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‘सिंधिया के समर्थकों को बीजेपी का टिकट मिलना भी तय नहीं’- जयवर्धन सिंह

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इंदौरः ग्वालियर और राघोगढ़ राजघरानों के बीच दुश्मनी की कहानी 200 साल से भी ज्यादा पुरानी है। आजादी के बाद दोनों घरानों ने सियासत में कदम रखे तो यह अदावत जारी रही। कई पीढ़ियों से चली आ रही इस कहानी में अब पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह की भी एंट्री हो गई है। जयवर्धन ने ग्वालियर के महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया पर निशाना साधा है।

जयवर्धन सिंह ने कहा है कि तीन साल पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले सिंधिया की उनके गृह राज्य मध्य प्रदेश में भावी भूमिका संदिग्ध है। यह बात भी संदेह के घेरे में है कि सिंधिया के साथ दल-बदल कर भाजपा में आने वाले उनके समर्थकों को इस साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनाव में दोबारा टिकट मिलेगा या नहीं।

गौरतलब है कि सिंधिया की सरपरस्ती में कांग्रेस के 22 बागी विधायकों के विधानसभा से त्यागपत्र देकर भाजपा में शामिल होने के कारण तत्कालीन कमलनाथ सरकार का 20 मार्च 2020 को पतन हो गया था। इसके बाद शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा 23 मार्च 2020 को सत्ता में लौट आई थी।

जयवर्धन ने इंदौर में कहा कि जिस भाजपा ने सिंधिया को 2019 के लोकसभा चुनाव में उनकी परंपरागत गुना सीट पर हराया, वह पाला बदल कर उसी में शामिल हो गए। उन्होंने कहा,‘‘सिंधिया अब केंद्र में भाजपा की अगुवाई वाली सरकार में मंत्री और राज्यसभा के सदस्य हैं। उनकी मध्य प्रदेश में आगे क्या भूमिका रहेगी, यह बात संदिग्ध है।’’

जयवर्धन ने कहा कि वैसे सिंधिया की प्राथमिकता रहेगी कि उनकी सरपरस्ती में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने के बाद विधायक और मंत्री बने उनके समर्थकों को आगामी विधानसभा चुनावों में फिर से भाजपा का टिकट मिल जाए। उन्होंने कहा कि चूंकि भाजपा हमेशा ‘‘बहुत सारे बदलाव’’ करती है, इसलिए यह बात भी संदिग्ध है कि आगामी विधानसभा चुनाव में सिंधिया के समर्थकों को इस पार्टी का टिकट दोबारा मिल सकेगा या नहीं।

जयवर्धन ने इन अटकलों को खारिज किया कि उनके पिता दिग्विजय सिंह ने सिंधिया के कांग्रेस में रहने के दौरान हमेशा उनकी आवाज दबाने की कोशिश की ताकि वह राज्य की सियासत में अपने बेटे (जयवर्धन) को आगे बढ़ा सकें। उन्होंने कहा,‘‘क्या सिंधिया इतने कमजोर हैं कि मैं उन्हें दबा सकता हूं? वह कांग्रेस के बड़े नेता रहे हैं। वह (कांग्रेस नीत) संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार में मंत्री भी रहे हैं। जब सिंधिया कांग्रेस में थे, तब राहुल गांधी पार्टी की हर सभा में कमलनाथ के बाद सिंधिया का ही नाम लेते थे।’’

सिंधिया के कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल होने का सबब पूछे जाने पर जयवर्धन ने कहा कि कांग्रेस में रहने के दौरान सिंधिया को पूरा सम्मान दिया गया था। लगता है कि वह पिछले लोकसभा चुनाव में गुना सीट से अपनी हार का दंश नहीं झेल सके।

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