नई दिल्ली: माफिया अतीक अहमद और उसके भाई की हत्या को लेकर उत्तर प्रदेश पुलिस सवालों के घेरे में है। इसमें एक्सपर्ट्स कई तरह की चूक देख रहे हैं। ऐसा ही एक सवाल अतीक और अशरफ को एकसाथ हथकड़ी लगाने के ऊपर उठ रहा है। यूपी के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने इसका जिक्र किया है। उनके मुताबिक, हथकड़ी के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट दिशानिर्देश हैं। ये कहते हैं कि जब तक कोर्ट की पूर्व अनुमति नहीं हो हथकड़ी नहीं लगाई जा सकती है। अगर कोर्ट की अनुमति लेकर भी दोनों को एक साथ हथकड़ी लगाई गई तो इसका औचित्य समझ में नहीं आता है। विक्रम सिंह के अनुसार, हथकड़ी मनमाने तरीके से नहीं लगाई जाती है।
शनिवार को पुलिस कस्टडी में अतीक और अशरफ की हत्या हो गई थी। हत्यारों ने अतीक के बहुत पास आकर कनपटी पर गोलियां दागी थीं। अशरफ पर भी गालियां बरसाई गई थीं। इन्हें प्रयागराज में मेडिकल चेक-अप के लिए लाया गया था। जिस समय दोनों को पुलिस की गाड़ी से उतारा गया, इनके हाथ बंधे हुए थे। अब पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने इसे लेकर सवाल उठाए हैं।
हथकड़ी को लेकर है सुप्रीम कोर्ट के निर्देश
एक न्यूज चैनल पर चर्चा के दौरान विक्रम सिंह ने यूपी पुलिस से हुई कई तरह की चूक का जिक्र किया। इसमें उन्होंने हथकड़ी क मसला भी उठाया है। उन्होंने बताया कि हथकड़ी के संबंध में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस हैं। ये कहती हैं कि कोर्ट की पूर्व अनुमति के बगैर हथकड़ी नहीं लगाई जा सकती है।
विक्रम सिंह ने आगे कहा कि इस मामले में कोर्ट की अगर इजाजत ली भी गई तो दोनों भाइयों को एक साथ हथकड़ी लगाने का औचित्य उन्हें कतई समझ नहीं आया। मनमाने तरीके से हथकड़ी नहीं लगाई जा सकती है।
तीन हमलावरों ने अतीक और अशरफ को ढेर किया था
गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की शनिवार रात प्रयागराज में एक मेडिकल कॉलेज के पास तीन हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। गोलीबारी की यह घटना कैमरे में कैद हुई। मेडिकल जांच के लिए पुलिस जब दोनों को अस्पताल ले जा रही थी तब उनके साथ मीडियाकर्मी भी चल रहे थे। तीनों हमलावरों को मौके पर ही पकड़ लिया गया था। पूछताछ के दौरान उन्होंने पुलिस से कहा कि वे अतीक और अशरफ गिरोह का सफाया कर प्रदेश में अपनी पहचान बनाना चाहते थे। इनके नाम लवलेश तिवारी (बांदा), मोहित उर्फ सनी (हमीरपुर) और अरुण मौर्य (कासगंज-एटा) हैं।