उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में एक गाँव सिमरिया जहां 1932 में देश की आजादी की अलग जगाने वाले 100 से अधिक लोगों को अग्रेजो ने बर्बरतापूर्वक गोलियों से भून दिया गया था। वहां लोगों ने आपसी सहयोग से आजादी की अलख को जगाए रखने के लिए एक शहीद स्तंभ का निर्माण कराया है ।इसमें बच्चों से लेकर वृद्ध मजदूर और सरकारी कर्मचारी अधिकारी गांव के गरीबों ने धन से लेकर अपने परिश्रम को देश की आजादी को सजीव बनाये रखने के लिए दान किया है ।
आइए बताते हैं इस स्थान पर बनाए गए शहीद स्मारक की कहानी
स्वतंत्रता दिलाने के लिए जिन जाने अनजाने अमर सपूतों ने आजादी की लड़ाई में अपना योगदान दिया उनके प्रति सदैव सभी को कृतज्ञ रहना चाहिए राष्ट्र के सच्चे निर्माण और विकास की दिशा में अग्रसर इस राष्ट्र को बनाने में कुछ ऐसे लोगों ने भी अपनी भूमिका निभाई है जिन्हें लोग भुला बैठे थे।
आज एक कोने से ऐसे लोगो को उठाकर किस तरह आपसी योगदान से सहयोग से निर्णय लेकर राष्ट्र की मुख्यधारा में उनको लाने के लिए खड़ा किया कि इस देश की नई पीढ़ी उन कुर्बानियों को जान सकें ।
हरदोई जिला मुख्यालय से लगभग 70 किलोमीटर दूर हरदोई फर्रुखाबाद की सीमा के पास हरपालपुर थाना क्षेत्र में हरदोई ज़िले का एक गांव है सिमरिया जहां पर 26 जनवरी 1932 को जंगे आजादी के दौरान जानवरों के एक बड़े मेले में पूर्ण स्वतंत्रता की मांग कर रहे निहत्थे लोगों पर अंग्रेज हुक्मरानों ने बर्बरतापूर्वक गोलियां चलवा दी थी। और इस मेले में मारे गए अनजान लोगों के शवों को पास में बह रही रामगंगा नदी में डलवा दिया गया था ।
इस स्थान पर प्रदेश का एक बहुत बड़ा जानवरों का मेला लगा करता था और इस मेले में बहुत लोग इकट्ठा होते थे ।उसी समय हरदोई के शाहबाद से आजादी की अलख जगाने वाले कुछ सेनानियों ने इस मेले में लोगों में आजादी की लड़ाई में कूदने का जज्बा पैदा करने के लिए एक बड़ी बैठक की और इस बैठक के दौरान वहां मौजूद अंग्रेजी हुकूमत के पुलिस वालों पर भीड़ में से किसी ने एक पत्थर चला दिया। जिसके बदले में स्वतंत्रता के दीवाने जाने अनजाने अमर सपूतों ने आजादी की लडाई में अपना योगदान दिया।
विकास की दिशा में अग्रसर इस राष्ट्र को बनाने में कुछ ऐसे लोगों ने भी अपनी भूमिका निभाई है जिन्हें कोई जान नही सका। आज एक कोने से उठाकर लोगों ने अपने योगदान से सहयोग से आपस में मिलकर बैठकर मुख्यधारा में उनको लाने के लिए खड़ा किया । जिससे इस देश की नई पीढ़ी उन कुर्बानीयों को जान सके।
इस मेले में मारे गए अनजान लोगों के शव को पास की राम गंगा नदी में डलवा दिया गया था। इस स्थान पर मेला लगा करता था इस मेले में बहुत लोग इकट्ठा हुए थे उसी समय हरदोई के शाहाबाद के इस बैठक के दौरान वह मौजूद अंग्रेजी हुकुमत केपुलिस वालों पर भीड़ में से किसी ने एक पत्थर चला दिया जिसके बदले में अंग्रेजी पुलिस ने वहां पूर्ण स्वतंत्रता की मांग कर रहे लोगों पर इस गोलीकांड में 100 से अधिक लोग मारे गए थे 24 लोगों को जेल भेजा गया जिनके विरुद्ध मुकदमा नयायालय में चला और उनको सजा हुई। तभी से इस क्षेत्र के लोग इसे मिनी जलियांवाला बाग कांड के नाम से जानने लगे इस स्थान पर एक प्राचीन मंदिर बना हुआ था लेकिन 14 अगस्त 2010 को आजादी की पूर्व संध्या पर उस स्थान पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के सम्मान समारोह में जिलाधिकारी और शिव शंकर डेवलपमेंट सोसाइटी के अध्यक्ष अभय शंकर गौड़ ने शहीद स्मारक निर्माण के लिए जन सहयोग का एक प्रस्ताव रखा और शुरू हो गई इसके निर्माण की कहानी। सिमरिया शहीद स्मारक के नाम से जानने वाले इस स्मारक के निर्माण के लिए गांव के दूर दूर से आए लोगों ने लगातार अपनी सहयोग राशि देखकर निर्माण कार्य को एक अमली जामा पहनाया ।
1932 में हुए इस अंग्रेजी हुकूमत के गोलीकांड के पीछे छुपी है। अब ऐसे स्मारक की ऊंचाई जो 32 फिट है ।और यहां जो खून जंगे आजादी में भाग लेने वालों का बहा उसको एक नया रंग इसके निर्माण में लगे राजस्थान के लाल पत्थरों ने दिया ह।ै इस शहीद स्मारक का निर्माण सिमरिया गांव की उस जमीन पर हुआ है जहां कभी किसी समय में मेला लगा करता था
आज राष्ट्र के प्रति लोगों की एकजुटता और राष्ट्रप्रेम की भावना मैं आपसी जनसहयोग से इकट्ठा किए गए पैसे से इसका निर्माण कराया है और किसी शायर की उन पंक्तियों को सच साबित किया है की ” देशहित में गिरती बूंदे लहू की जहां शहीदों की बनती मजारे वहा “
लोगों का जज्बा आज भी इस स्थान पर लगे उन पत्थरों से देश प्रेम के लिए एक कदम आगे बढ़ने की भावना पैदा करता है जब लोग यहां लगे उन पत्थरों पर उन लोगों के नाम देखते हैं जिन्होंने जंगे आजादी में अपनी कुर्बानी दे देने के लिए अंग्रेजों से ऐसे स्थान पर मुकाबला किया और उनके खिलाफ अदालत में मुकदमा भी चला इस स्थान पर वह नाम के पत्थर भी लगे हैं जिन्होंने बहुत से अनजान उन देशभक्तों के प्रति श्रद्धांजलि देने के लिए ऐसे स्मारक के निर्माण में अपना सहयोग राशि प्रदान की शहीद स्मारक के पदेन संरक्षक हरदोई के जिलाधिकारी हैं और पंजीकृत स्मारक समिति के अध्यक्ष शिव शंकर डेवलपमेंट सोसाइटी के अध्यक्ष और समाज सेवी अभय शंकर गौड़ हैं जिन्होंने हमें इस स्मारक के निर्माण और यहां हुए उस कांड की याद को ताजा कराया जिसमें कई ऐसे चेहरे मारे गए जिनका आज नाम भी लोग नहीं जान पाए थे ।