भरत गहलोत
आजकल सोशल मीडिया पर हैकिंग के माध्यम से कई आपराधिक गतिविधियों को अंजाम दिया जाता है,
किसी तकनीकी यंत्र धारक को उस घटना की जानकारी भी नही होती है,
उसे जब पता चलता है तब तक देर हो चुकी होती है,
तब तक वो किसी कानूनी पेशीदे मामले में फस भी जाता है,
अकारण मानसिक तनाव को प्राप्त हो जाता है,
जिसने कानूनी मामला दर्ज कराया उसको भी पता होता है की अमुक लड़का(व्यक्ति)निर्दोष है फिर भी उसे मानसिक प्रताड़ित किया जाता है,
कुछ रूपए एथने के खातिर या फिर अपनी झूठी शान के लिए,
क्योंकि जब मुकदमा दर्ज कराया था तब भी उन्हे पता था कि अमुक व्यक्ति के मोबाइल हैक हो गया है वह व्यक्ति निर्दोष है फिर भी उसे कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाने को मजबूर किया जाता है,
और ऐसे व्यक्ति को सीधे साधे व्यक्ति को जिसको अपने निर्दोष होने का कोई सबूत पास में नही होने के कारण चक्कर कटवाए जाते है,
हिंदी फिल्मों में जिस प्रकार मुवक्किल को तारीख पर तारीख मिलती है
उसी प्रकार सिर्फ मिलती है तो बस तारीख,
अधिवक्ता महोदय का तो तारीख पर तारीख लेने का ही काम है,
पर निर्दोष इंसान को बहुत तकलीफ होती है,
कही बार तो अपनी झूठी शान की खातिर जो केस दायर करने वाले है वे चाहकर भी केस वापिस नही ले पाते है,
और सबूत के अभाव में निर्दोष इंसान कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाता रहता है न्याय की आश में,
पर मिलती है बस उसे तारीख पर तारीख,
और न जाने कितना लंबा चलता है केस,
इसमें निर्दोष इंसान जो होता है वो जो कहते है ना की सांच को आंच नही ऐसा ही होता है पर मानसिक तनाव से गुजरता है वो व्यक्ति,
खैर सत्य परेशान हो सकता है पर पराजित नही,
एक दिन उस निर्दोष व्यक्ति को जरूर न्याय मिलेगा वो व्यक्ति बाइज्जत बरी हो जाएगा ,
और उन लोगो के मुख पर यह तमाशा होगा जो तकनीकी का गलत उपयोग करते है गलत तथ्यों की आड़ में सीधे साधे आदमी को सबूत का जिसके पास में अभाव होता है उसे परेशान किया जाता है,
सत्यमेव जयते
जय हिंद ,जय भारत,
✍️✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान
संपर्क सूत्र -7742016184