शशिकांत गुप्ते इंदौर
सीतारामजी ने आज मुझे से बहुत ही व्यक्तिगत प्रश्न पूछ लिया?
सीतारामजी का प्रश्न है,आप ज्योतिषी हो,आप तो प्रत्येक कार्य मुहूर्त देख कर ही करते होंगे?
मैने कहा मै व्यवहारिक ज्ञान का उपयोग करता हूं,मतलब यदि मुझे बुखार आता है,तो पहले मैं चिकित्सक के पास जाता हूं। चिकित्सक के परीक्षण के बाद दवाई कैसे और कितने अंतराल के बाद लेना यह जानने के बाद घर आकर इत्मीनान से बैठ कर पंचाग देखता हूं कि, मुझे बुखार आने के लिए क्या ग्रह योग बने होंगे?
यदि बुखार आते ही पंचांग देखने बैठूंगा तो मेरा बुखार दिमाग में चढ़ने की भी संभावना हो सकती है।
मैने कहा हमेशा देश-काल और परिस्थिति के अनुसार प्राकृतिक रूप से बदलाव होता है,इस प्राकृतिक बदलाव के महत्व को समझना चाहिए।
यातायात के लिए उपलब्ध,हवाई सेवा,रेल सेवा सड़कों पर दौड़ने वाले वाहनों द्वारा सभी नागरिकों के लिए उपलब्ध सेवाएं अहर्निश प्रदान की जाती है।
क्या रास्ते कोई दुर्घटना होती है तो वह दुर्घटना मुहूर्त देखकर होती है?
मै ने अपनी बात को व्यंग्यात्मक रूप से प्रकट करते हुए सीतारामजी से पूछा यदि मुहूर्त का सच में इतना महत्व है तो भ्रष्टाचार की राशि लेने के लिए भी मुहूर्त पूछा जाना चाहिए?
भ्रष्टाचार जैसा गैर कानूनी कृत्य भी शुभ मुहूर्त से संपन्न होगा तो भ्रषाचार करने वालों कानूनी कार्यवाही का डर रहेगा ही नहीं?
(वैसी भी गैर कानूनी कार्य करने वाले कानून से डरते कहां हैं)
मैने एक किवदंती सुनी है कि, दस्सु लोग, डाका डालने के पूर्व उनकी आराध्य देवी के दर्शन कर देवी से डाका निर्विघ्न सम्पन्न होने के लिए आशीर्वाद प्राप्त कर अपने व्यवसाय के लिए निकलते हैं।
त्रेता युग में वशिष्ठ मुनि ने दशरथ नंदन भगवान के अवतार के रूप में जन्मे प्रभु रामचंद्रजी के लिए,राज्याभिषेक का मुहूर्त निकाला था,लेकिन प्रभु को भी प्रारब्ध वश कानन यात्रा के लिए निकलना पड़ा।
इक्कीसवीं सदी में पहुंचने के बाद भी हम मानसिक रूप से संकीर्ण सोच को त्याग नहीं पा रहे हैं। रूढ़ियों, कुरीतियों और संकुचित मान्यताओं के विरुद्ध संघर्ष करने का साहस जुटा नहीं पा रहे हैं।
प्रख्यात समाजवादी विचारक,चिंतक, डॉ. राम मनोहर लोहियाजी ने कहा है कि,धारा के विपरित चलने जो साहस कर पता है वह सच्चा इंसान है।
अहम सवाल है कि,हम यथास्थितिवाद के विरुद्ध जब तक मुखर होकर आवाज नही उठाएंगे,तब तक हम संकीर्ण मानसिकता में भी कड़के रहेंगे।
अंध विश्वास से ग्रस्त होकर हम संकीर्ण मानसिकता से बाहर आने के लिए भी मुहूर्त का ही इंतजार करेंगे।
मणिपुर में भारतीय नारियों को ना सिर्फ निर्वस्त्र सार्वजनिक स्थानों में घुमाया स्त्रियों के साथ पाशविक कृत्य करते हुए जघन्य अपराधियों ने कौन सा शुभ मुहूर्त देखा होगा जिस कारण माननीय सर्वोच्च न्यायालय की फटकार के बाद घिनौना कृत्य करने वालों पर कार्यवाही करने की प्रक्रिया अपनाई गई?
भ्रष्टाचार के आरोपों की फाइलें किस शुभ मुहूर्त में खुलेगी जो फाईलें गंभीर आरोपों के बाद भी बंद पड़ी है।
एक बात तो माननी पड़ेगी कि, एक अदृश्य वाशिंग मशीन जरूर किसी शुभ मुहूर्त में प्राप्त की होगी।
*इशारों कों अगर समझो, राज को राज रहने दो*
*राज खुनले का पहले तुम, अंजाम सोच लो*
इन दिनों सच बोलना तो क्या वाणी की स्वतंत्रता का अधिकार भी सिर्फ संविधान की पुस्तक में कैद होकर एक गया है।
बोलने का अंजाम बगैर मुहूर्त के आप किसी भी जांच एजेंसी के शिकार हो सकते हैं।