इंदौर
आषाढ़ माह में हो रही बारिश से इंदौर और उसके आसपास के पर्यटन स्थलों को खूबसूरत बना दिया है जबकि अभी तीन माह बाकी हैं। शुरुआती बारिश में ही इन पर्यटन स्थलों पर जैसे हरियाली ने चादर ओढ़ ली है। इन स्थलों पर बहते झरने, नदी के पानी की कल-कल आवाज, सुंदर वादिया लोगों को काफी आकर्षित कर रही है। लोग अब यहां पिकनिक मनाने के लिए जाने भी लगे हैं। अभी ज्यादा भीड़ चोरल नदी, पातालपानी और जानापाव में हैं। ये पर्यटन स्थल लोगों के लिए खास इसलिए भी हैं क्योंकि अभी ये स्थल मनोरम तो हैं ही यहां जाना भी आसान है और खाने-पीने की काफी सुविधाए हैं।
चोरल : खूब आनंद लें लेकिन खतरों से रहे दूर
चोरल नदी मालवा-निमाड़ की बरसाती नदी कहलाती है। इसका असली स्वरूप बारिश के चार महीनों में ही देखने को मिलता है। चूंकि अब जून माह में अच्छी बारिश हो चुकी है तो नदी के आसपास की पहाड़ियों की हरियाली, ठण्डी हवाएं और नदी का पानी लोगों को काफी आकर्षित कर रहा है। वैसे चोरल नदी और चोरल डेम अलग हैं। इंदौर से लोग अकसर चोरल नदी ही जाते हैं जबकि चोरल डेम महू से 25 किमी दूर है।
कितनी है दूरी : इंदौर से चोरल नदी की दूरी करीब 36 किमी है और करीब डेढ़ घंटे का सफर है।
कौन से मार्ग से जाएं : चोरल नदी जाने के लिए खण्डवा रोड से जाया जा सकता है। चूंकि अभी भंवरकुआ चौराहा, आईटी पार्क चौराहा, तेजाजी नगर चौराहा से लेकर आगे तक फोर लेन का काम चल रहा है व बारिश का दौर है तो समय ज्यादा लगना स्वाभाविक है। बीच में कई स्थानों पर सीमेंट की सड़कें बन चुकी हैं लेकिन कई स्थानों पर काम भी चल रहा है इसलिए वाहन की गति एक जैसी नहीं है।
क्या ध्यान रखें : इस मार्ग पर तेज गति व ओवरटेक से कई बार दुर्घटनाएं हुई हैं इसलिए औसत स्पीड से ही वाहन चलाएं। इंदौर से चोरल के लिए बसें भी उपलब्ध हैं।
और क्या है यहां : सिमरोल से आगे पहाड़ों की हरियाली, बड़ी-बड़ी खाइयां, घुमावदार घाट के आसपास के दृश्य काफी अच्छे हैं। बारिश होने के दौरान चोरल की पहाड़ियों से पानी उतरकर नदी में मिलकर तेजी से बह रहा है जो काफी आकर्षक है।
खास इसका ध्यान रखें : वैसे तो चोरल स्थल पर नदी व खतरनाक स्थल तक नहीं जाने के लिए नोटिस लगाए गए हैं और पुलिस की भी व्यवस्था है। इसके बावजूद लोग अनदेखी कर आगे चले जाते हैं और चट्टानों पर बैठकर आनंद लेते हैं लेकिन जैसे ही बारिश तेज होती है तो पहाडियों से पानी उतरकर तेजी से नदी की ओर आता है और तेज बहाव बनता है जिसके कारण हादसे होते हैं। ऐसे में नदी के बीच या आसपास की चट्टानों पर न बैठें।
खान-पान में क्या : घाट शुरू होते ही सड़क के दोनों ओर गरमा-गरम भुट्टों व ककड़ी के ठिये हैं जिन्हें इस मौसम में खाने का मजा ही कुछ और है। कुछेक स्थानों पर मूंगफली व भजिये के ठेले भी लगने लगे हैं। चोरल के पास 4-6 ढाबे और रेस्टारेंट भी हैं जहां चाय, नाश्ता, भोजन किया जा सकता है। बाई ग्राम के पास भी दो ढाबे हैं।
पातालपानी : 300 मीटर की ऊंचाई से बहता झरना
यहां 300 मीटर की ऊंचाई से बहता पानी का झरना सबसे खास आकर्षण का केंद्र है। कुण्ड का पानी काफी गहराई तक जाता है इसलिए इसका नाम ‘पातालपानी’ रखा गया है। इसके आसपास के घने जंगल, हरियाली लोगों को लुभाती है। इसके आसपास के स्थलों के लिए हेरिटेज ट्रेन भी संचालित की जाती रही है लेकिन अभी बंद हैष
कितनी है दूरी : इंदौर से पातालपानी की दूरी 32 किमी है जबकि महू से 6 किमी दूर है। यहां जाने के लिए इंदौर से बायपास या एबी रोड से महू होकर जाना होगा। एक अन्य मार्ग चोरल रेलवे फाटक के पास का है। यह रास्ता 32 किमी से ज्यादा दूर है तथा यहां रास्तेभर की प्राकृतिक छटाएं आनंद को दोगुना कर देती है। यहां फोन व्हीलर जाने का रास्ता नहीं है।
क्या ध्यान रखें : चूंकि बायपास और एबी रोड दोनों से ही भारी वाहन तेजी से गुजरते हैं इसलिए संभलकर वाहन चलाएं। महू सैन्य क्षेत्र होने से वहां से गुजरने में कोई बाधा नहीं है। उसके बाद का रास्ता बारिश के दिनों के लिहाज से सावधानी से गुजरने का है।
क्या खास ध्यान रखें : कई हादसे बाद रैलिंग बना दी लेकिन हादसे से निपटने के लिए कोई संसाधन नहीं है। कोई भी घटना घटित होने पर रेस्क्यु टीम को पहुंचने में डेढ़-दो घंटे का समय लग जाता है।।
और क्या है यहां : खूबसूरत बड़ा झरना, हरियाली. अंग्रेजों के समय बने ट्रैक व चार बोगदे।
खान-पान में क्या : भुट्टे, ककड़ी आदि के ठिये हैं। इसके अलावा शनिवार व रविवार को समोसे, कचोरी, भेल, छोटे टिकिया, भजियों की काफी दुकानें लग जाती हैंष
जानापाव : जितना ऊंचा रास्ता उतना आनंद
जानापाव और जाम गेट ऊंचाई पर होने के कारण यहां पर बादल नीचे होने का अहसास होता है। बारिश के मौसम में इन स्पॉटों पर कोहरा छा जाता है। इन दोनों पिकनिक स्पॉट्स का लुत्फ लेने केस लिए यहां बड़ी संख्या में सैलानी आते हैं। पहाड़ी के शिखर से यहां का नजारा बहुत ही आकर्षक दिखाई देता है। जितनी खूबसूरत यह जगह है उससे कई गुना ज्यादा खूबसूरत यहां तक पहुंचने का रास्ता है। हालांकि यह रास्ता चढ़ावनुमा है। इस स्थल पर सात नदियों का उद्गम हुआ था। जानापा भगवान परशुराम का जन्म स्थान भी माना जाता है। यहां लोग नैसर्गिक आनंद लेते पहुंचते हैं।
कितनी है दूरी : इंदौर से 40 किमी दूर है। इसके लिए राऊ-खलघाट बायपास से जाना होगा। महू से 17 किमी दूर है जबकि मानपुर से 7 किमी पहले है। इंदौर से जाने के दौरान मानपुर के पहले बाायी ओर जानापाव का साइन बोर्ड लगा है। यहां मोड़ने के बाद कुटी गांव है उसे क्रॉस करना होगा। दूसरा रास्ते के रूप में महू होते हुए ड्रीमलैण्ड चौराहा, गवली पलासिया, भिचौली गांव होकर तीन किमी आगे जाना होगा।
क्या ध्यान रखें : राऊ-खलघाट से मुड़ने के बाद सिंगल रोड है और 4 किमी का चढ़ाव रूपी रास्ता है। यहां कई बार बड़े वाहन तक पिकअप नहीं ले पाते और खड़े हो जाते हैं। कई बार आधे लोगों को पैदल उतरकर जाना पड़ता है। टू व्हीलर में दो सवारी के दौरान कोई परेशानी नहीं है लेकिन तीन सवारी पर टू व्हीलर भी लोड नहीं ले पाते।
खास इसका ध्यान रखें : राऊ-खलघाट बायपास से मुड़ने के चार किमी का जो रास्ता है वहां अकसर जाम की स्थिति बनती है। यहां भगवान परशुराम की जन्मस्थली होने के कारण शराब व नॉनवेज प्रतिबंधित है। परिवार के साथ घर से लाया शाकाहारी भोजन कर सकते हैं।
खान-पान में क्या : यहां होटल, ढाबे व रेस्टारेंट नहीं हैंं। यहां केवल भुट्टे ही मिलते हैं। इसका जरूर ध्यान रखें।