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अखिल गोगोई की राजनीतिक हत्या की साजिश!

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डॉ सुनीलम

अखिल गोगोई असम का देश के स्तर पर जाना माना चेहरा है। असम के लोगों ने आरटीआई एक्टिविस्ट, भ्रष्टाचार के खिलाफ सतत संघर्ष करने वाले, असमिया संस्कृति के रक्षक, बड़े बांध के विरोधी तथा नागरिकता संशोधन कानून की खिलाफत करने वाले नेता के तौर पर जानते और मानते हैं। असम के आम नागरिक की अपेक्षाएं किस स्तर की हैं यह इस बात से पता चलता है कि गुवाहाटी के एयरपोर्ट से उतरकर जब मैं टैक्सी से निकलता हूं तब अखिल गोगोई के बारे में टैक्सी चालक से पूछता हूं तो वे कहते हैं कि अखिल गोगोई डेढ़ साल से जेल में हैं, अगर बाहर होते तो असम में कोई भी टोल टैक्स बैरियर नहीं बन सकता था, असम का विनाश करने वाला बड़ा बांध नहीं बन सकता था।

अखिल गोगोई को राष्ट्र के स्तर पर तब जाना गया जब वे पूर्वोत्तर के प्रतिनिधि के तौर पर अन्ना की कोर कमेटी में शामिल किए गए। मैंने अखिल गोगोई को अन्ना हजारे और अरविंद केजरीवाल के सामने उन्हें कई बार अपनी दो टूक बात रखते हुए देखा है।

मैं और योगेंद्र यादव जी कल सुबह अखिल गोगोई से अस्पताल में मिलने पहुंचे तो उनकी शारीरिक हालत देखकर दुख हुआ। उनके डॉक्टरों की पर्ची और रिपोर्ट देखी तो पता चला कि गर्दन और उंगलियों में उन्हें काफी तकलीफ है। उन्होंने बताया कि किस तरह उन्हें लगातार गर्दन और उंगलियों में जकड़न रहती है। इस हालत के बावजूद केंद्र सरकार, राज्य सरकार और सभी एजेंसियां उन्हें अस्पताल में ईलाज के लिए रखे जाने के खिलाफ हैं तथा उन्हें पुनः जेल भिजवाना चाहते हैं।

मुझे कुछ पत्रकारों ने बताया कि अखिल गोगोई ने जो पार्टी बनाई है, उस पर यह आरोप कांग्रेस द्वारा लगाया जा रहा है कि वह भाजपा विरोधी वोटों को काटने और बांटने के लिए बनाई गई है। मैंने जब यह बात अखिल गोगोई से पूछी तब उन्होंने कहा कि पहले और दूसरे चरण में 89 सीटें हैं जिसमें हमारा दल केवल 27 सीटों पर लड़ रहा है।

हमने उन्हें बताया कि संयुक्त किसान मोर्चा, भाजपा हराओ और कारपोरेट को सबक सिखाओ के अभियान चुनाव वाले राज्यों में चला रहा है तब उन्होंने कहा कि हम इस अभियान के साथ हैं।

अखिल गोगोई पर अब तक 142 मुकदमे थोपे जा चुके हैं जिसमें 78 मुकदमों में बरी हो चुके हैं। इस बार उन्हें पहले असम पुलिस ने दिसंबर 2020 में गिरफ्तार किया, बाद में केस एनआईए को सौंप दिया जहां उन्हें एनआईए ने प्रताड़ित किया तथा उन पर भाजपा में शामिल होकर मंत्री पद स्वीकार करने का दबाव डाला। मुझे सबसे ज्यादा दुख इस बात को लेकर हुआ कि अब तक दस मुकदमों में उन्होंने 40 लाख से अधिक रुपया खर्च किया जो जनता से जुटाया गया है लेकिन अब उनके पास आर्थिक संसाधन नहीं बचे हैं।

इसके बावजूद उनकी पार्टी ने उन्हें शिव सागर से उम्मीदवार बनाया है। चुनाव लड़ने के लिए भी बड़ी राशि की जरूरत है अर्थात आर्थिक तंगी से उनका संगठन गुजर रहा है। मुझे यह स्पष्ट दिखाई पड़ रहा है कि अखिल गोगोई को राजनीति से हटाने के लिए उन्हें जल्दी ही षड्यंत्रपूर्वक सजा कराई जाएगी। इस कारण यह चुनाव शिवसागर का निजी तौर पर उन्हें और पूरे असम के लिए सबसे महत्वपूर्ण चुनाव क्षेत्र बन गया है।

सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि कौन सी राजनीतिक पार्टी उनके साथ खड़ी है? असम के छात्र नेताओं की पार्टी असम जातीय परिषद के साथ में अखिल गोगोई की पार्टी राइजर का गठबंधन है लेकिन सबसे दुखद यह है कि कांग्रेस-एआईयूडीएफ-बीपीएफ और वाम दलों के गठबंधन ने अपना उम्मीदवार उतार दिया है।

जब इस बारे में मैंने अखिल गोगोई से पूछा तब उन्होंने बताया कि कांग्रेस का गठबंधन चाहता था कि अखिल गोगोई उनके गठबंधन का समर्थन करें लेकिन सीट छोड़ने को तैयार नहीं था। यदि कांग्रेस गठबंधन ने सीट छोड़ दी होती तो अखिल गोगोई की जीत नामांकन के साथ ही तय हो जाती। गठबंधन के इस फैसले के अंदरखानों की बातों पर मैं नहीं जाना चाहता लेकिन मुझे लगता है कि कांग्रेस ने अखिल गोगोई को शिवसागर की सीट न छोड़कर ऐतिहासिक भूल की है जिसका परिणाम पूरे असम को भुगतना पड़ सकता है। यहां यह उल्लेख करना आवश्यक है कि कांग्रेस पार्टी ने शिवसागर में उपचुनाव के पहले यह घोषणा की थी कि वह अखिल गोगोई के लिए सीट छोड़ेगी।

चुनाव के नामांकन क्रिया के पहले भी कांग्रेस ने कहा था कि वह अखिल गोगोई के खिलाफ कोई भी उम्मीदवार खड़ा नहीं करेगी। अभी भी समय है कि कांग्रेस अखिल गोगोई को समर्थन देने की घोषणा कर धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र एवं संवैधानिक मूल्यों के लिए प्रतिबद्धता एवं नागरिकता संशोधन कानून के विरोध के लिए प्रतिबद्धता साबित करे। यह तभी संभव है जब स्वयं सोनिया गांधी या राहुल गांधी हस्तक्षेप करें। यदि वे यह नहीं करते तो आसाम की जनता यह मानने को मजबूर होगी कि कांग्रेस पार्टी भी भाजपा की तरह ही अखिल गोगोई को आजीवन जेल में रखना चाहती है तथा उनके द्वारा किए गए आंदोलनों को सदा के लिए कुचलने की भाजपा की साजिश में शामिल है।

इस सबके के बावजूद अखिल गोगोई के नेतृत्व में गत कई दशकों से सक्रिय असम के सबसे बड़े किसान संगठन कृषक मुक्ति संग्राम समिति के साथ जो ताकत 2016 में मैंने देखी थी वह आज भी मुझे याद है। 3 दिन तक लगातार बारिश होने के बावजूद दस हजार कार्यकर्ताओं के साथ उनका सम्मेलन 3 दिन तक चला था जिसमें असम के प्रमुख बुद्धिजीवी तथा युवा नेता शामिल हुए थे। 3 दिन के सम्मेलन को कम से कम 15 टीवी चैनलों द्वारा लाइव दिखाया गया। दूसरी बार मुझे अखिल गोगोई की लोकप्रियता तब देखने को मिली जब मैं तत्कालीन सांसद राजू शेट्टी के साथ उन्हें मिलने जेल में गया था तब भी पूरा मीडिया ओवी वैन के साथ पूरे दिन हमारे साथ रहा था। कल भी अस्पताल के बाहर प्रेस कॉन्फ्रेंस में असम के लगभग सभी चैनलों की मौजूदगी यह बता रही थी कि आम जनता में अखिल गोगोई आज भी पहले की तरह लोकप्रिय हैं। सत्तारूढ़ पार्टी के तमाम दबाव के बावजूद मीडिया में आज भी उनकी साख बनी हुई है। आम असमिया नागरिक अखिल को असमिया संस्कृति और प्राकृतिक धरोहर के रक्षक और जनान्दोलनकारी के तौर पर देखते हैं।

उम्मीद की जा सकती है कि राजनीतिक साजिश, आर्थिक तंगी के वावजूद शिवसागर के मतदाता उन्हें एकतरफा जितलाकर उनकी रिहाई का रास्ता प्रशस्त करेंगे। फैसला सुनने के लिए 2 मई का इंतज़ार करना पड़ेगा।

(गुवाहाटी से पूर्व विधायक और अध्यक्ष किसान संघर्ष समिति डॉ सुनीलम का लेख।)

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