स्टाम्प एक्ट में किए गए संशोधन को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। चीफ जस्टिस रवि विजय मलिमठ व जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने मामले में राज्य शासन सहित अन्य अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं।
बता दें कि हाईकोर्ट में यह मामला सतना निवासी रश्मि खेड़ा की ओर से दायर किया गया है। इसमें कहा गया कि स्टाम्प एक्ट की धारा-48 में संशोधन कर दिया गया है। इसके तहत यह अभिनिर्धारित किया गया है कि किसी भी पंजीकृत दस्तावेज में कम स्टाम्प की शिकायत दस्तावेज के पंजीयन के पांच वर्ष के पश्चात स्वीकार योग्य नहीं होगा। चूंकि इस संशोधन से स्टाम्प ड्यूटी की चोरी करने वालों का बचाव हो रहा है और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलने की आशंका है। अत: उक्त संशोधन को शून्य किया जाना चाहिए। ताकि संशोधित प्रावधान का दुरुपयोग न हो। रजिस्ट्री अधिकारी-कर्मचारी संपत्ति का उचित मूल्य निर्धारित करते हुए निर्धारित स्टाम्प ड्यूटी लगाएं, जिससे शासन को राजस्व की क्षति न हो। सुनवाई पश्चात् न्यायालय ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं।