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 मुगल और‌‌ विज्ञान

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:- By Mohd Zahid 

बहस चलाई जा रही है कि जब छोटे छोटे युरोपीयन देश 16 वीं और 17 वीं शताब्दी में वैज्ञानिक चमत्कार कर रहे थे तब भारत में मुग़ल क्या कर रहे थे ?

सवाल महत्वपूर्ण है , जवाब भी उससे कम महत्वपूर्ण नहीं है और इसके लिए समझना होगा कि जब भारत में मुगल आए तो क्या भारत की सामाजिक और आर्थिक स्थिति युरोपीयन देशों जैसी थी ? जवाब होगा बिल्कुल नहीं।

तो बिना इस स्थिति की तुलना किए मुगलों के भारत और युरोपीयन देशों के वैज्ञानिक अध्ययनों की तुलना करना नीरा मुर्खता है और कुछ लोग चार पैसे कमाने के लिए वही कर रहे हैं।

मुगलों के आगमन से पहले काश्मीर से कन्याकुमारी तक वाला यह वर्तमान भारत था ही नहीं, बल्कि यह छोटे छोटे संप्रभुता वाले राज्यों में विभाजित था , हर राज्य की अपनी स्वतंत्र सीमा थी और राजे रजवाड़े यहां अपनी पारंपरागत सरकारें चलाते थे और सब स्वयं को सर्वश्रेष्ठ साबित करने के लिए आपस में युद्ध लड़ा करते थे।

इन्हीं आपसी युद्धों का परिणाम था मुगलों का भारत में आगमन जब चित्तौड़गढ़ के राजा और महान गढ़े जा रहे महाराणा प्रताप के दादा राणा सांगा ने इब्राहिम लोदी के खिलाफ युद्ध में मदद करने के लिए मुगल शहंशाह बाबर को बुलाया था।

शहंशाह बाबर ने अपनी जीवनी “तुजूके बाबर” में लिखा है कि इसके पहले भी राणा सांगा ने अपना दूत भेजकर मुझे निमंत्रण दिया था कि मैं आगरा तक का इलाका ले लूं और आप दिल्ली तक का इलाका ले लें पर इब्राहिम लोदी के खिलाफ युद्ध में मेरी मदद करें”।

बाबर की जीवनी “तुजूके बाबर” भारत में लिखी गयी पहली “आटोबायोग्राफी” मानी जाती है। आपको ना किसी राजा की लिखी आटोबायोग्राफी मिलेगी ना रानी की।

कहने का अर्थ यह है कि जब युरोपीयन देश शिक्षा और उन्नति की ओर अग्रसर थे तब भारत में राजे रजवाड़े आपस में युद्ध में व्यस्त थे।

कोई राजा 80 युद्ध जीता बताया जाता है तो कोई 100 , अर्थात राजे रजवाड़ों के युद्ध में भारत छिन्न भिन्न और‌ लहूलुहान था और इसी स्थिति में कोई यह यकीन करे कि मुगल आकर वैज्ञानिक चमत्कार करने लगे तो उससे बड़ा मुर्ख इस धरती पर कोई नहीं होगा।

मगर समझना यह भी है कि युरोपीयन देश विज्ञान में क्या चमत्कार कर रहे थे जिसे लेकर सियापा किया जा रहा है ?

1543 में, कोपरनिकस ने अपना सिद्धांत प्रकाशित किया कि पृथ्वी ब्रह्मांड का केंद्र नहीं है, बल्कि यह कि पृथ्वी और अन्य ग्रह सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करते हैं। 

इसे ही “कोपर्निकन क्रांति” कहा जाता है, कहा जाता है कि उनके इसी सिद्धांत ने हमेशा के लिए खगोल विज्ञान को बदल दिया, और अंततः पूरे विज्ञान को बदल दिया।

मगर ठहरिए यह तो तब से कोई 1000 साल पहले ही कुरान में बता दिया गया था “कुल्लुन फी फलंकिय्यासबहुन” अर्थात धरती , चाँद , सूर्य और सब एक एक दायरें में घूम रहें हैं :- सुरह रहमान , अल कुरान

1500 में, व्हील-लॉक मस्कट का आविष्कार किया गया था, एक आग्नेयास्त्र उपकरण जिसे एक व्यक्ति द्वारा फायर किया जा सकता था, जिसने युद्ध के एक नए रूप की शुरुआत की।

मगर इसके पहले बारूद को भारत में बाबर लेकर आए और उसी के कारण तोप का अविष्कार किया गया। इसके बाद टीपू सुल्तान ने मिसाइल का अविष्कार किया।

1510 में दा विंची ने हॉरिजॉन्टल वाटर व्हील डिजाइन किया और नूर्नबर्ग, जर्मनी में पीटर हेनलेन ने पहली पोर्टेबल पॉकेट घड़ी का आविष्कार किया।

स्विस कलाकार उर्स ग्राफ ने 1513 में अपने स्टूडियो में नक़्क़ाशी का आविष्कार किया और उसी वर्ष मैकियावेली ने “द प्रिंस” लिखा।

1565 में जर्मन-स्विस प्रकृतिवादी कॉनराड गेस्नर द्वारा एक ग्रेफाइट पेंसिल का आविष्कार किया गया तो बोतलबंद बीयर 1568 में लंदन के पब में दिखाई दी, और जेरार्डस मर्केटर ने 1569 में मर्केटर मैप प्रोजेक्शन का आविष्कार किया।

1589 में, अंग्रेज विलियम ली ने “स्टॉकिंग फ्रेम” नामक बुनाई मशीन का आविष्कार किया।

नीदरलैंड में, जकारियास जानसेन ने 1590 में यौगिक सूक्ष्मदर्शी का आविष्कार किया , गैलीलियो ने 1593 में पानी के थर्मामीटर का आविष्कार किया। 

बस इतना ही अविष्कार हुआ, और इस दौरान मुग़ल भारत को एक करते हुए वर्तमान में “अखंड भारत” की परिकल्पना को साकार कर चुके थे और अफगानिस्तान से लेकर इरान तक भारत का हिस्सा थे।

विज्ञान की बात करूं तो विश्व के 7 अजूबों में से एक “ताजमहल” अपने आप में विज्ञान का अमूल्य नमूना है, मुगलों के लालकिला हो , उसमें मौजूद झरने हों जो बिना बिजली के चला करते थे‌ विज्ञान ही है।बिना लोहे के तमाम मेहराबदार गुंबद और आलीशान भवन विज्ञान ही हैं।

मुगलों के दौर में इसके अतिरिक्त भी बहुत कुछ हुआ है , रामचरितमानस लिखी गई, कबीर , सूरदास, रहीम , रसखान से लेकर नानक और बाबा गोरखनाथ तक का काल रहा और मुगलों ने सबको प्रोत्साहित किया।

चाहते तो सबको‌ शरजिल‌ इमाम और उमर खालिद की तरह अंदर करके , या डॉक्टर ज़ाकिर नाइक की तरह देश से बाहर करके हमेशा के लिए इनकी रचनाओं को विश्व पटल से गायब कर सकते थे।

सबसे बड़ी बात, मुगलों के काल में ही एक नये धर्म “सिख धर्म” का जन्म उदय और विस्तार हुआ।

मुगलों के काल में ही भारत “सोने की चिड़िया” कहलाई जब भारत की जीडीपी 25% और वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत का हिस्सा 40% था। तब युरोपीयन देश क्या कर रहे थे ? उस्मानिया हुकूमत के तलवे चाट रहे थे।

मगर कुछ लोग हकीकत को नही मानेगे 🇮🇳

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