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अमेरिकी सांसद टिम बुर्चेट का अभद्र भाषा में पीएम पर ट्वीट, मोदी ने प्रशंसा समझ किया रिट्वीट

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी कांग्रेस के दोनों सदनों को संयुक्त रूप से संबोधित कर जहां भारतीय मीडिया में जमकर वाह-वाही बटोरी और तमाम सीनेटर ऑटोग्राफ के लिए कतारबद्ध रहे, वहीं एक अमेरिकी सांसद ने मोदी के साथ अपनी फोटो ट्विटर पर डालकर भारतीय सोशल मीडिया में सुबह से नया तूफ़ान खड़ा कर दिया है।

टिम बुर्चेट, जिन्होंने ट्विटर पर अपना परिचय देते हुए जानकारी साझा की है- Married to Kelly. Father to Isabel. Congressman representing #TN02 Former @KnoxGov Mayor. Former state legislator. Fiscally conservative Republican.

23 मई को पीएम मोदी के साथ अपनी तस्वीर को साझा करते हुए टिम बुर्चेट लिखते हैं: ‘Shameless @narendramodi selfie. I gave him an autographed baseball card.’

यह ट्वीट अपने आप में विरोधाभासी लगता है, लेकिन इन महोदय की ओर से इसका कोई खंडन अभी तक नहीं किया गया है, न ही कोई क्षमा मांगते हुए ट्वीट ही जारी किया गया है।

उससे भी आश्चर्यजनक बात यह है कि इस ट्वीट को स्वंय पीएम मोदी ने रिट्वीट करते हुए लिखा- टिम बुर्चेट से मुलाक़ात शानदार रही।

आज जब 2 बजे दोपहर को यह खबर जारी की जा रही है, पीएम मोदी के इस ट्वीट को 23 लाख लोग देख चुके हैं। 45,000 से ज्यादा लाइक मिल चुके हैं और 4,700 बार इसे लोगों ने रिट्वीट कर दिया है। लेकिन अभी तक किसी भाजपा आईटी सेल ने उन्हें इस बारे में खबर नहीं की है कि इस ट्वीट में असल में किन शब्दों से टिम ने भारत के सम्माननीय प्रधानमंत्री को संबोधित किया है। यह भाजपा की आईटी सेल और उसके चीफ अमित मालवीय के चौकन्नेपन की असलियत बताता है।

राजेश गिग्लानी नामक एक भारतीय ट्विटर यूजर ने इस पर घोर आपत्ति जताते हुए इसे शर्मनाक हरकत बताया है। उससे भी बढ़कर शर्मनाक बात राजेश को यह लगती है कि प्रधानमंत्री ने इस घटिया ट्वीट को खुद रिट्वीट किया है।

एक और ट्विटर यूजर याना मीर ने इस ट्वीट पर आपत्ति जताते हुए टिम बुर्चेट को कुछ सलाह दी है। उनका कहना है कि पहले शेष विश्व से अमेरिकियों को तमीज से पेश आने की जरूरत है। दिन ब दिन अमेरिकी लोगों की अंग्रेजी बेहद आक्रामक होती जा रही है।

दुनिया के मामलों और विश्व को बचाने जैसी मुहिम में कूदने से पहले अमेरिका को अपनी भाषा की रक्षा करनी चाहिए।

टिम बुर्चेट जैसे अमेरिकी कानून-निर्माताओं के खिलाफ भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से कड़ा प्रतिवाद किया जाना चाहिए। भारत के भीतर भले ही पक्ष-विपक्ष या भाजपा सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ आपका विरोध हो, लेकिन किसी भी महाशक्ति को यह हक़ नहीं कि वह भारतीय संविधान के तहत नियुक्त किसी भी कानून-निर्माता का ऐसा मखौल उड़ाए।

टिम बुर्चेट जैसे अमेरिकियों को भारत की जनता से सार्वजनिक तौर पर माफ़ी मांगने के लिए विदेश सचिव अरिंदम बागची को सीधे अमेरिका के भारत स्थित राजदूत को तलब करना चाहिए।

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