अग्नि आलोक
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…अब सिर्फ़ आदिवासी होने से काम नहीं चलेगा !

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तुमने हमें असभ्य और जंगली कहा
हमने ध्यान नहीं दिया

तुमने हमें आदिवासी नहीं
अनुसूचित जनजाति कहा
जिसका हमने आज तक
मतलब ही नहीं समझा

अब तुम हमें माओवादी
कह रहे हो
जिसे हमने स्वीकार कर लिया है
ये मानते हुए कि
अब सिर्फ़ आदिवासी होने से काम नहीं चलेगा

भले ही इसके बदले में हमें
कितनी भी बड़ी कीमत चुकानी पड़े !

इसके अलावा और कोई रास्ता
नहीं है हमारे पास
अपना अस्तित्व बचाने का
तुमसे मुक्ति पाने का
जिसका हमने भी कसम खा लिया है.

  • विनोद शंकर

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