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एक्जिट पोल और हकीकत 

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                             -सुसंस्कृति परिहार

एक दौर था जब चुनाव सम्पन्न होने के बाद लोग खुलकर बोलने लगते थे तब उनकी बात से जो कयास लगाया जाता वह अधिकांशतः सच के बहुत करीब होता था। जैसे जैसे मतदाता को यह भान हो गया कि इसे गोपनीय रखना चाहिए उसने अपने दिल की बात कहना कम कर दिया लेकिन एक्जिट पोल का धंधा जोरों से चल पड़ा।जबकि ये आमतौर पर सही साबित नहीं होते।कभी कभार ही किसी की चांदी हो जाती है।

इससे पहले ज़मीन से जुड़े पत्रकार ही इस तरह की अनुमानित विवेचना देते थे जो बहुत कुछ सही साबित होती रही थीं लेकिन जब से मोदी मीडिया उदित हुआ उसने जमीनी सच्चाई से मुख मोड़ लिया है वह आसमान से हाथ हिलाती सत्ता का मुखापेक्षी बन गया है।अब तो एक रणनीति के तहत यह पूरी तरह सरकारी व्यवसाय बन गया है । कुछ सटोरिए भी इस वक्त अच्छी कमाई कर लेते हैं।ये एक्जिट पोल वाले कब ,कहां किससे संपर्क करते हैं ये बताने वाला एक भी व्यक्ति मुझे आज तक नहीं मिला जैसे सब मनगढ़ंत हो। इसलिए इन पर विश्वास नहीं किया जा सकता है।ऊंट किस करवट बैठेगा यह मुहावरा इसलिए अंत में जोड़ा जाता है ताकि अपनी इज्जत बचाई जा सके।

यह पहली बार इस चुनाव में देखा गया कि सरकार विरोधी वोट देने के बावजूद लोग इस भय से कि ‘जीतेगा मोदी ही’ चुप साध लिए या जबरिया बोलने कहा गया तो उन्होंने मौजूदा सरकार का ही नाम लिया।ई वी एम का खतरा भी वे जानते हैं ।इसलिए ऊंट किस करवट बैठेगा आसान नहीं रहा है इसलिए ये पोल कांटे की टक्कर या जीत में दस पच्चीस सीट का अंतर दिखा रहे हैं ताकि चित भी मेरी और पट भी मेरी हो।

बहरहाल जो हालात राजनैतिक नेताओं के चेहरे बता रहे हैं, उसके मुताबिक मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ कांग्रेस जीत रही है।इस जीत की वजह कांग्रेस के दो राज्य राजस्थान और छत्तीसगढ़ ऐसे हैं उनमें मुख्यमंत्रियों ने जो कहा कर दिखाया चाहे चिंरजीवी योजना हो पेंशन बहाली या एम एस पी और किसान ऋण वापसी जैसे महत्वपूर्ण काम हों। मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार गिराई गई इस बात से आमजन, किसान परेशान रहे वरना उन्हें भी ये लाभ मिले होते ।मौका आया तो वे हाथ के साथ हो लिए। कांग्रेस पर उनका विश्वास बढ़ा है।कहां जाता शिवराज सरकार ने एक करोड़ लाड़ली बहना को जो राशि तीन माह से दी है उसका भाजपा को लाभ मिलेगा।सत्य यह है कि महिलाओं का एक बड़ा समूह उमाभारती के समय से भाजपा के साथ है शिवराज की जीत भी इन्हीं की वजह से हुई। इसलिए उसमें वृद्धि नहीं बल्कि जिन्हें नहीं शामिल किया गया वे घट गई है। इसलिए मध्यप्रदेश भी कांग्रेस के हाथ में जा रहा है। तेलंगाना में राव और भाजपा की तकरार के बीच कांग्रेस विजय पथ पर अग्रसर है। मिजोरम में कांग्रेस दूसरी बड़ी पार्टी बनती नज़र आ रही है संभावित है वह सत्ता में सहभागी हों।

तथ्यों के आधार पर यह बात भी सामने  आई है कि इन चुनावों में मोदी-शाह की जोड़ी ने जिस तरह धुआंधार प्रचार किया उससे मध्यप्रदेश में मामा शिवराज की हार हो रही है। शिवराज का चेहरा होता तो यह हालत नहीं होती।मामा की हार की आत्मस्वीकृति के बाद अब सत्ता का सच भी सामने आ चुका है फाईलें जलने लगीं हैं ये भी साफ़ इशारा है कि मामा की सरकार जा रही है। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में गहलोत और बघेल वापसी करेंगे और चार साल संघर्ष के बाद कमलनाथ अपनी खोई सरकार बनाएंगे।ये परिणाम यह भी साबित करने वाले हैं कि बड़ बोले मोदी की झूठ पर कांग्रेस राज्यों में  सच्चाई की जीत हावी हो रही है जिसका दुष्परिणाम 2024में भाजपा सरकार को भुगतना होगा।

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