अग्नि आलोक
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आरक्षित खा जाओ.

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योगेंद्र महावर

अनारक्षित खा जाओ…

मैनेजमेंट कोटा पूरा खा जाओ…

नहीं खा पा रहे?
EWS की व्यवस्था करो, आरक्षित सीटों को De – Reserve करके, खाओ!

बस किसी भी तरह से खाओ…
वंचित वर्गों का हक खाओ…

अधंभक्तो को धर्म की अफीम का डोज रोज देकर नशे में रखो…

आखिर कब समझोगे 😥?

👉🏻 ध्यान रहे– मंदिरों में करोड़ों अरबों रुपए का दान इकट्ठा होता गया, और लोग दान करते गए…

लेकिन किसी शुभचिंतक ने यह बात नही उठाई कि मंदिर “अमीर” हो गए अब “दान” बंद होना चाहिए…

लेकिन आज “आरक्षण” की बदौलत समाज के कुछ ही लोग सामान्य जीवन जीने लगे हैं कि आरक्षण खत्म करो के आंदोलन लग गए…

मंदिरों की पेटियों में डालें जाने वाले पैसों को कभी किसी ने भीख नही कहा….

लेकिन आरक्षण (प्रतिनिधित्व) को भीख की संज्ञा दे दी!

इसका सीधा मतलब हुआ कि कुछ लोग सिर्फ “स्वयंकावर्चस्व” स्थापित क़ायम रखना चाहते है।

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