13 से 2014-15 के बीच फर्जी एनकाउंटर्स की शिकायतें बहुत ही ज्यादा थीं।

2014-15 में राज्य से 84 फर्जी एनकाउंटर्स की शिकायतें मिली थीं। हालांकि, इसके अगले ही साल यानी 2015-16 में ये शिकायतें 41% घटकर 49 रह गईं।

इसके बाद से राज्य में लगातार इस तरह की शिकायतें घटी ही हैं। 2019-20 में असम से फर्जी एनकाउंटर्स की सिर्फ 10 शिकायतें मिली थीं।

छत्तीसगढ़ में फर्जी एनकाउंटर्स की शिकायतें सबसे ज्यादा…यहां 8 साल में भाजपा-कांग्रेस का बराबर शासन

भारत में सबसे ज्यााद फर्जी एनकाउंटर्स की शिकायतें छत्तीसगढ़ से NHRC के पास आती हैं। 2012-13 से 2019-20 के बीच 8 सालों में इस राज्य से NHRC को 317 फर्जी एनकाउंटर्स की शिकायतें मिली हैं।

ये इस दौरान पूरे देश से मिली ऐसी शिकायतों को 23% है।

खास बात ये है कि 2012 से अब तक राज्य में भाजपा और कांग्रेस दोनों का शासन रहा है। 2003 से 2018 तक राज्य में भाजपा की सरकार रही। जबकि 2018 से कांग्रेस सत्ता में है।

यहां सरकारें बदलने के बावजूद फर्जी एनकाउंटर्स की शिकायतों में कोई खास फर्क नहीं आया है।

अब देखिए, फर्जी एनकाउंटर्स की इन शिकायतों का आखिर होता क्या है

8 साल में NHRC को मिली शिकायतों में से 50% से ज्यादा अभी उसके पास ही पेंडिंग

2012-13 से 2019-20 के बीच NHRC को फर्जी एनकाउंटर की 1,356 शिकायतें मिली हैं।

सबसे ताजा वार्षिक रिपोर्ट बताती है कि इनमें से 694 शिकायतें अभी NHRC के पास पेंडिंग हैं।

4 शिकायतों की प्राथमिक जांच भी अभी नहीं हुई है। जबकि 690 केस ऐसे हैं जिसमें या तो स्टेट पुलिस ने अपनी रिपोर्ट NHRC को नहीं भेजी है या उनकी भेजी रिपोर्ट अभी NHRC ने नहीं पढ़ी है।

यानी फर्जी एनकाउंटर्स की 50% से ज्यादा शिकायतें अभी पेंडिंग ही हैं।

9 साल में फर्जी एनकाउंटर के सिर्फ 44 केस दर्ज…12 पुलिस वाले गिरफ्तार, सजा किसी को भी नहीं

NCRB के आंकड़े बताते हैं कि 2012 से 2021 के बीच पूरे देश में फर्जी एनकाउंटर्स के कुल 44 केस दर्ज किए गए।

इनमें से सिर्फ 6 केसों में चार्जशीट दायर हो पाई। 12 पुलिस वाले गिरफ्तार तो हुए, मगर किसी को भी सजा नहीं मिली।

2016 में पूरे देश में सबसे ज्यादा 13 केस फर्जी एनकाउंटर के दर्ज हुए थे। इनमें से 4 केसों में चार्जशीट भी दायर की गई, लेकिन कोई भी गिरफ्तारी नहीं हुई।

NHRC ने 3 साल में फर्जी एनकाउंटर्स पर 64 लाख रुपए का मुआवजा देने की अनुशंसा की…अब तक नहीं मिला

NHRC की 2019-20 की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक उसने 2017 से 2020 के बीच फर्जी एनकाउंटर के 14 मामलों में पीड़ित के परिवार को मुआवजा दिए जाने की अनुशंसा की।

इस मुआवजे की कुल रकम 64 लाख है जो 6 राज्यों असम, मणिपुर, झारखंड, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र को चुकानी है, लेकिन अब तक ये मुआवजा नहीं दिया गया है।

NHRC ने सबसे ज्यादा 15 लाख रुपए के मुआवजे की अनुशंसा 2019 में झारखंड के एक मामले में की है। मुआवजे के सबसे ज्यादा 7 मामले असम के हैं।

UP के भी दो मामलों में NHRC ने मुआवजे की अनुशंसा की है।

मगर अभी तक किसी भी राज्य सरकार ने पीड़ितों के परिवारों को मुआवजा नहीं दिया है।

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