जन्मदिवस 14 अप्रैल के अवसर पर
-निर्मल कुमार शर्मा,
बाबासाहेब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर ने इस देश और इसके समाज के सम्यक, सर्वांगीण,न्यायपरक विकास के लिए शिक्षा पर सबसे ज्यादा ध्यान देने की बात कहे थे । उन्होंने कहा था शिक्षा ही एक ऐसी सशक्त हथियार है,जिसके बल पर देश के सभी लोगों का सामाजिक और आर्थिक विकास होगा,इसके लिए जरूरी है कि शिक्षा अंधविश्वास,पाखंड और व्यर्थ की पौराणिक मिथकों और झूठों से एकदम मुक्त हो,शिक्षा ज्ञान,तर्क और विज्ञान सम्मत हो,शिक्षा की सार्थकता तब होगी,जब इस देश के किसानों, मजदूरों और आमजन के जीवन में क्रांतिकारी सुधार तथा बदलाव हो,जिससे उनका भी आर्थिक और सामाजिक तौर पर विकास हो,केवल दो-चार पूंजीपतियों के दिन-दूनी-रात चौगुनी तरक्की कराने से देश का विकास कतई संभव नहीं है !
आजकल सत्ता के वर्तमान कर्णधारों द्वारा कथित रामराज लाने का दिवास्वप्न दिखाया जा रहा है ! परन्तु वर्तमान सत्ता के कर्णधारों के वास्तव में कथनी और करनी में जमीन-आसमान का अंतर है ! दूसरे शब्दों में उनके दिखाने के दांत कोई और हैं और खाने के बिल्कुल अलग हैं ! उनके द्वारा कथित रामराज लाने का दिवास्वप्न बिल्कुल मूर्ख बनाने और बहुजन समाज को भ्रमित करने की एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है ! वास्तविकता यह है कि जातिगत् व धार्मिक वैमनस्यता आधारित भारतीय हिन्दू समाज में हजारों सालों से कथित उच्च जातियों द्वारा पददलित,शिक्षा,धन,पद,प्रतिष्ठा,जमीन-जायदाद से वंचित किए गए 85 प्रतिशत तक की संख्या में दलितों,बहुजनों,पिछड़ों आदि के समाज को सामाजिक तथा आर्थिक तौर पर बराबरी पर लाने के लिए बाबासाहेब डाक्टर भीमराव आंबेडकर द्वारा भारतीय संविधान में लागू की गई आरक्षण की व्यवस्था को वर्तमान समय के सत्ता के कुटिल कर्णधार जल्द से जल्द खत्म करने के लिए कमर कस लिए हैं ! चूंकि बाबासाहेब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर की दलितों और आदिवासियों तथा पिछड़ों के लिए दी गई आरक्षण व्यवस्था इस देश के सरकारी संस्थानों और प्रतिष्ठानों में ही लागू होती है,इसलिए वर्तमान समय की मोदी ऐंड कंपनी की फासिस्ट और जातिवादी सरकार के कर्णधार आरक्षण व्यवस्था को सीधे-सीधे न हटाकर कुटिलता पूर्वक सभी सरकारी संस्थानों और प्रतिष्ठानों को ही निजीकरण करके परोक्षरूप से दलितों,अल्पसंख्यकों,आदिवासियों और पिछड़े वर्गों की आरक्षण व्यवस्था को ही खत्म कर देने का कुटिल षड्यंत्र रच रहे हैं !
वे बाबासाहेब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर द्वारा बनाए गए समतामूलक संविधान को ही हर हाल में नेस्तनाबूद कर देने पर आमादा हैं,जिससे इस देश के दलितों,बहुजनों पिछड़ों को मिलने वाले आरक्षण के लाभ से सदा के लिए वंचित किया जा सके ! वे इस देश में जातिगत वैमनस्यता आधारित घोर जातिवादी,छुआछूत,अश्यपृश्यता, जन्मजात आरक्षण को नानूनी जामा पहनाने वाली घोर पक्षपात पूर्ण घोर जातिवादी मनु द्वारा रचित मनुस्मृति लागू कर इस देश को पुनः पांच हजार साल पूर्व का जातिवादी वैमनस्यता से लग्न पौराणिक और दकियानूसी भारतीय समाज और राष्ट्र बनाने का सपना देख रहे हैं !
बाबासाहेब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर मानते थे कि किसी भी राष्ट्र की सामाजिक, सांस्कृतिक,आर्थिक,राजनैतिक,शैक्षणिक विकास के लिए सबसे जरूरी है कि उस देश में सर्वव्याप्त अंधविश्वास और धार्मिक रूढ़ियों को समाप्त कर दिया जाय,इसके लिए उन्होंने निम्नलिखित प्रतिज्ञा किया था –
मैं ब्रह्मा, विष्णु और महेश में कोई विश्वास नहीं करूँगा और न ही मैं उनकी पूजा करूँगा,मैं राम और कृष्ण,जो भगवान के अवतार माने जाते हैं, में कोई आस्था नहीं रखूँगा और न ही मैं उनकी पूजा करूँगा,मैं गौरी,गणपति और हिन्दुओं के अन्य देवी-देवताओं में आस्था नहीं रखूँगा और न ही मैं उनकी पूजा करूँगा,मैं भगवान के अवतार में विश्वास नहीं करता हूँ,मैं यह नहीं मानता और न कभी मानूंगा कि भगवान बुद्ध विष्णु के अवतार थे,मैं इसे पागलपन और झूठा प्रचार-प्रसार मानता हूँ,मैं श्रद्धा या श्राद्ध में भाग नहीं लूँगा और न ही पिंड-दान दूँगा,मैं बुद्ध के सिद्धांतों और उपदेशों का उल्लंघन करने वाले तरीके से कार्य नहीं करूँगा,मैं पाखंडियों द्वारा निष्पादित होने वाले किसी भी समारोह को स्वीकार नहीं करूँगा,मैं मनुष्य की समानता में विश्वास करता हूँ,मैं समानता स्थापित करने का प्रयास करूँगा,मैं बुद्ध के आष्टांगिक मार्ग का अनुशरण करूँगा,मैं बुद्ध द्वारा निर्धारित परमितों का पालन करूँगा,मैं सभी जीवित प्राणियों के प्रति दया और प्यार भरी दयालुता रखूँगा तथा उनकी रक्षा करूँगा,मैं चोरी नहीं करूँगा,मैं कभी भी झूठ नहीं बोलूँगा, मैं कामुक पापों को यह कभी भी नहीं करूँगा,मैं शराब,ड्रग्स जैसे मादक पदार्थों का सेवन कभी भी नहीं करूँगा,मैं महान आष्टांगिक मार्ग के पालन का प्रयास करूँगा एवं सहानुभूति और प्यार भरी दयालुता का दैनिक जीवन में अभ्यास करूँगा,मैं हिंदू धर्म का त्याग करता हूँ जो मानवता के लिए हानिकारक है और उन्नति और मानवता के विकास में बाधक है क्योंकि यह असमानता पर आधारित है, और स्व-धर्मं के रूप में बौद्ध धर्म को अपनाता हूँ,मैं दृढ़ता के साथ यह विश्वास करता हूँ की बुद्ध का धम्म ही सच्चा धर्म है,मुझे विश्वास है कि इस धर्म परिवर्तन के द्वारा मैं फिर से जन्म ले रहा हूँ,मैं गंभीरता एवं दृढ़ता के साथ घोषित करता हूँ कि मैं धर्म परिवर्तन के बाद अपने जीवन का बुद्ध के सिद्धांतों व शिक्षाओं एवं उनके धम्म के अनुसार मार्गदर्शन करूँगा।
बाबासाहेब डाक्टर भीमराव आंबेडकर के उक्त विचारों को भिन्न-भिन्न धर्मों के ठेकेदार इसे बाबासाहेब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर की व्यक्तिगत राय मानकर उससे अपना पल्ला झाड़ कर उससे अलग हो सकते हैं,लेकिन कितने विस्मय की बात है कि वे सभी उनके राजनैतिक प्रतिबद्धताओं को अपना आदर्श मान लेते हैं ! तब क्या यह संभव है कि एक तरफ आप कथित रामराज को आदर्श,समतापरक,न्यायोचित राज भी मान लेने का भ्रम पाले रहें,जिसमें शंबूक जैसे अध्ययनशील व कर्मठ दलित ऋषि की कथित अंतर्यामी और मर्यादा पुरुषोत्तम राम द्वारा इसी हिंदू धर्म के कुछ अत्यंत कुटिल यथा धूर्त समूहों द्वारा मात्र बरगला देने पर कथित अंतर्यामी प्रभु श्रीराम द्वारा शंबूक जैसे शीर्ष बौद्धिक व्यक्ति के सिर को अपने तेज धार वाली तलवार से बगैर सोचे-समझे निर्ममता पूर्वक काट दी जाती है,जैसे अभी पिछले दिनों राजस्थान के पाली जिले में एक अति सुन्दर,बलिष्ट,दलित समुदाय के युवक जितेन्द्र पाल मेघवाल की कुछ जातिवादी गुंडों ने मूंछ रखने के कथित अपराध में पीछे से पीठ में छूरा घोंप कर नृशंसतापूर्वक हत्या कर दी गई थी,प्रश्न उठता है कि आप किस रामराज का सपना दिखा रहे हैं ? जाहिर सी बात है,ये कथित रामराज का क्षद्म सब्जबाग और डाक्टर आंबेडकर की विचारधारा दोनों ही दो विपरीत ध्रुवीय विचारधाराएं हैं ! उपर्युक्त बातें उस समाज से ज्यादे गहराई से जुड़ी हुई हैं, जो आज बाबासाहेब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर के आदर्शों और विचारों को अपना राजनैतिक सामाजिक पथप्रदर्शक मानता है ! यह बहुत ही खतरनाक बात है !
-निर्मल कुमार शर्मा, 'गौरैया एवम् पर्यावरण संरक्षण तथा देश-विदेश के समाचार पत्र-पत्रिकाओं में पाखंड, अंधविश्वास,राजनैतिक, सामाजिक,आर्थिक,वैज्ञानिक, पर्यावरण आदि सभी विषयों पर बेखौफ,निष्पृह और स्वतंत्र रूप से लेखन ', गाजियाबाद, उप्र,संपर्क - 9910629632,ईमेल - nirmalkumarsharma3@gmail.com