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हर्षद बनिये मगर जेल में मत मारिए, हमारा नुस्खा अपनाइए

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       पुष्पा गुप्ता 

हर्षद मेहता का यही अपराध था. बिगबुल के नाम से मशहूर हर्षद, जो खरीदना शुरू करते थे, उसकी कीमत में भारी उछाल आ जाता। बाद में पता चला कि वे कुछ दलालों की एक रिंग बनाकर काम करते। ये लोग चयनित शेयरों को ऊंचे भाव पर खरीदने लगते। लोग देखादेखी खरीदते। 

    जब उनके रेट खूब चढ़ने लगते, तो हर्षद और उनके साथी मुनाफे पर बेचकर खूब पैसा कमाते। भांडा दूसरी जगह से फूटा। 

  इतने शेयर खरीदने, तेजी लाने के लिए अकूत पैसा चाहिए। हर्षद ने कुछ बैंको के बड़े अफसरों को सेट किया।

मान लीजिए आज बैंक में कैश रखा है- 300 करोड़। पर नहीं रखा है. असल मे वाल्ट में है मात्र 20 करोड़। 

 बाकी कहाँ है- तो वह मेहता जी ने, चेयरमैन साहब से अनऑफिशियल उधारी लेकर  मार्किट में लगा दिया है। 

    वो कम्प्यूटर का दौर नही था। हिसाब बराबर करने को फर्जी “बैंक रिसीट” लगा दी जाती। याने गैप का पैसा, फर्जी पावती लगाकर, दूसरे किसी बैंक को देना दिखा दिया जाता। 

कुछ समय बाद, ये पैसा हर्षद लौटा देता। खेल बढ़िया चल रहा था, की एक लेडी पत्रकार ने ट्रेस कर लिया, और भांडा फूट गया।

    शेयर घोटाला जब फूटा, वित्तमंत्री का इस्तीफा हुआ। कई बैंकों के अफसर नपे। नीचे से ऊपर सिस्टेमिक चेंज हुए। बैंको का कम्प्यूटराइजेशन हुआ। हालांकि ऐसा ही खेल बाद में केतन पारिख में खेला। वे भी अंततः धरे गए, जेल गए। सिस्टम में और सुधार हुए। 

हिन्डनबर्ग उसी लेडी पत्रकार, सुचेता दलाल की तरह हैं। सुचेता को आगे चलकर, पद्मश्री मिला। हिंडनबर्ग को जार्ज सोरोस का दलाल और विदेशी टूलकिट होने की पदवी मिली। 

   वैसे, शेयर मैनिपुलेशन आज भी अपराध है। पांच साल की जेल है, और ऐसे अपराध के आगम से बनाई सम्पत्तियो को राजसात किया जाना होता है। 

   पर तब मामला 5000 करोड़ का था।आजकल ऐसे मैनिपुलेशन के लिए 5-7 लाख करोड़ लगेंगे। कहाँ से आएगा इतना धन?

  आपको भी करना हो, तो मैं रास्ता बताती हूँ :

आप भारत मे एक कम्पनी बनाओ, 

दूसरी विदेश में। मान लो, आप पॉवर प्लांट चलाते हैं। जिसमे 5 रुपये यूनिट का मुनाफा नार्मल है।लेकिन इसपे टैक्स भरना पड़ेगा। 

   तब आप प्लांट का कोयला, अपनी ही विदेशी कम्पनीयो से, खूब महंगे में खरीदें। तो कमाएगी आपकी विदेशी कम्पनी, और घरेलू कम्पनी का लाभ केवल 5 पैसे का दिखेगा। घण्टा टैक्स ? हिहिहि।।

अब आपका सारा मुनाफा आपकी विदेशी कम्पनी के खातों में धरा है। 

तो विदेश में टैक्स लगेगा न..?

  अरे नही भाई। आप विदेशी कम्पनी रजिस्टर कराओगे बहामा में, बरमूडा में, केमेंन आइलैंड, पनामा..!

याने किसी टैक्स हैवन में। सुसरा एक्को टैक्स नही। 

    पर भइया, ये सब काम किसी भरोसे के आदमी से करवाना। मैं तो कहती हूँ कि अगर आपका एक भाई हो, तो उसको विदेश में सेटल कर दो, वोही ये सब गोरखधंधा देखेगा। 

   हां, तो अब यहां का पैसा, विदेश तो खूब भर भर के जमा हो गया। इसको इंडिया कैसे लाओगे?

    तो इसका भी रास्ता है न दोस्त। आप मॉरीशस में कम्पनी बनाओ। मॉरीशस से भारत की एक संधि है। वहां से अगर इन्वेस्टमेंट आता है, तो ज्यादा पूछताछ नही है, टैक्स नही है। 

    तो केमेंन आइलैंड वाली कम्पनी का पैसा, मॉरीशस वाली कम्पनी में डालो।फिर मॉरीशस वाली कम्पनी इंडिया में इन्वेस्ट करेगी। शेयर खरीदेगी। 

सरकार भी खुश. कहेगी, देखो कित्ता विदेशी निवेश आ रहा है। 

    उससे अपने ही शेयर खरीदो। इससे तुम्हारी कम्पनी का मूल्य बढ़ेगा। इतना बढ़ेगा की, शेयर गिरवी रख के 2 लाख करोड़ का लोन ले लो। 

    इस लोन से फिर महंगा कोयला खरीदो, अपनी ही विदेशी कम्पनी से ओवर इंवॉयसिंग करके। 

    धूम टैक्स बचाओ। फिर उसको मॉरीशस ट्रान्सफ़र करो। फिर उसको FDI दिखाकर यहां इन्वेस्ट करो। फिर लोन लो। फिर महंगा कोयला खरीदो।

ऐसे करके, 10 साल में आप दुनिया के दूसरे अमीर बन जाओगे। एकदम आसान है न?

न, न, न!!

नही है। 

  बाबू,ये क्राइम है, फ्रॉड है, 

टैक्स इवेजन है, मनी लांड्रिंग है।

आप धरा गए तो सात पुश्ते जेल में कटेंगी। 

आप पूछो रास्ता क्या है? पूछो पूछो। 

   तो मितरों, रास्ता ये है की एक पार्टी खरीदो, उसके लिए खजाना खोल दो। उसको हवाई जहाज दो, फंड दो, टीवी चैनल खरीदकर दो। लेकिन इससे ज्यादा जरूरी, उसे चूतिये ट्रोल खरीदकर दो।

    इस तरह अपने देश में पब्लिक,और पूरे सत्ता प्रतिष्ठान को खरीद लो।फिर कभी कोई विदेशी रिसर्च फर्म तुम्हारा भांडा फोड़ भी दे, तो कुछ न बिगड़ेगा। 

   ये काम, हर्षद मेहता नही कर पाया। केतन पारिख नही कर पाया। बेचारे छोटे चोर थे। धर लिए गए। हर्षद जेल में गए, वहीं मौत हुई। 

   पर मेरा नुस्खा आजमाएंगे, तो जेल नही जाएंगे। आप देश के जाने माने उद्योगपति, और राष्ट्र देश की अर्थव्यवस्था के कर्णधार कहलायेंगे।

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