अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

हिसार, टोहाना और सिरसा के बाद आज फिर करनाल में किसानों की जीत

Share

किसानों की आय दुगनी करने का मोदी सरकार का जुमला विफल – पिछले पांच वर्षों में किसानों का कर्ज 58% बढ़ा – आधे से अधिक किसान अब कर्ज में हैं – खेती से होने वाली आय में गिरावट दर्ज*
*मिशन उत्तर प्रदेश के तहत – किसानों ने भाजपा और सहयोगी दलों और कॉरपोरेट के खिलाफ विरोध करने की योजना बनाई – टोल प्लाजा मुक्त किए जाएंगे*
*किसान-मजदूर समुदाय ने अपने युवा नायकों को गर्व से सम्मानित किया – ओलंपिक पदक विजेता और राष्ट्रपति पुरस्कार विजेता खिलाड़ियों को हजारों किसानों की गौरवपूर्ण उपस्थिति में हरियाणा के खरखोदा अनाज बाजार में सम्मानित किया गया*

भाजपा-जजपा सरकार द्वारा किसानों की मांगों को मानने के बाद करनाल लघु सचिवालय का 4 दिवसीय _घेराओ_ आज समाप्त हो गया। खट्टर सरकार 28 अगस्त 2021 को किसानों के सिर फोड़ने का आदेश देने वाले अधिकारी आयुष सिन्हा को निलंबित करने के लिए सहमत हुई। हरियाणा के किसान संगठन और प्रशासन के बीच एक उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश द्वारा न्यायिक जांच के लिए समझौता भी हुआ, जो पुलिस हिंसा, जिसके परिणामस्वरूप एक किसान की मौत और अनेक किसान घायल हुए थे, में आयुष सिन्हा की भूमिका पर गौर करेंगे। एक महीने के अंदर जांच पूरी कर ली जाएगी। सरकार ने शहीद सुशील काजल के परिवार को मुआवजा देने और परिवार के सदस्यों को दो नौकरियों के रूप में सहायता प्रदान करने पर भी सहमति व्यक्त की। हिंसा में घायल हुए किसानों को भी मुआवजा दिया जाएगा। ये निर्णय स्थानीय किसान संगठनों के साथ-साथ राज्य के कानूनी विषेशज्ञों के परामर्श से और विश्वास में लेने के बाद लिए गए। इसी के साथ, करनाल लघु सचिवालय का घेराव उसी विजयी अंदाज में समाप्त हुआ, जैसा कि पिछले कई महीनों में हिसार, टोहाना और सिरसा में पिछले धरने हुए थे।
मोदी सरकार कई वर्षों से “किसानों की आय दोगुनी करने” के मायावी लक्ष्य का स्वप्न दिखला रही है। किसानों की आय छह साल में (यानी 2022 तक) दोगुनी करने के लिए 2016 में किए गए वादे की समय सीमा कुछ ही महीने दूर है। C2 लागत के आधार पर सभी कृषि उत्पादों पर लाभकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी रूप से गारंटी देने की किसानों की मांग को ठुकराते हुए, मोदी सरकार ने भूमि के मालिक कृषि घरानों के लिए प्रति माह केवल 500 रुपये का प्रत्यक्ष आय हस्तांतरण करने का विकल्प चुना। इसे भी 2019 के चुनावों के लिए चुनाव पूर्व स्टंट के रूप में किया गया था।
अब मोदी सरकार के जुमले पर रिपोर्ट कार्ड से आधिकारिक रूप से स्पष्ट हो गया है। एनएसओ के 77वें दौर के सर्वेक्षण से पता चलता है कि 50% से अधिक कृषि परिवार कर्ज में हैं, पिछले पांच वर्षों में किसानों के कर्ज में 58% की वृद्धि हुई है। खेती से होने वाली आय में वास्तविक रूप से कमी आई है, अधिकांश कृषि आय, मजदूरी या गैर-कृषि व्यवसाय के रूप में आ रही है। यह भारत में किसानों को खेतिहर मजदूर बनाने की एक समग्र प्रवृत्ति की पुष्टि करता है। अब समय आ गया है कि मोदी सरकार भारत में किसानों की आय में सुधार के लिए सही मूल्य के मार्ग, जो कि सबसे प्रत्यक्ष और समीपस्थ मार्ग है और सभी किसानों के लिए लाभकारी एमएसपी की कानूनी गारंटी के लिए कृषि आंदोलन की मांग को पूरा करता है, को अपनाए।
कल गठित एसकेएम उत्तर प्रदेश इकाई ने पुष्टि की है कि 27 सितंबर का भारत बंद ऐतिहासिक होगा और इसमें पूरे यूपी के किसानों की ज़बर्दस्त भागीदारी होगी। मिशन यूपी के तहत किसान सभी भाजपा और सहयोगी दलों के नेताओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेंगे, जैसा कि पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तराखंड में किया जा रहा है। किसान अंबानी-अडानी का भी विरोध करेंगे और पूरे यूपी में टोल प्लाजा मुक्त करेंगे। इस बीच, 2 अक्टूबर (गांधी जयंती) को चंपारण, बिहार से एक किसान मार्च शुरू होगी और 350 किमी की यात्रा कर 20 अक्टूबर को वाराणसी पहुंचेगी।
आज ओलम्पिक पदक विजेताओं एवं राष्ट्रपति पुरस्कार विजेताओं का खरखौदा अनाज मंडी में सम्मानित किया गया। किसानों ने भारत के युवा नायकों को सम्मानित कर उन्हें देश का गौरव बतलाया।
पटना, बिहार में आज अखिल भारतीय किसान सँघर्ष समन्वय समिति द्वारा एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जहाँ पूरे बिहार के दर्जनों किसान संगठन एक साथ आए। किसान नेताओं ने भारत बंद को सफल बनाने और कृषि आंदोलन को राज्य के कोने-कोने तक ले जाने का संकल्प लिया।
लगातार हो रही बारिश ने गाजीपुर मोर्चा को जलमग्न कर दिया है, जिससे किसानों के शिविरों और उनके राशन को नुकसान पहुंचा है। ऐसी मुश्किलों का सामना करते हुए गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों ने बाढ़ मोर्चा में धरने पर बैठ कर अनोखे अंदाज में प्रदर्शन किया. करनाल हो या दिल्ली मोर्चा, किसान तमाम मुश्किलों का डटकर मुकाबला कर रहे हैं।

*जारीकर्ता*बलबीर सिंह राजेवाल, डॉ दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चारुनी, हन्नान मुल्ला, जगजीत सिंह दल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उगराहन, शिवकुमार शर्मा ‘कक्काजी’, युद्धवीर सिंह, योगेंद्र यादव
*संयुक्त किसान मोर्चा*

Recent posts

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें