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घुटनों पर आया बांग्लादेश?

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पड़ोसी देश बांग्लादेशकी अंतरिम सरकारके मुखिया मोहम्मद यूनुसने कहा है कि उसके देश के पास भारत के साथ अच्छे संबंध रखने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है। एक इंटरव्यू में मोहम्मद यूनुस ने कहा कि दोनों देश एक-दूसरे पर निर्भर हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि हाल के कुछ महीनों में दुष्प्रचार ने दोनों देशों के बीच तनाव को जन्म दिया है। इस दौरान यूनुस ने दुष्प्रचार के उन स्रोतों पर कुछ नहीं कहा। उन्होंने यह भी कहा कि बांग्लादेश भारत के साथ अपनी गलतफहमी दूर करने की कोशिश कर रहा है।

उनकी यह टिप्पणी काफी अहम इसलिए भी है क्योंकि यह 3 से 4 अप्रैल के बीच थाईलैंड में होने वाले बिम्सटेक शिखर सम्मेलन से कुछ हफ्ते पहले आई है। इस सम्मेलन में बांग्लादेशी पक्ष प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मीटिंग करना चाह रहा है और उसके लिए हाथ-पैर मार रहा है। इसके अलावा मोहम्मद यूनुस अब अपने ही देश में घिरने लगे हैं। यहां तक कि सेना प्रमुख के निशाने पर आ चुके हैं। दूसरी तरफ, आंदोलनकारी छात्र नेता ने उनकी सरकार से इस्तीफा दे दिया है और अपनी नई पार्टी बना ली है।

दुष्प्रचार के कारण पैदा हुए तनाव- यूनुस

इंटरव्यू में भारत-बांग्लादेश संबंधों को बहुत अच्छा बताते हुए, यूनुस ने कहा, “संबंधों में कोई गिरावट नहीं आई है। हमारे संबंध हमेशा अच्छे रहेंगे। वे अभी भी अच्छे हैं और भविष्य में भी अच्छे रहेंगे। बांग्लादेश और भारत के बीच अच्छे संबंध रखने के अलावा कोई और रास्ता नहीं है।” उन्होंने कहा, “हमारे संबंध बहुत करीबी हैं, हम एक-दूसरे पर बहुत निर्भर हैं। हम ऐतिहासिक, राजनीतिक और आर्थिक दृष्टि से इतने करीब हैं कि हम अलग-थलग नहीं रह सकते।”

हालांकि, उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच कुछ संघर्ष उत्पन्न हुए हैं, जो काफी हद तक दुष्प्रचार के कारण हैं। यूनुस ने कहा, “दूसरे लोग यह तय करेंगे कि दुष्प्रचार के स्रोत कौन हैं लेकिन इस दुष्प्रचार के परिणामस्वरूप, हमारे बीच गलतफहमी पैदा हुई है। हम उस गलतफहमी को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं।” यूनुस ने यह भी कहा कि दोनों देश हमेशा संपर्क में रहते हैं और दोनों पक्षों की ओर से उच्च स्तरीय यात्राएं हुई हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने कार्यभार संभालने के बाद पीएम मोदी से बात की थी।

लगातार बिगड़ते चले गए द्विपक्षीय संबंध

बता दें कि पिछले अगस्त में छात्रों के व्यापक और उग्र आंदोलन की वजह से तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़कर भागना पड़ा था। इसके बाद नोबेल पुरस्कार विजेता के नेतृत्व में कार्यवाहक सरकार का गठन किया गया था। हालांकि, इसके बाद भारत-बांग्लादेश संबंध लगातार बिगड़ते चले गए। बांग्लादेश शेख हसीना के प्रत्यर्पण की लगातार मांग कर रहा है तो वहीं भारत ने बार-बार अंतरिम सरकार द्वारा बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों से निपटने के तौर-तरीके की आलोचना की है।

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