अग्नि आलोक

चिड़िया आसमान में / जिंदगी एक सुनहरा पन्ना / द्वंद भरे सपने / आंखों से टपकती है धारा

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चिड़िया आसमान में

चांदनी कुमारी
मुजफ्फरपुर, बिहार

चिड़िया आसमान में नया सवेरा लाती है,
नई ऊंचाइयों को गगन में खोज नई लाती है,
बादलों के गरजने से, बूंदों के बरसने से,
चिड़िया का घर हमेशा बिखरते रहता है,
इसीलिए वह चिड़िया देखो ज़रा,
नई खोज, नई दिशा में उड़ती जाती है,
एक-एक तिनका का यूं चुन चुन कर,
नया घोंसला अपना फिर से बनाती है।।

जिंदगी एक सुनहरा पन्ना

दीपिका बामणिया
जैसलमेर, राजस्थान

जिंदगी तो एक सुनहरा पन्ना है,
जिसमें यादों को लिखा जाता है,
किस्मत के रूठ जाने पर मेहनत ढूंढा जाता है,
मां की हर लोरी में पिता को ढूंढा जाता है,
परायों की दुनिया में अपनों को देखा जाता है,
रिश्तों के धागों में दोस्ती को पिरोया जाता है,
गुलामी की जंजीरों में आजादी को पाया जाता है,
यह वह सुनहरा पन्ना है, जिसे हर रात लिखा जाता है,
ज़माने की बातों में खुद को ही ढूंढा जाता है,
और इतिहास देखकर भविष्य बुना जाता है,
बच्चों की नादानियों में भगवान को देखा जाता है,
पिता की हर डांट में सफलता ढूंढा जाता है।।

द्वंद भरे सपने

रिमझिम कुमारी
मुजफ्फरपुर, बिहार

सपनों के तराजू पर जरूरतें अभी भारी हैं,
पूरा किसे करूं, प्रश्न ये अभी जारी है,
द्वंद बढ़ता जाता है, निष्कर्ष निकल न पाता है,
सपनों की दुनिया को जरूरतें दबाए जाती हैं,
वक्त निकलता मानों, मुट्ठी से गिर रही रेत जैसे,
समय की मार फिर तो ऐसी पड़ी रिमझिम,
सपनों के ऊपर ज़रूरतें ऐसी पड़ी भारी,
मन की आवाज़ बार-बार ठनकती है,
आशाएं और उम्मीदों की किरण जगाती है,
फिर जरूरतें उस पर होती हावी हैं,
पूरा किसे करूं अभी यहीं प्रश्न जारी है।।

आंखों से टपकती है धारा

अंजली भारती
मुजफ्फरपुर

आखिर क्यों? स्त्री की आंखों से टपकती है धारा?
लोगों ने जब उसपर जुल्म बहुत है ढ़ाया,
जाने क्यूं मर्दों ने उसे समझा है कमजोर,
और उसपर पौरुष का लगाया जोर,
कभी मारा, कभी दी गाली और कभी सताया,
क्यों घृणा की नजर से देखी जाती है औरत?
क्यों उसे कमज़ोर समझता है ये समाज?
देश बदला और दुनिया बदली, मगर,
बदली ना कभी औरत की काया,
आखिर क्यों, स्त्री की आंखों से टपकती है धारा?चरखा फीचर्स

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