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प्रदेश के 23 लाख देवेभो श्रमिकों को बड़ा झटका,अभी पुरानी दर पर ही वेतन मिलेगा

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मप्र में असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को एक अप्रैल 2024 से 25 फीसदी अधिक वेतन दिए जाने के आदेश पर हाईकोर्ट की इंदौर खंड़पीठ द्वारा स्थगन दिए जाने के बाद श्रमायुक्त ने पुरानी दरों को लेकर ही अधिसूचना जारी कर दी है। इसके चलते अभी मजदूरों को अभी पुरानी दर पर ही वेतन मिलेगा। कैबिनेट में निर्णय के बाद श्रमायुक्त कार्यालय से एक अप्रैल से वेतन वृद्धि के आदेश जारी किए थे। इसके विरोध में मप्र टैक्सटाइल मिल एसोसिएशन सहित अन्य संगठनों ने अलग-अलग याचिका दायर कर अंतरिम राहत की मांग की थी। हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने इस पर सुनवाई की और शासन के वेतनवृद्धि के आदेश पर स्थगन दे दिया। मामले में अगली सुनवाई अब जुलाई के प्रथम सप्ताह में होना है। इससे प्रदेश के 23 लाख देवेभो श्रमिकों को बड़ा झटका लगा है।
दरअसल मप्र में आखिरी बार 2014 में असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की मजदूरी रिवाइज की गई थी, जिसे 10 जून 2016 से लागू किया गया था। नियमानुसार हर पांच साल में मजदूरी की दर पुनरीक्षित की जाना चाहिए। 2016 के बाद मार्च 2024 में सीएम मोहन यादव की कैबिनेट में पुनरीक्षित कर दर वृद्धि की स्वीकृति दी गई थी। नई दर में 26 दिन के वेतन के मान से अकुशल श्रमिक को प्रतिदिन 135 व 26 दिन में कुल 1625 रुपये, अद्र्धकुशल को 68 व कुल 1764 रुपये, कुशल को 81 व 2109 और उच्चकुशल को 94 व 2434 रुपये प्रतिमाह अधिक मिलना थे। अप्रैल माह में बढ़ी हुई दर से वेतन भी मिल गया था, लेकिन बाद में मामला कोर्ट पहुंचा और स्थगन आदेश के बाद वेतन पुरानी स्थिति पर पहुंच गया है।
श्रमिकों को महंगाई भत्ता जोडकऱ मिलता न्यूनतम वेतन
मप्र सरकार के निर्णयों के अनुसार, श्रमिकों को देय प्रचलित न्यूनतम वेतन की दरों में 25 प्रतिशत की वृद्धि और जनवरी से जून 2019 के औसत अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर दिनांक 1 अक्टूबर 2019 से देय परिवर्तनशील महंगाई भत्ते को न्यूनतम वेतन में जोडकऱ नई न्यूनतम वेतन दरें निर्धारित की गई थीं। यह अखिल भारतीय उपभोक्तार मूल्य सूचकांक 311 पर आधारित कर संबंद्ध की गई थी। नई न्यूनतम वेतन दरों के प्रभावशील होने पर अकुशल श्रमिकों का न्यूनतम वेतन 9 हजार 575 रुपए प्रतिमाह हो जाता। इसी तरह अद्र्धकुशल श्रमिकों का न्यूनतम वेतन 10 हजार 571 रुपए प्रतिमाह होता। कुशल श्रमिकों का न्यूनतम वेतन 12294 जबकि उच्च कुशल श्रमिकों का न्यूनतम वेतन 13919 रुपए प्रतिमाह हो जाता। श्रमिकों की वेतन दरें लेबर ब्यूरो शिमला द्वारा निर्मित औद्योगिक श्रमिकों के लिए अखिल भारतीय उपभोक्तार मूल्य सूचकांक जनवरी 2019 से जून 2019 के आंकड़ों के औसत पर आधारित था। सरकार की घोषणा के अनुसार कृषि श्रमिकों को देय प्रचलित न्यूनतम वेतन की दरों में 25 प्रतिशत की वृद्धि तथा लेबर ब्यूरो शिमला द्वारा निर्मित अखिल भारतीय कृषि श्रमिक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के औसत के आधार पर 1 अक्टूबर 2019 से देय परिवर्तनशील महंगाई भत्ते को न्यूनतम वेतन में जोडकऱ नई न्यूनतम वेतन दरें निर्धारित की गई है। नई न्यूनतम वेतन दरों के प्रभावशील होने पर कृषि श्रमिकों का न्यूनतम वेतन 7660 रुपए प्रतिमाह हो जाता।  इसी प्रकार बीड़ी श्रमिकों एवं अगरबत्ती श्रमिकों के वेतन में भी देय प्रचलित न्यूनतम वेतन की दरों में 25 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। न्यूनतम वेतन की दरें किसी भी श्रमिक पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालेंगी। अगर वर्तमान वेतन की दरें संशोधन दरों से अधिक है, तो वह किसी भी दशा में कम नहीं की जाएंगी,जब तक की न्यूनतम वेतन की दरें उसके समकक्ष नहीं हो जाती हैं।
निजी क्षेत्र के श्रमिकों को भी नुकसान
कोर्ट के आदेश के बाद कारखानों सहित अलग-अलग निजी व सरकारी संस्थानों में कार्यरत प्रदेश के 25 लाख दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को एक बड़ा झटका लगा है। दरअसल हर साल अप्रैल में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों का वेतन बढ़ाया जाता है। इसमें चार श्रेणी अकुशल, अद्र्धकुशल कुशल और उच्च कुशल के कर्मचारी शामिल हैं। इस बार भी यह बढ़ाया गया था। कर्मचारियों के मुताबिक 24 मई को जारी आदेश के बाद चारों श्रेणियों में अब हर महीने 1625 रुपए से 2434 रुपए तर्क कम मिलेंगे। इधर, मामले में ऑल डिपार्टमेंट आउटसोर्स संयुक्त संघर्ष मोर्चा के प्रांतीय संयोजक मनोज भार्गव का कहना है कि प्रदेश में 68 साल में पहली बार ऐसा हुआ है। भारतीय मजदूर संघ से जुड़े संगठन मध्य प्रदेश टैक्सटाइल मिल एसोसिएशन ने हाई कोर्ट की बेंच में याचिका दायर की थी। मप्र में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) के आधार पर वेतन निर्धारण का बेस ईयर भी केंद्र और अन्य कई राज्यों की तुलना में 15 साल पुराना है। केंद्र सरकार द्वारा दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को 2016 के बेस ईयर के आधार पर वेतन दिया जा रहा है। मध्य प्रदेश में यह 2001 के बेस ईयर से मिल रहा है। इसके कारण भी कर्मचारियों को 9351 रुपए से 12082 रुपए तक कम वेतन मिल रहा है।
सीएम हेल्पलाइन से भेजेंगे ज्ञापन
मप्र कर्मचारी मंच ने मुख्यमंत्री को पत्र प्रेषित करके मांग की है कि दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों का 1 अप्रैल से बढ़ाया गया वेतन जो माह जून में कम कर दिया गया है उसे पुन: बढ़ाया जाए और दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों के वेतन से कटौती न की जाए। मप्र कर्मचारी मंच के प्रदेश अध्यक्ष अशोक पांडे ने बताया कि मुख्यमंत्री की घोषणा पर प्रदेश के दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों का वेतन 2225 रुपए प्रतिमाह बढ़ाया गया था, लेकिन टैक्सटाइल एसोसिएशन कि याचिका पर इंदौर हाई कोर्ट ने वेतन बढ़ोतरी के आदेश पर स्थगन आदेश जारी कर दिया है। इस कारण प्रदेश भर के दैनिक वेतन भोगी, श्रमिक, अकुशल श्रमिक, अर्ध कुशल श्रमिक, कुशल श्रमिक, उच्च कुशल श्रमिक का वेतन पुन: कम कर दिया गया है। जिससे प्रदेश के दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों को आर्थिक नुकसान हुआ है। इस कारण दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों में असंतोष व्याप्त है। 1 अप्रैल से जो वेतन बढ़ाया गया था वह 20 साल पुराने इंडेक्स के आधार पर बढ़ाया गया था। फिर भी हाईकोर्ट ने स्थगन देकर उसे कम कर दिया, जो न्यायोचित नहीं है। यदि शीघ्र ही  दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों का वेतन पूर्व अनुसार नहीं बढ़ाया गया तो प्रदेश भर के दैनिक वेतन भोगी श्रमिक  मुख्यमंत्री हेल्पलाइन में हजारों की संख्या में ज्ञापन भेज कर पुन: वेतन वृद्धि की मांग करेंगे।

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