अग्नि आलोक
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 *दबाकर बटन, नतीजा बंद?*

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शशिकांत गुप्ते

इंतजार है,मतों की गणना का?अभिमत संग्रह Opinion poll इसे चुनाव पूर्व सर्वेक्षण कहते हैं।
निर्गम अनुमान Exit Poll.
शायद निर्गम अनुमान( Exit poll) पर प्रतिबंध है?
चाहे अभिमत पोल हो या निर्गम पोल सभी अनुमानित ही होते हैं।
Exactly मतलब सही या अचूक परिणाम तो गणना के बाद ही पता चलते हैं।
जब से मोबाइल स्मार्ट हुआ है,मतदान के बाद,मतदाता अपनी वह उंगली दिखाते हैं,जिस पर मतदान की स्याही लगी होती है।
स्याही लगी उंगली दिखाना मतलब अपने कर्तव्य की इतिश्री समझना मात्र है।
स्याही लगी उंगली दिखाने के बजाए,चुनाव परिणाम के बाद किसी भी दल की सरकार बनती है। उस सरकार पर उंगली उठाने का साहस होना चाहिए। उंगली उठाने से तात्पर्य पूछना चाहिए कि, जो वादें किए हैं वे कब पूरा करेंगे?
वादों को पूरा करने की समय सीमा निश्चित होनी चाहिए।
वादों की घोषणा,दल के द्वारा की जाती है। किसी व्यक्ति को महिमा मंडित कर उस व्यक्ति के नाम से वादें नहीं करना चाहिए।
लोकतंत्र में व्यक्ति पूजा अलोकतांत्रिक सोच का द्योतक है। यही सोच अधिनायकवाद को प्रश्रय देता है। अधिनायकवाद, तानाशाह प्रवृत्ति ही तो है।
उपर्युक्त मुद्दे पर गंभीरता से विचार करने के लिए लोकतंत्र की परिभाषा को समझना जरूरी है। जनता की, जनता के लिए और जनता द्वारा सरकार
इसीलिए जनता को देश की मालिक होने का एहसास होना अनिवार्य है।
जनता को शासन की आँखों में आँखें डालकर शासन ने पूछने का साहस करना चाहिए।
मतदाताओं को भावनाओं को दरकिनार कर व्यवहारिक मानसिकता से सोचना चाहिए।
एक बात स्पष्ट रूप से समझना अनिवार्य है कि, कोई भी राजनेता अपनी जेब से खर्च कर जनता के लिए काम नहीं करता है।
उल्टा नेताओं पर स्वयं की जेब भरने के आरोप लगतें हैं?
ऐसे नेताओं पर लानत भेजते हुए,स्वतंत्रता संग्राम के महत्व समझना चाहिए।
उक्त संदर्भ में प्रसिद्ध शायर कैफ़ी आज़मी
कोई तो सूद चुकाए कोई तो ज़िम्मा ले
उस इंक़लाब का जो आज तक उधार सा है

एक अज्ञात शायर ने व्यक्ति पूजा पर तंज कसते हुए निम्न शेर कहा है।
दुनिया में वही शख़्स है ताज़ीम के क़ाबिल
(ताज़ीम काअर्थ आदर,सम्मान)
जिस शख़्स ने हालात का रुख़ मोड़ दिया हो

अंत में यही कहना है,देश के प्रत्येक व्यक्ति को यह एहसास होना भी जरूरी है कि, यदि देश की जनसंख्या एक सौ चालीस करोड़ है तो,देश का प्रत्येक व्यक्ति एक बटा एक सौ चालीस करोड़ है।1/140 करोड़।

शशिकांत गुप्ते इंदौर

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