अग्नि आलोक
script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

आत्‍माराम ने अपनी पत्नि के नाम मासिक पत्रिका तूर्यनाद को दिलवाया 35 लाख का विज्ञापन

Share

मोटी तनख्वाह लेने के बाद भी जरूरतमंद पत्रकारों का हिस्सा चट करने से नहीं चूके माध्‍यम के अधिकारी*

 *विजया पाठक,

अंधेर नगरी चौपट राजा…. यह कहावत आपने जरूर सुनी होगी। इस कहावत को सही कर दिखाया है मध्यप्रदेश जनसंपर्क संचालनालय की अधीनस्थ संस्था मध्यप्रदेश माध्यम में काम करने वाले आईटी हेड आत्माराम शर्मा ने। भ्रष्टाचार, घूसखोरी और कमीशनखोरी में लिप्त आत्माराम की करतूतों की परतें खुलना शुरू हो गई हैं। वर्षों से माध्यम की एक ही शाखा में पदस्थ आत्माराम शर्मा किस तरह से फर्श से अर्श तक पहुंचे हैं इसके बारे में हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से बतायेंगे। लेकिन उससे पहले आत्माराम शर्मा की करतूतों को जान लेना जरूरी है। दरअसल बीते दिनों सूचना के अधिकार के तहत जनसंपर्क विभाग से जानकारी चाही गई कि मासिक पत्रिका और बेवसाइटों को शासन द्वारा कितना विज्ञापन मिला है। जब जानकारी हाथ लगी तो उसमें विज्ञापन के एवज में संस्थाओं को दी जाने वाली राशि देख आंखें खुली की खुली रह गई। डेढ़ से दो लाख रूपये महीने तन्ख्वाह पाने वाले आत्माराम शर्मा को जनसंपर्क विभाग से मासिक पत्रिका तूर्यनाद के लिए ढाई लाख रूपये और बेवसाइट को 30 लाख रूपये से अधिक का विज्ञापन जारी हुआ है। आत्माराम शर्मा यह पत्रिका अपनी पत्नी के नाम से चलाते हैं और इसी नाम से उन्होंने बेवसाइट का संचालन भी किया। सूचना के अधिकार में विज्ञापन के एवज में जो राशि दिये जाने की जानकारी प्राप्त हुई है उससे साफतौर पर यह मालूम चलता है कि आत्माराम शर्मा की यह हरकत माफी योग्य नहीं है। उन्होंने जरूरतमंद और गरीब पत्रकारों के हक का पैसा खाया है। उनके द्वारा किया गया यह ऐसा घिनौना कृत्य है जिसके लिए उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए। सूत्रों के अनुसार आत्माराम के इस खेल में जनसंपर्क और माध्यम के कई आला अधिकारी और बाबू भी शामिल हैं, जो मिलवाट कर जनसंपर्क विभाग का बट्टा बैठाने में लगे हुए हैं।

*करोड़ों रुपये के भ्रष्टाचार में लिप्त हैं आत्‍माराम*

एक डेलीवेज वर्कर के रूप में पहली बार माध्यम में काम करने आये आत्माराम शर्मा ने अपनी नियुक्ति के कुछ सालों में ही जो तरक्की की है उससे साफ यह जान पड़ता है कि आत्माराम शर्मा किस हद तक भ्रष्टाचारी हैं। उनकी कार्यशैली शुरू से ही संदेहात्मक रही है। शर्मा ने पैसों के प्रभाव में पहले तो गलत ढंग से प्रमोशन लिये और जब उन्हें प्रमोशन मिल गये तो वे इसका गलत फायदा उठाते हुए माध्यम में होने वाली खरीदी में भ्रष्टाचार को अंजाम देने लगे। बीते दिनों माध्यम में प्रशासन के निर्देशानुसार इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स की बड़ी खरीदी हुई है। यह खरीदी संदेह के घेरे में है। बताया जाता है कि आत्माराम ने माध्यम के प्रमुख पद पर बैठे अफसर को अपना झांसे में लेते हुए बाजार से कई गुना महंगी कीमतों पर खरीदी की है और इससे मिलने वाला भ्रष्टाचार का पैसा उन तक पहुंचाया है। अगर इस खरीदी की सही ढंग से जांच हो जाये तो माध्यम के अंदर ही एक बड़े भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हो जायेगा।

*क्‍या शर्मा के भ्रष्टाचार की जानकारी के अभाव में हैं आयुक्त?*

जनसंपर्क आयुक्त राघवेन्द्र कुमार सिंह खुद एक सुलझे हुए व्यक्ति हैं। उनका उद्देश्य समय-सीमा पर बेहतर कार्य करना है। लेकिन माध्यम के आला अफसरों ने उनकी नाक के नीचे जिस तरह का भ्रष्टाचार फैला रखा है, क्‍या उससे आयुक्त पूरी तरह से अनभिज्ञ है? आत्माराम शर्मा द्वारा किया गया भ्रष्टाचार उसी का एक उदाहरण है। इसका बड़ा कारण है कि जनसंपर्क आयुक्त राघवेन्द्र कुमार सिंह अधिकत्तर समय जनसंपर्क संचालनालय में बैठते हैं। वे माध्यम कम ही आते जाते हैं। माध्यम के तथाकथित वरिष्ठ अफसर जो जानकारी उन्हें देते हैं उसे वे सच मानकर स्वीकार कर लेते हैं। जबकि आयुक्त को इसकी तह में जाना चाहिए जिससे उन्हें वहां के अन्य भ्रष्टाचारों की जानकारी भी मिलेगी। किसी एक अफसर के कह देने मात्र से सभी चीजों को सही मान लेना एक वरिष्ठ अफसर के लिए समझदारी भरा कदम नहीं है।

Recent posts

script async src="https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-1446391598414083" crossorigin="anonymous">

Follow us

Don't be shy, get in touch. We love meeting interesting people and making new friends.

प्रमुख खबरें

चर्चित खबरें