चर्चित वायरल लिस्ट बड़ा हंगामा मचाए हुए है…… इस लिस्ट में कुछ तो वे हैं जो सरकार के परिवहन विभाग से उपकृत हो रहे थे….. कुछ नाम ऐसे भी हैं जिन्हें कुछ नहीं मिल रहा था एक और आश्चर्यजनक बात है कि उनके नाम भी नहीं हैं जो परिवहन विभाग से उपकृत हो रहे हैं…… इस लिस्ट में वे नाम भी हैं जो एक दूसरे पर कीचड़ उछालने से कभी बाज नहीं आए…..कुल मिलाकर वायरल लिस्ट थोड़ी सच्ची थोड़ी झूठी है…..
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सच और झूठ की हिस्सेदारी कितनी है इसका आकलन स्वयं भगवान भी नहीं कर पाएंगे….. पर सवाल है कि आखिर यह लिस्ट वायरल क्यों की गई ?……लिस्ट को वायरल करने वाले कौन हैं , सरकार या पत्रकार ?….. कुछ ना कुछ तो है वरना यह सब क्यों होता?…. लिस्ट वायरल होने के बाद सब बातें बड़ी बड़ी कर रहे हैं इसकी सत्यता को लेकर कोई पहल नहीं कर रहा न सरकार और न पत्रकार….. सवाल है कि जड़े खोदने वाले पत्रकार और मुर्दा जगाने वाले राजनेता चैतन्य शून्य क्यों हैं ?……क्या यह परिवहन विभाग के अफसरों की आपसी लड़ाई है या पत्रकारों की फूट या पत्रकारों को डराए जाने का कदम….यह शुरुआत है अंत नहीं और हर रोज इस डर से इस वर्ग को जीना पड़ेगा…..मामला मेरी कमीज से तेरी कमीज मैली कैसे या मेरी कमीज तेरी कमी से उजली है वाला नहीं है…..अगर लाभान्वित होने वालो पक्ष लाभान्वित करने वाला पक्ष या लाभान्वित न होने वाला पक्ष चुप बैठा रहा तो पूरी पत्रकारिता बिरादरी ही संदेह के घेरे में रहेगी…..जांच होना चाहिए और निष्पक्ष होना चाहिए….
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