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बायोलाॅजिकल इंसान की मातृ कथा!

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कनक तिवारी 

हां मैं बाॅयोलाॅजिकल एनिमल या अंधभक्त जुबान में देहधारी इन्सान हूं। आसमान से नहीं टपका। मुझे मां की कोख ने जन्म दिया। यही वैज्ञानिक सच है। नाते रिश्तेदार, डाॅक्टर, पास पड़ोस के लोग गवाह हैं। अभी सुना कोई कह रहा था मुझे शायद मां ने जन्म दिया हो लेकिन परमात्मा ने भेजा है। उसके भी दस साल पहले मुझे भी परमात्मा ने धरती पर भेजा। नासूर में गलती मां की ज़िंदगी खत्म होने को थी। कृष्णभक्त नानी ने वृन्दावन में तपस्या की। उन्हें सपने में कृष्ण ने आकर कहा जाओ तुम्हारी बेटी के घर वंश चिराग जलेगा। लेकिन उसे उसकी मां ही जन्म देगी। वह बायोलाॅजिकल ट्रुथ होगा। बाई और नानी ने जान दे दी। तब भी मेरे बायोलाॅजिकल ट्रुथ में आध्यात्मिकता नहीं आई। परमात्मा की भी इतनी हैसियत नहीं थी कि कह सकें कि इसे इसकी मां पैदा नहीं करेगी। आध्यात्मिकता सपने में थी। विज्ञान जीवन में रह गया। 

कोई कह गया है कि मुझे मेरी मां ने शायद पैदा किया हो। मां क्या संभावना होती है? कपूत तो संभावना हो सकता है। किसी ने एंटन चेखव के नाम से सच्ची झूठी कहानी सुनाई थी। रात एक आदमी को प्यास लगी। उसने पानी पिया। बार बार पिया। चाय पी। काफी पी। दूध पिया। सब पी लिया। लेकिन प्यास नहीं बुझी। फिर शराब पी। तब भी नहीं। प्यासे आदमी में हिंसा भड़कती है। लेकिन इन दिनों खासतौर पर गरीब तबके के लोगों को भी पीने का पानी नहीं मिलने से हिंसा क्यों नहीं भड़क रही है? अचानक उसे सड़क पर एक बच्चा दिखा। उस बच्चे को कैनिबाॅल की तरह मारकर उसका खून पी लिया। प्यास तब भी नहीं बुझी। उसे गिरफ्तार कर फांसी पर चढ़ाने हुक्म हुआ। फांसी के तख्ते पर चढ़ रहा था। तब अचानक उसे याद आया। उसने चीखकर कहा। सुनो सब लोगों! मेरी प्यास क्यों नहीं मिट रही? अब समझ आ गया। मुझे जन्म देते ही मां की मृत्यु हो गई। मैंने उसका स्तनपान नहीं किया। यह मेरी अमिट प्यास है। उसके लिए मर चुकी मां तक संभावना नहीं हो पाई। उसकी देह में प्राण बनी रही। लोग हैं कि मूछों पर ताव देते दाढ़ी पर हाथ फेरते कह लेते हैं कि संभावना है कि शायद मेरी मां ने मुझे पैदा किया हो। 

अंगरेज़ी के विश्व प्रसिद्ध निबंधकार चार्ल्स लैंब मेरे बहुत प्रिय हैं। उनके एक लंबे निबंध ‘ड्रीम चिल्ड्रन‘ याने स्वप्निल शिशु में महाकाव्यों जैसी त्रासद अनुभूतियां भी हैं। दिवास्वप्न देखते लेखक को आसमान में दो बच्चे दीखते हैं। एक लड़का। एक लड़की। दोनों कहते हैं तुमने हमारी मां को धोखा दिया। उससे प्यार किया लेकिन शादी नहीं की। हमारी मां ने हमें जन्म देने के बाद आत्महत्या कर ली। तुम हमारे हत्यारे पिता हो। मां से ज़्यादा हमारे। लेखक पिता पूछता है। आप क्या हैं? वे कहते हैं, हम इंसान होने की संभावनाएं हैं। पानी के बुलबुले हैं। तुम्हारी गोद में आएंगे या हमें छू लोगे तो हम मिट जाएंगे। अस्तित्वहीन हो जाएंगे। मां के लिए संभावनायुक्त बच्चे भी नहीं कहते कि हमारी मां हमारी संभावना मात्र थी। 

लैम्ब की बहन मेरी ने अपनी मां की पागलपन में हत्या की थी। इसलिए आत्मीय रिश्तों के दुनिया के शीर्ष निबंधकार ने सब रिश्तों पर लिखा लेकिन मां पर नहीं लिखा कि कहीं उसे पढ़कर बहन मेरी पर पागलपन का दौरा नहीं चढ़ जाए। अपनी मां की याद को अपने जेहन से खरोंच डाला लैम्ब एक महान भाई ने। मां के नहीं होने की टीस उसके ड्रीम चिल्ड्रन जैसे निबंधों में आंखों में आंसुओं को भिगोने लगती हैं। एम0 ए0 फाइनल के परचे में मैंने लिख दिया था कि लैम्ब का सबसे बेहतर निबंध तो उसकी मां पर है, जो उसने लिखा ही नहीं। धन्य है वह सहनशील कोख जिसने लैम्ब में मनुष्य होने की संभावना को पैदा किया। प्रसिद्धि की संभावनाओं के क्षितिज पर जाकर भी वह मां का बायोलाॅजिकल बेटा ही तो रहा। मशहूर प्रो0 एस0 आर0 स्वामीनाथन ने मेरे गलत जवाब के बावजूद मुझे यूनिवर्सिटी में सबसे ज़्यादा नंबर दिए थे। मां की याद में छलके दर्द को उकेरती संभावनाओं का निबंध प्रो0 स्वामीनाथन को भी उनकी मां की याद दिला गया होगा। 

साढ़े तीन बरस का था। तब मां चली गईं। वह मां होने की संभावना नहीं थीं। उसकी नासूर वाली छाती में भी मुझे अपना बेटा बनाने की संभावनाओं का सपना लिए प्रजननशील रहीं। रोज़ उनसे बातें करता हूं। ।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।जीवित होतीं तो मैं भी कैमरामैन लेकर बार बार जाता और मां के साथ तस्वीरें खिंचवाकर मीडिया में विज्ञापन के रेट में भी छपवाता। अमेरिका जाता तो वहां भी मां की याद में रोने का अनुष्ठान करता ही। मैं अगर जवान हो गया होता तो मां को कोई काम नहीं करने देता। बाजार में लाइन लगाने तो देता ही नहीं। वह जवानी क्या जो मां को संभावना कहे और डिजिटल क्रांति को वैज्ञानिक आध्यात्मिकता। 

क्या आई टी सेल के उत्पाद को भी आध्यात्मिकता कह सकते हैं? सुनो रवीश कुमार! मैं भी तुम्हारे रिटायर्ड अंकिलों की उम्र में आ गया हूं।यदि शक करूं शायद मां ने मुझे जन्म दिया होगा। तो मेरे घर के लोग पागलखाने में भर्ती कर देंगे। मेरी मां तो संभावना रही होंगी, ऐसा कहने से मनुष्य होने की संभावना क्या बच भी सकती है? अंगरेज़ी के बडे़ कवि लाॅर्ड बाॅयरन के लंगड़े होने से शायद उसकी मां लंगड़ा कहकर बुलाती थीं। आक्रोश में बायरन ने सौतेली बहन से ब्याह कर लिया। उद्दाम रोमांस और हिंसक प्रतिहिंसा को समेटे लड़ाई के मैदान में जाकर मर भी गया। किस्सा है परशुराम ने अपनी मां की हत्या कर दी थी। क्या यह आध्यात्मिकता भी है? संसद में 544 बायोलॅजिकल प्रोडक्ट के ऊपर एक आध्यात्मिक शक्तिमान बैठे तो क्या कलियुग सतयुग में बदल जाएगा?

मां मुझे कनक याने सोना कहती थीं। मैं जीवन भर पुकार रहा हूं मां! अगर मैं तेरे लिए सोना हूं। तो तू मेरे लिए हीरा है। ।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।जब मां का नाम हीरा हो तो वह संभावना कैसे हो सकती है? बेटा भले ही मनुष्य होने की असफल संभावना हो। ।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।मां तो देवकी थीं जिन्होंने अपने लाल को मथुरा के राजा से निपटने के लिए वृन्दावन में जसोदा के पास जेल यातना सहकर भी भेजा था। मां वे थीं जब चाफेकर बंधुओं को मौत की सज़ा सुनाई गई। तब भीड़ से चीख चीखकर कह रही थीं ‘काश! मेरे दो बेटे और होते तो उनकी लाशों को भी तिरंगे झंडे में लिपटा देखकर मेरा मातृत्व धन्य हो जाता। 

मां की कोख ही इतिहास की जननी होती है। जिसे माता पर भरोसा नहीं हो, वह नफरती तो हो सकता है। आध्यात्मिक कैसे है? मां की बुराई करने वाले को लोग नराधम कहने लगते हैं।

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