डॉ. प्रिया
खाना हमारे जीवन का एक बेहद ही महत्वपूर्ण कार्य है। खाना न सिर्फ हमारे टेस्ट बड्स को स्वाद देता है बल्कि हमारे शरीर को बेहतर स्वास्थ्य भी देता है। लेकिन यह भोजन सेहत के लिए तभी तक लाभकारी होता है, जब तक इसका सेवन सीमित मात्रा में किया जाएं।
अगर कोई व्यक्ति जरूरत से कम या ज्यादा भोजन करता है तो ये सीधे तौर पर उसकी सेहत को अफेक्ट करता है।
कई लोग ऐसे भी होते हैं जो वजन न बढ़ जाएं इस डर से कम खाते हैं और कुछ लोग वजन बढ़ाने के लिए ज्यादा खाने लगते है। लेकिन खुद को अच्छा दिखाने के लिए किया जाने वाला ये प्रयोग कब आदत से एक डिसऑर्डर बन जाता है, व्यक्ति को पता ही नहीं चलता। खाने की लेकर होने वाले इस डिसऑर्डर को ‘ईटिंग डिसऑर्डर’ कहतें हैं।
*क्या होता है ईटिंग डिसऑर्डर?*
ईटिंग डिसऑर्डर पर मनोचिकित्सक डॉ. राजीव शर्मा बताते है कि ईटिंग डिसऑर्डर एक साइकोलॉजिकल कंडीशन और मेंटल डिसऑर्डर है, जिसमें व्यक्ति अधिक खूबसूरत दिखने के कारण अपनी ईटिंग हैबिट में बदलाव करता है।
इसमें व्यक्ति अधिक वजन पाने की चाह में ज्यादा खाना शुरू कर देता है या वजन घटाने की चाह में कम खाने लगता है। वहीं, इस मामले में व्यक्ति खाने तक ही सीमित नहीं रहता बल्कि कुछ और हानिकारक तरीकों का भी प्रयोग करने लगता है।
ऐसा करने के कारण या तो व्यक्ति का वजन बहुत अधिक बढ़ जाता है जिसके कारण उसे तमाम स्वास्थ्य संबंधी समस्या होने लगती है या तो उसका वजन बहुत कम हो जाता है और उसका शरीर कुपोषित होने लगता है।
*ईटिंग डिसऑर्डर के रूप :*
ईटिंग डिसऑर्डर मुख्यतः तीन प्रकार का होता है। इन तीन प्रकारों को अनोरेक्सिया नर्वोसा, बुलीमिया नर्वोसा और बिंज ईटिंग डिसऑर्डर कहते हैं।
*1. अनोरेक्सिया नर्वोसा :*
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की एक रिपोर्ट के अनुसार अनेरेक्सिया नर्वोसा डिसॉर्डर आमतौर पर पुरुषों के मुक़ाबले महिलाओं में ज्यादा देखा जाता है।
साथ ही इस तरह का डिसऑर्डर किस भी उम्र के लोगों को हो सकता है लेकिन युवाओं में इसके होने का खतरा बहुत होता है।
*2. बुलीमिया नर्वोसा :*
बुलीमिया नर्वोसा भी एक तरह का ईटिंग डिसॉर्डर होती है, जिसमें व्यक्ति अपनी ईटिंग हैबिट्स को अनियंत्रित कर देता है और बहुत अधिक खाने का प्रयास करता है, लेकिन फिर कुछ समय बाद व्यक्ति ‘कंपन्सेटरी बिहेवियर’ यानी उलटी, ज्यादा व्यायाम और दवाइयां लेना शुरू कर देता है, जो उनके स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक साबित हो सकता है।
बॉलीवुड एक्ट्रेस ऋचा चड्ढा ने एक इंटरव्यू में ये खुलासा किया था कि वे भी बुलीमिया नर्वोसा से पीड़ित रह चुकीं हैं। उन्होंने बताया था कि बुलीमिया डिसऑर्डर से लड़ाई के दौरान वे खाना खाने के बाद अक्सर उल्टी कर दिया करती थी और साथ ही उन्होंने वजन बढाने के लिए दवाइयां लेना भी शुरू कर दिया था।
*3. बिंज ईटिंग डिसऑर्डर :*
बिंज ईटिंग डिसऑर्डर एक प्रकार ईटिंग डिसॉर्डर है, जिसमें व्यक्ति को मानसिक स्वास्थ्य समस्या होती है और वो अनियंत्रित और अधिक मात्रा में खाना खाता है, और वो इस प्रक्रिया में अपने आप को नियंत्रण नहीं कर पाता है।
*कैसे करें ईटिंग डिसऑर्डर से बचाव :*
ईटिंग डिसऑर्डर के बचाव के लिए आप नीचे दिए कुछ टिप्स फॉलो कर सकते हैं :
*1. स्वयं हो जागरूक :*
इस तरह की समस्या से लड़ने के लिए व्यक्ति को सबसे पहले खुद ही जागरूक होना पड़ेगा। अगर व्यक्ति अपनी मानसिक स्थिति और खाने की प्रवत्तियों को समझ लेता है तो उसे अपनी खाने की आदतों में होते बदलाव नज़र आ जायेंगे और वो इन तरह के ईटिंग डिसऑर्डर से बच भी सकता है।
*2. खाएं तीनों टाइम का खाना :*
अगर किसी भी व्यक्ति को लग रहा है कि वो ईटिंग डिसऑर्डर का शिकार हो गया है या होने वाला है तो उसे सबसे पहले अपने भोजन को नियमित करना होगा।
सुबह, दोपहर और रात में व्यक्ति को सही समय पर बैलेंस्ड डाइट लेनी चाहिए। ऐसा करना से काफी हद तक ईटिंग डिसऑर्डर से बचाव हो सकती है।
*3. किसी से लें सहायता :*
व्यक्ति अगर स्वयं जागरूक नहीं हो पाता तो उसे अपने किसी करीब से सहयता ले लेनी चाहिए, नहीं तो जल्द से जल्द मनोचिकित्स्क से संपर्क करना चाहिए।
*4. जब भूख लगे तब ही खाएं :*
ईटिंग डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति को तभी खाना खाना चाहिए जब उसे भूख लगें अन्यथा नही खाना चाहिए। ऐसा करने में व्यक्ति में खान-पान से संबंधित कमियां दूर हो जाती है और ईटिंग डिसऑर्डर से भी निजात मिल सकती है।