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ऐसी कोई रात नहीं, जिसे सूर्योदय हरा न सके

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पूर्वोत्तर की सात बहनों में से एक, अरुणाचल प्रदेश के अंजॉ जिले की पूर्वी सीमा पर है डोंग। भारत के सबसे दूर-दराज के इलाकों में से एक और इसमें भी दूर-दराज है वह जगह, जहां पहुंचने के लिए देशभर से आए पर्यटक आधी रात ही सफर शुरू कर देते हैं। जानते हैं, ऐसा क्या खास है इस जगह में, जो लोगों को मुंह अंधेरे ही उठने को मजबूर कर देती है, खींचने लगती है अपनी ओर?

इस जगह पड़ती है दिन की पहली रोशनी। भारत की जमीन से सूरज की पहली किरण यहीं टकराती है। यहीं से होती है हर दिन एक नई शुरुआत।

जर्मन विद्वान मैक्स मूलर का कहना था, ‘सूरज की रोशनी बिना एक फूल खिल नहीं सकता, प्यार बिना इंसान जीवित नहीं रह सकता।’

दिन का पहला उजाला प्यार है। जिस तरह से एक मां अपने बच्चे को हौले-हौले नींद से जगाती है, उसकी उनींदी आंखों को खोलने के लिए किस्से-कहानियां सुनाती है, उसी तरह होती है प्रकाश की पहली किरण। मौसम कैसा भी हो, बिल्कुल रूई-सी मुलायम लगती है पहली किरण, मखमली स्पर्श जैसी, सोने के तार की तरह चमकती हुई।

दिन का पहला उजाला जीवन है। पहली रोशनी हरकत भर देती है पूरी सृष्टि में। चिड़ियां चहचहाने लगती हैं, पत्ते खिल उठते हैं, कलियां खिलने को तैयार हो जाती हैं। यह कायनात अनगिनत आश्चर्यों से भरी पड़ी है। हर दिन ना जाने कितने आश्चर्य जन्म लेते हैं। हमारी धरती पर और उन सभी की शुरुआत होती है इस पहली किरण से।

जब सूरज डूबता है, रात होती है, तारे चमकते हैं, तो ऐसा लगता है कि यह अंधेरा कभी छंटेगा ही नहीं। काला रंग हमेशा चढ़ा रहेगा हर चीज पर। लेकिन, रात खत्म होती है और अंधेरा भी दूर होता है। बस वह पहली किरण ही काफी होती है अंधकार की सेना को हराने के लिए। दिन का पहला उजाला उम्मीद है कि अंधेरा कितना भी घना हो, उसे हटना ही है।

दिन का पहला उजाला हमारे शरीर को बताता है कि ‘उठो, अब जागने का वक्त हो गया। उठो और एक नई शुरुआत करो।’ हमारे शरीर के अंदर भी फिट होती है एक घड़ी, जिसे वैज्ञानिक बायोलॉजिकल क्लॉक कहते हैं। यह घड़ी इसी रोशनी से चलती है। इस घड़ी में वक्त दुरुस्त रहता है, तो केवल इसी पहली किरण की वजह से।

सुबह की रोशनी हार्मोन और न्यूरोट्रांसमीटर का एक स्रोत पैदा करती है शरीर में, जिससे मन प्रसन्न हो जाता है। इस रोशनी को जितना सोखेंगे हम, उतना ही स्वस्थ और प्रसन्नचित्त महसूस करेंगे। पहली किरण में ताकत होती है, जो शरीर को मजबूती दे, हड्डियों में ताकत भरे।

पश्चिम से पूरब तक, दुनिया की लगभग सारी ही सभ्यताओं में सूरज को देवता माना गया है। उसके पास पिता का दर्जा है। गर्मियों में वह अपने तेवर सख्त कर हमारी परीक्षा लेता है, तो सर्दियों में हमें प्यार से सहलाता भी है। हर दिन नियत समय पर काम पर आता है, लेकिन कभी-कभी बादल में छुपकर खेलने भी लग जाता है, बिल्कुल किसी पिता की तरह। सूरज को यह ओहदा दिलाने में बड़ा हाथ है उसकी पहली रोशनी का।

दिन का पहला उजाला ज्ञान है। सुबह-सुबह दिमाग एक कोरे कागज के साथ तैयार रहता है। लेकिन, उस कागज पर लिखा क्या जाए, यह विचार पहली किरण के साथ ही आता है। सर्वोत्तम विचार पहली रोशनी के साथ ही आते हैं, सूरज के अपने पूरे रुआब पर पहुंचने से पहले।

रोशनी के पहले कतरे के चमत्कार को महसूस करने के लिए आपको बस एक काम करना है, अपने कदम आगे बढ़ाने हैं। उठिए और निकलिए। देखिए, क्षितिज पर उठती लालिमा को और उससे फूटती सुनहरी रेखाओं को, जो सीधे आपसे मिलने के लिए आ रही हैं।

यही वह वक्त है, जब अपने अतीत को भुलाकर आगे बढ़ सकते हैं, थाम सकते हैं उन किरणों को। यह मौका है अपनी सभी समस्याओं को पीछे छोड़ने का। एक नई ऊर्जा महसूस करने का। खुद को रीचार्ज करने का। बिल्कुल सही समय एक सही शुरुआत के लिए।

इन किरणों से आप खुद भी रोशन हो सकते हैं और किसी और को भी रोशन कर सकते हैं। खुद भरोसे से भर सकते हैं और दूसरों का भी भरोसा बन सकते हैं। एक नया नजरिया ले सकते हैं और दूसरों को एक नई राह दिखा सकते हैं।

20वीं सदी के अंग्रेज दार्शनिक बर्नार्ड विलियम्स ने कहा था, ‘ऐसी कोई रात या समस्या नहीं, जिसे सूर्योदय या उम्मीद से हराया ना जा सके।’ चलिए, उसी उम्मीद को महसूस करते हैं आने वाली सुबह।

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