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*सुधारें परवरिश पैटर्न वर्ना चौपट होगी बच्चे की मेंटल हेल्थ*

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          ~ रीता चौधरी 

    बच्चे के साथ उसके माता-पिता भी बड़े होते हैं। यह जरूरी नहीं है कि बच्चे के पैदा होते ही आप पेरेंटिंग के सभी तरीके सीख जाएं। बल्कि कई बार पेरेंट्स को पता ही नहीं होता कि उनकी वजह से बच्चे की पर्सनेलिटी और मेंटल हेल्थ पर असर पड़ रहा है।

       कई बार आपने देखा होगा कि कुछ बच्चे बहुत ज्यादा चिड़चिड़े, उदास या गुस्से में दिखते हैं। यह जानना बहुत जरूरी है कि इसके पीछे क्या कारण है। हर माता-पिता की कोशिश होती है कि वे अपने बच्चे को अच्छी से अच्छी परवरिश दें, उन्हे अच्छी शिक्षा और अच्छा बरताव करना सिखाएं।

      कई बार बच्चे का बहुत ज्यादा ख्याल रखना भी परेशानी का कारण बन सकता है। इसलिए बच्चे की सही परवरिश के लिए उन नकारात्मक चीजों (signs of toxic parenting) को पहचानना जरूरी होता है जो बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती हैं।

बच्चे का पालन-पोषण उसके मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ पूरे स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है। पालन-पोषण में बहुत ज्यादा चीजों को करने का दबाव डालना बच्चे को भवानात्मक रूप से प्रभावित करता है। बच्चे की तुलना करना, कमतर आंकना ऐसी हरकतें हैं जो बच्चे के आत्मविश्वास को कमजोर करती हैं।

बच्चे के मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले संकेतक :

     *1. भावनात्मक संकट :*

 यदि आपका बच्चा बार-बार चिंता, अवसाद, क्रोध या अत्यधिक मूड परिवर्तन के लक्षण का सामना कर रहा है, तो यह संकेत हो सकता है कि आपकी पालन-पोषण शैली उसके मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही है।

*2. आत्मसम्मान की कमी :*

अगर बच्चा लगातार आत्मसम्मान की कमी महसूस करता है, सेल्फ एस्टीम बनाए रखने में उसे मुश्किल होती है, या बार-बार किसी काम के लिए पूछना चाहता है, तो यह नकारात्मक या अत्यधिक आलोचनात्मक पालन-पोषण का परिणाम हो सकता है।

*3. किसी भी चीज में भाग न लेना :*

      यदि आपका बच्चा अक्सर सामाजिक गतिविधियों से दूर हो जाता है, खुद को अलग कर लेता है, या दूसरों के साथ बातचीत करने से बचता है, तो यह उनके पालन-पोषण के माहौल के कारण होने वाले भावनात्मक संकट का संकेत हो सकता है।

*4. एक्सीलेंस के दबाव में रहना :*

       बच्चा हर चीज में पर्फेक्ट होने की कोशिश कर रहा है, लगातार विफलता से डरता है, या उच्च उम्मीदों को रखता है, तो यह संकेत हो सकता है कि वह अपनी पालन-पोषण शैली से अत्यधिक दबाव का अनुभव कर रहा है।

 *हेल्दी पेंरेंटिंग में सहायक टिप्स :*

      1. घर का माहौल पॉजिटिव बनाएं :

       घर पर बच्चे के साथ एक साकारात्मक माहौल बनाने की कोशिश करें। घर में प्यार, समझ और स्वीकृति का माहौल बनाएं। सहानुभूति दिखाएं और सक्रिय रूप से अपने बच्चे की भावनाओं और चिंताओं को सुनें।

बच्चे के अच्छे दोस्त बनें और उससे जुड़ी हर समस्या को गंभीरता से लें।

    2.खुल कर बातचीत करें

         अपने बच्चे के लिए जजमेंट या दंड के डर के बिना खुद को अभिव्यक्त करने के लिए एक सुरक्षित स्थान स्थापित करें।

     उनके विचारों, चिंताओं और अनुभवों को समझने के लिए नियमित बातचीत करें और उनकी बातों को समझने की कोशिश करें।

3. पूरी होने लायक अपेक्षा रखें :

      अवास्तविक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अपने बच्चे पर अत्यधिक दबाव डालने से बचें।

       उनकी व्यक्तिगत क्षमताओं और सीमाओं का सम्मान करते हुए उनके हितों को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करें। बहुत ज्यादा कुछ भी करने की अपेक्षा बच्चों से न करें।

4. किसी भी परिस्थिति से मुकाबला करना सिखाएं :

     अपने बच्चे को तनाव से निपटने के लिए प्रभावी तंत्र विकसित करने में मदद करें, जैसे गहरी सांस लेना, माइंड के व्यायाम, या उन गतिविधियों में संलग्न होना जो उन्हें पसंद हैं।

     उन्हें अपनी भावनाओं को व्यक्त करने और जरूरत पड़ने पर मदद मांगने के लिए प्रोत्साहित करें।

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