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क्या 21 संगठनों के ग्रुप ने भड़काया कोल्हापुर दंगा

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5 जून 2023, रात के 10 बजे थे। महाराष्ट्र के कोल्हापुर में 16 साल के एक लड़के ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर दोस्त का वॉट्सऐप स्टेटस शेयर किया। ये 12 सेकेंड का वीडियो था, जिसके बैकग्राउंड में हरियाणवी गाना ‘बाप तो बाप रहेगा’ बज रहा था।

वीडियो में मुगल बादशाह औरंगजेब और टीपू सुल्तान की फोटो थीं। ये स्टेटस वायरल हो गया। अगले दिन यानी 6 जून को छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती थी। शहर के हिंदू संगठनों ने इसे अपना अपमान बताया और सोशल मीडिया पर बवाल शुरू हो गया। शाम होते-होते हिंदू संगठनों से जुड़े लोग लक्ष्मीपुरी पुलिस स्टेशन पहुंचे और दोनों नाबालिगों के खिलाफ केस दर्ज करवाया।

7 जून को कोल्हापुर बंद का ऐलान कर दिया गया। हिंदू नेताओं ने आरोप लगाया कि आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया गया। जबकि पुलिस के मुताबिक, शिकायत मिलने के कुछ ही घंटों में दोनों आरोपी और उनके चार साथियों को हिरासत में ले लिया गया था।

आरोपियों की गिरफ्तारी का दबाव बनाने के लिए हिंदूवादी संगठनों ने रैलियां निकालीं। इसमें लोकल नेताओं ने भीड़ जुटाई। इसी दौरान कोल्हापुर बंद की तैयारी की गई।

7 जून की सुबह 8 बजे के आसपास कोल्हापुर के छत्रपति शिवाजी चौक में लोग जमा होने लगे। शुरुआत में 4-5 हजार लोग थे। दोपहर 12 बजे तक 50 हजार के आसपास भीड़ जमा हो गई। इनका न कोई नेता था, न किसी संगठन का बैनर या पोस्टर। ज्यादातर लोगों के हाथों में भगवा झंडे थे।

ये भीड़ शिवाजी नगर से आगे बढ़ते हुए जैसे ही शनिवारपेठ, गंजी गली और मुंशी पालकर चौक पहुंची, पथराव शुरू हो गया। भास्कर के पास उस दिन के कुछ वीडियो हैं, इनमें भीड़ एक धर्म विशेष से जुड़े लोगों के घरों पर पथराव करती दिख रही है। दूसरे पक्ष के लोग भी अपनी छतों से भीड़ पर पत्थर फेंक रहे रहे हैं। इनमें महिलाएं भी शामिल हैं।

वीडियो 7 जून का है, जब हिंदूवादी संगठनों से जुड़े लोग मार्च निकाल रहे थे। उनका दावा है कि तभी छत से उन पर पत्थर फेंके गए।

कुछ ऐसे वीडियो भी सामने आए, जिसमें भीड़ कुछ लोगों को दौड़ाकर पीट भी रही है। तनाव बढ़ता देख पुलिस बीच में आई और लाठीचार्ज कर और आंसू गैस के गोले छोड़ उपद्रवियों को खदेड़ा। भीड़ ने कई दुकानों, मकानों और सड़क पर खड़ी गाड़ियों को तोड़ डाला।

तनाव को देखते हुए पूरे शहर में इंटरनेट सर्विस बंद कर दी गई। शहर में SRPF की चार कंपनियां, 300 कॉन्स्टेबल, 60 ऑफिसर तैनात कर दिए गए। दंगे जैसे हालात के बाद पूरे शहर की ड्रोन से निगरानी की जाने लगी।

इसके बाद शुरू हुआ गिरफ्तारियों का सिलसिला। 8 जून की शाम तक लक्ष्मीपुरी जूना राजवाड़ा और शाहूपुरी पुलिस स्टेशन में 400 अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज हुआ और 38 लोगों को गिरफ्तार किया गया। 100 से ज्यादा को पुलिस ने हिरासत में रखा और कुछ घंटे बाद घर जाने दिया।

30 ऑटो रिक्शा, 10 कारें, 18 टू-व्हीलर, 40 दुकानें, 10 से ज्यादा हाथगाड़ी और दो चिकन शॉप जला दी गईं। हालांकि दो दिन बाद यानी 9 जून को सब नॉर्मल हो गया। एहतियातन आज भी शहर के कई चौराहों पर पुलिस तैनात है। कई हिस्सों में दुकानों और मकानों के कांच टूटे देखे जा सकते हैं।

कोल्हापुर बंद के दौरान भीड़ ने कुछ लोगों पर हमला भी किया। इसका वीडियो सामने आया था, जिसमें दिख रहा है कि एक शख्स पर पत्थर फेंके गए, उसे डंडों से मारा गया।

पड़ताल: कैसे हुआ शहर में दंगा?
7 जून को कोल्हापुर में एक वॉट्सऐप स्टेटस से दंगा कैसे भड़का, इससे जुड़े कई सवाल हैं।

  • आखिर दंगे कैसे हुए?
  • कैसे कुछ ही घंटों में 50 हजार से ज्यादा लोग एक जगह जमा हुए, तोड़फोड़ और हंगामा करने लगे?
  • क्या इसके पीछे कोई संगठन या पार्टी थी?
  • पुलिस क्यों इन्हें रोकने में नाकाम रही?
  • क्या भीड़ सिर्फ टीपू सुल्तान और औरंगजेब की तस्वीरों को पोस्ट करने से नाराज थी या इसके पीछे कुछ और कारण थे?

इन सवालों का जवाब ढूंढने के लिए भास्कर ने प्रदर्शन में शामिल लोगों से बात की। सबसे पहले बजरंग दल के जिला संयोजक पराग फडणीस को फोन किया। पराग कोल्हापुर दंगों के मामले में आरोपी हैं।

एक धर्म के लोग लगातार हमारी भावनाएं आहत कर रहे थे: पराग
पराग फडणीस के मुताबिक, कोल्हापुर बंद का फैसला सिर्फ स्टेटस लगाने के बाद नहीं लिया गया था, बल्कि इससे पहले 5-6 घटनाएं हुईं थीं। एक धर्म विशेष के लोग लगातार हमारी भावनाएं आहत करने की कोशिश कर रहे थे। 3 जून को लव जिहाद का एक मामला सामने आया था। इसमें भी पुलिस ने कोई एक्शन नहीं लिया था।

पराग ने आगे बताया, ‘बंद बुलाने से पहले 10 से ज्यादा हिंदू संगठन से जुड़े लोगों ने लक्ष्मीपुरी पुलिस स्टेशन जाकर मामला दर्ज करवाया और आपत्तिजनक पोस्ट लिखने वालों की गिरफ्तारी की मांग की थी। पुलिस ने इस मामले में भी देर की, तो सोशल मीडिया से ये जानकारी पूरे शहर में फैल गई। इसके बाद और भीड़ पुलिस स्टेशन के सामने जमा हो गई।’

पराग ने आरोप लगाया कि ‘एक धर्म विशेष को सपोर्ट करने वाले कुछ लोगों के साथ पुलिस मिली हुई है। इसलिए कार्रवाई नहीं कर रही थी। इस बात से नाराज भीड़ उग्र हो गई। पुलिस स्टेशन के अंदर ही हमने तय किया कि अगले दिन यानी 7 जून को कोल्हापुर बंद रखा जाएगा।’

हिंदूवादी नेताओं के मुताबिक, बंद से पहले पुलिस ने संगठन से जुड़े 8 लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर उन्हें अरेस्ट कर लिया था। इससे लोग नाराज हो गए और तोड़फोड़ शुरू कर दी।

21 संगठनों वाला सकल हिंदू समाज था बंद के पीछे
छानबीन में पता चला कि ये बंद किसी एक संगठन ने नहीं, बल्कि सकल हिंदू समाज नाम के मंच की तरफ से बुलाया गया था। इसमें चार प्रमुख संगठन शामिल हैं, जिनमें VHP-बजरंग दल, शिव प्रतिष्ठान हिंदुस्तान, हिंदू एकता आंदोलन और जन जागृति समिति शामिल हैं। इसके अलावा हिंदू महासभा, BJP युवा मोर्चा समेत कुल 15 संगठन और 6 राजनीतिक दल के नेता भी इस मंच में शामिल हैं।

‘सकल हिंदू समाज’ के नाम पर शुरू हुई रैलियों और प्रदर्शनों में शामिल ज्यादातर लोगों के हाथों में भगवा झंडा, सिर पर भगवा टोपी-पगड़ी और हाथों में ‘लव जिहाद, लैंड जिहाद, धर्मांतरण, गोहत्या’ के बैनर और पोस्टर होते हैं। आधिकारिक तौर पर इन रैलियों का न कोई आयोजक है और न ही कोई एक संगठन, एक चेहरा इसके पीछे है।

पुलिस ने कार्रवाई नहीं की, उसी के बाद बिगड़ा माहौल
बजरंग दल के जिला संयोजक पराग फणनीस ने बताया, ‘माहौल बिगाड़ने के लिए पुलिस जिम्मेदार है। पहले उन्होंने FIR दर्ज करने में आनाकानी की। फिर आरोपियों को गिरफ्तार करने में देरी की। केस दर्ज करवाने गए लोगों को ही पकड़कर जेल में डाल दिया। पुलिस के इस रवैये से नाराज होकर लोगों ने कोल्हापुर बंद बुलाया था।’

पराग ने आगे बताया ‘हमने वॉट्सऐप के जरिए लोगों तक कोल्हापुर बंद करने और छत्रपति शिवाजी महाराज चौक पर पहुंचने का मैसेज पहुंचाया था।’ पराग ने इस बात को गलत बताया कि बंद में पुणे, सांगली या सतारा से लोग आए थे। उन्होंने कहा, ‘ज्यादातर लोग कोल्हापुर और आसपास के गांवों से थे।’

पराग जो भी कहें, लेकिन पुलिस जांच कर रही है कि बंद के दौरान शहर में भारी मात्रा में MH12 (पुणे), MH10 (सांगली) और MH 11 (सतारा) नंबर की गाड़ियां क्यों आई थीं। कुछ गाड़ियों को सीज भी किया गया है।

पुलिस धर्म विशेष के लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करती: शिवानंद स्वामी
पराग के बाद हम सकल हिंदू समाज से जुड़े शिवानंद स्वामी से मिले। उन्होंने बताया, ‘स्टेटस वाली घटना से पहले 6 और घटनाएं हुई थी। इससे हिंदू समाज नाराज था। इन 6 घटनाओं को लेकर हमने शहर के डीएसपी, एसपी और मंत्री को कार्रवाई के लिए लिखा था। इसके बाद औरंगजेब वाली घटना हुई। अगर वे कार्रवाई करते तो यह घटना होती ही नहीं।’

शिवानंद स्वामी के मुताबिक, ‘लव जिहाद के विरोध और हिंदुओं से जुड़े मामलों के लिए सकल हिंदू समाज बना है। 50 हजार से ज्यादा लोगों को कोई पक्ष या पार्टी नहीं बुला सकती। इसमें सभी राजनीतिक दलों से जुड़े लोग शामिल थे। कोल्हापुर बंद की बात सोशल मीडिया, मेन स्ट्रीम मीडिया से लोगों तक पहुंची थी।’ स्वामी ने भी कोल्हापुर के बाहर से लोगों को बुलाने की बात खारिज कर दी। उन्होंने कहा, ‘पुणे, सांगली और सतारा से किसी को नहीं बुलाया गया था।’

पुलिस ने हमारी बात नहीं सुनी तो बंद बुलाना पड़ा: रमेश शिंदे
सकल हिंदू समाज से जुड़े संगठन हिंदू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता रमेश शिंदे भी दंगों के लिए पुलिस की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराते हैं। उन्होंने बताया, ‘कोल्हापुर बंद सिर्फ एक सोशल मीडिया पोस्ट की वजह से नहीं हुआ था। इससे पहले हिंदू महिलाएं भजन कर रही थी और दूसरे धर्म के लोगों ने उन्हें रोका और फिर पीटा। अगले दिन लव जिहाद का एक मामला सामने आया। इसके बाद टीपू सुल्तान और औरंगजेब का मामला सामने आया।’

रमेश शिंदे के मुताबिक, हिंदू संगठनों से जुड़े लोग कार्रवाई की डिमांड लेकर पुलिस स्टेशन पहुंचे थे। हमारी बात नहीं सुनी गई, तो हमने बंद का फैसला लिया था। पुलिस ने हमें रोकने के लिए धारा-144 लगा दी, जिसके बाद लोग और भड़क गए। बंद का फैसला सकल हिंदू समाज से जुड़े सभी संगठनों के लोगों ने लिया था।’

लोकल नेताओं ने भीड़ को जमा किया…
लोगों को बुलाने के सवाल पर रमेश शिंदे ने बताया, ‘सभी संगठन के लोग लोकल लेवल पर काम करते हैं। उन्होंने ही लोगों को बुलाया था। इसके लिए कोई खास बुलावे की जरूरत नहीं थी। हम चाहते हैं कि जिन पुलिसकर्मियों ने सही से काम नहीं किया, उन पर एक्शन होना चाहिए।’

हिंदू संगठनों के नेताओं से बातचीत के बाद हमने पुलिस का पक्ष और केस का स्टेटस जानने के लिए एसीपी अजित टिके से बात करने की कोशिश की, पर उन्होंने बात करने से इनकार कर दिया। जानकारी के मुताबिक, इस केस में 38 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। अब सभी जमानत पर हैं। 400 से ज्यादा लोगों के खिलाफ दंगे भड़काने का केस दर्ज हुआ है।

सकल हिन्दू समाज क्या है? यह कैसे काम करता है? इसे कौन फंडिंग करता है? इसमें कौन-कौन से संगठन शामिल हैं? इसे लेकर भास्कर ने 10 मार्च को रिपोर्ट पब्लिश की थी।

सकल हिंदू समाज बदल रहा है…
भास्कर की पिछली पड़ताल में सामने आया था कि सकल हिंदू समाज लव जिहाद, लैंड जिहाद, गौहत्या, धर्मांतरण, नवरात्र में मुस्लिमों को गरबे में जाने से रोकने और इसी तरह के मुद्दों को लेकर नवंबर 2022 में बना था। तब इसका नाम ‘हिंदू जनआक्रोश मंच’ था। शुरू में राज्य के कई शहरों में इन मुद्दों को लेकर रैलियां हुईं थी।

सूत्रों के मुताबिक, अब तक 100 से ज्यादा रैलियां और प्रोटेस्ट ‘सकल हिंदू समाज’ के बैनर तले हो चुके हैं। इनमें खुलेआम एक धर्म से जुड़े लोगों पर मंच से निशाना साधा जाता है। पिछले कुछ महीनों से ये भी रूप बदल रहा है। पहले जहां ये सिर्फ रैलियों तक सीमित था, अब महाराष्ट्र में हुए हिंसक प्रदर्शनों में इसका नाम आ रहा है।

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