लाख चुनावी वादों और जन सेवक होने की दलील देने के बावजूद भी देश में राजनीति शराब, पैसे और बाहुबल से तय होती है। मध्यप्रदेश में चल रहे विधान सभा चुनाव में हर राजनीतिक दल शराब और पैसे बांटने पर उतर आया है। किसान-मजदूरों के अधिकारों के लिए लड़ रहे पर्वतपुरा पंचायत विकास समिति के सचिव और हाटपिपल्या विधान सभा से निर्दलयी उम्मीदवार देवराज रावत बताते हैं – हमने पर्चे छपवाए जिसमें हमारी बात कही। सभी को हमारी समिति का फ़ोन नंबर दिया ताकि वो न्याय पाने के संघर्ष में हमारी समिति की मदद ले सके। हमें कई गाँव से दारु और पैसे के लिए फ़ोन आने लगा है। लोग कहते हैं उनके पास सैकड़ों वोट हैं लेकिन तब ही मिलेंगे जब शराब और पैसे बाटेंगे, जिसके हम सख्त खिलाफ है।
उम्मीदवार देवराज रावत और टीम के सदस्य लगातार हर गाँव में शराब, पैसे और दमखम की राजनीति के खिलाफ बोलते आये हैं। प्रचार टीम के एक सदस्य बताते हैं – दूसरे विधान सभा क्षेत्र से वीडियो आ रहा है जहाँ रात को भाजपा के कार्यकर्ता वोट के बदले पैसा दे रहे हैं और उसे भाईदूज का तोहफा कह रहे हैं। प्रचार के दौरान हमें हाटपिपल्या में एक दूकान वाले ने बताया कि भाजपा और कांग्रेस वाले चुनाव के दो दिन पहले से दारु बांटने में लग जाते हैं। दोनों पार्टियों को एक-दूसरे की खबर रहती है लेकिन आपत्ति कोई नहीं जताता।
क्षेत्र के गाँवों से कई महिलाएं बताती हैं कि चुनाव के दो दिन पहले से गाँव-गाँव में अधिकाँश मर्द नशे में पड़े रहते हैं। हर जगह यही हाल होता है। चुनाव होने के अगले कुछ दिन यही सब चलता है। माहौल बिगड़ता है और झगड़ें भी होते हैं। प्रचार टीम के अन्य सदस्य बताते हैं – हमारी समिति के औपचारिक फ़ोन नंबर पर कई फ़ोन आये और लोगों ने कहा कि उन्हें हमारा पर्चा और विचार पसंद आया लेकिन वोट के बदले शराब और पैसा लगेगा। हमने सभी फ़ोन उठाये, लोगों से बात की और साफ़-साफ़ कह दिया कि वोट नहीं चाहिए। हमारा सारा संघर्ष ही भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था के लिए है।