अग्नि आलोक
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*मानवीय पहल : जिसका कोई नहीं, उसके हम*

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     (आप विद्यार्थी- बेरोजगार हैं, विधवा- तलाकशुदा हैं, रोगी- बुजुर्ग हैं, साधु- संत हैं : लेकिन आश्रयहीन- असहाय- विपन्न हैं तो आपके लिए जरूरी सबकुछ है हमारे यहां.)

       ~ डॉ. विकास मानव

   चेतना विकास मिशन से संबद्ध साथी डॉ. बी.एल.कटारिया ने सीकर (राजस्थान) में ‘बजरंगदास अलमस्त आश्रम’ की स्थापना की है, जहाँ मनुष्यता की आदर्श मिशाल पेश की जा रही है. व्हाट्सएप पर 9546395086 अपना पूरा परिचय लिख़कर समय लेने के बाद, उनसे कॉल पर बात की जा सकती है.

आप बीमारी से दुखी हों चाहे शरीर की तकलीफ से। परिवार में कमाने वाला सदस्य नहीं होने से मूलभूत सुविधाओं के अभाव के कारण दुखी हों  या अनाथ हो जाने से। पढ़ने की इच्छा हो लेकिन सरकारी  स्कूल की फीस के अभाव से हो दुखी हों या रोटी- कपड़ा- आवास के आभाव से। किसी एक्सीडेंट/बीमारी से विकलांग होने पर ट्राईसाइकिल/रिक्से के अभाव में दुखी हों या किसी के शोषण से। जात-पात-छुआछूत से, बुढ़ापे में बेसहारा होने से हो दुखी हों या विद्यार्थी हैं और अध्ययन हेतु एकांत या मूलभूत शैक्षणिक सुविधाओं के अभाव से हो दुखी हो.

आपके लिए आश्रम में सम्पूर्ण मूलभूत सविधाओं के साथ, इलाज़ और निःशुल्क शिक्षा/कम्प्टीशन की तैयारी उपलब्ध करवाई जाती है.

   बस कारण ठोस और वास्तविक होना चाहिए। हर पहलू को जांचकर,  तुरत मन वचन कर्म धन से हर तरह की  सहायता निशुल्क उपलब्ध करवाने के लिए आश्रम प्रतिबद्ध है। 

   इस तरह रोटी, कपड़ा, मकान, दवाई, ऑपरेशन, निशुल्क शिक्षा, आजीवन भरण-पोषण, अपंगता पर रिक्से आदि, कम्प्यूटर वेगैरह सहित सम्पूर्ण पढ़ाई, असहाय की बेटियों की सहज शादी : सबकुछ हम सुलभ करा रहे हैं. मतलब हर दुखी इंसान का हर तरह से दुख दूर करने की कोशिश की जाएगी और दुख दूर कर दिया जाएगा।

   निजात में मनोविज्ञान, नैतिकविज्ञान, प्रणाव्याम, योग, विपश्यना द्वारा मानसिक शारीरिक दुखों का निवारण करना भी शामिल  है।

आश्रम की गतिविधियों मे हर जाति, मत, पंथ, सम्प्रदाय के वास्तविक सन्तों को एक जगह लाकर उनका आदर और सम्मान करते हुए उनको जरूरतानुसार रोटी, कपड़ा, मकान, इलाज, ग्रन्थ आदि हर वस्तु उपलब्ध करवाते हुए उनकी साधना में सहयोग करना भी शामिल है।

     समाज में व्याप्त हर कुरीतियों, आडम्बरों, अंधविश्वासों, जातिवाद, रूढ़िवाद, जन्मदिन, शादी की सालगिरह, लग्न टीका, सगाई, बिंदोरी, आशीर्वाद समारोह, दहेज, स्वामनी, शुभमुहूर्त, गृहप्रवेश, मृत्युभोज, भातपेच, अनर्गलमाला कंठी डोरी जनेऊ टोपी दीयाबाती, गुरुद्वारो गिरजाघरों मंदिरों में    चढ़ावा, मूर्तिपूजा, उपासना पूजा भ्रमित काल्पनिक मान्यताओं, अंधश्रद्धा का आश्रम समर्थन नहीं करता है। यहां संत कबीर का दर्शन साकार होता है.

   अभी तक आश्रम द्वारा किसी भी परिवार/व्यक्ति से चंदा/भेंट लेना पूर्णत: निषिद्ध रखा गया है. सिर्फ जरूरतमंद को देने का ही प्रावधान है।

    समाज में एकता समरसता भाईचारे प्रेम कर्तव्यनिष्ठाता कायम करते हुए एक सुंदर शांतिपूर्ण समाज कायम करने की पहल को लक्ष्य में शामिल किया गया है।

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