प्रवीण मल्होत्रा
बीजेपी 2024 के लोकसभा चुनाव के लिये एक नई रणनीति पर काम कर रही है। प्रिंट मीडिया में जो खबर प्रमुखता से प्रकाशित की गई है उसका लब्बोलुआब यह है कि बीजेपी 41 से 55 वर्ष की आयुवर्ग वाले नेताओं को टिकिट देने में प्राथमिकता देगी। इस फार्मूले के अनुसार आगामी आमचुनाव में 150 नए एवं युवा प्रत्याशियों को अवसर मिल सकता है।
बीजेपी के वर्तमान 301 लोकसभा सांसदों में 135 सदस्य पहली बार तथा 97 सदस्य दूसरी बार चुनाव जीत कर लोकसभा में पहुंचे हैं। यानी इन 232 सांसदों में से अधिकांश को पुनः अवसर मिल सकता है। बीजेपी के दो सांसद – मेनका गांधी और संतोष गंगवार – लगातार आठ बार से तथा मध्यप्रदेश की टीकमगढ़ सीट से सांसद डॉ. वीरेंद्र कुमार सातवीं बार लोकसभा में हैं। उपरोक्त फार्मूला यदि लागू होता है तो इन तीनों सांसदों को इस बार टिकिट नहीं मिलेगा।
मेनका गांधी और तीन बार के सांसद वरुण गांधी काफी समय से असंतुष्ट चल रहे हैं। इन दोनों माँ-बेटे का टिकिट कटना पक्का है और ये दोनों समाजवादी पार्टी के टिकिट पर या उसके समर्थन से चुनाव लड़ सकते हैं। संतोष गंगवार की उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ नहीं बन रही है। उन्हें मंत्री पद से भी वंचित किया जा चुका है। उनका टिकिट कटना भी पक्का है। डॉ. वीरेंद्र कुमार मध्यप्रदेश बीजेपी का प्रमुख दलित चेहरा हैं। फार्मूले के तहत यदि उनका टिकिट काटना पड़ा तो उन्हें राज्यसभा में लाया जा सकता है या फिर राज्यपाल बनाया जा सकता है।
इन तीन महारथियों के अलावा बीजेपी के आठ सांसद छठवीं बार, 11 सांसद पांचवी बार, 19 सांसद चौथी बार और 28 सांसद तीसरी बार जीत कर लोकसभा में पहुंचे हैं। बीजेपी को यदि 150 नए चेहरे उतारना हैं तो इन 66 सांसदों के टिकिट भी काटने पड़ेंगे, जो कि सम्भव नहीं जान पड़ता है। क्योंकि इनमें बीजेपी के वे कद्दावर नेता भी शामिल हैं जो मोदी कैबिनेट के अहम विभागों के मंत्री हैं। इसलिये बीजेपी को काफी लचीला रुख अपनाना पड़ेगा।
यह सम्भव है कि कुछ अपवादों को छोड़ कर जो सांसद पांच या अधिक बार से चुन कर लोकसभा में आ रहे हैं उनमें से कुछ को संगठन की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी जाए और कुछ को राज्यसभा में लाकर समायोजित किया जाए। अधिकांश नए चेहरे वही हो सकते हैं जहां से बीजेपी 2019 में चुनाव हार चुकी है। हारी हुई सीटों पर पुनः नए चेहरे लाकर बीजेपी हारी हुई सीटों को पुनः जीतने का प्रयास करेगी।
कुछ अपवादों को छोड़कर वर्तमान सांसदों में से 70+ को टिकिट से वंचित किया जा सकता है। प्रधानमंत्री मोदी स्वयं 70+ की श्रेणी में आते हैं। इसलिये 70+ का फार्मूला बहुत सख्ती के साथ लागू नहीं किया जा सकता है। हां, नितिन गडकरी जैसे कद्दावर नेता को, जो कि दो बार के सांसद हैं, इस बार टिकिट से वंचित किया जा सकता है; क्योंकि वे प्रधानमंत्री मोदी के एकछत्र नेतृत्व के लिये ही चुनोती बने हुए हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि वर्तमान सांसदों में से कितनों को पुनः अवसर नहीं मिलता है और कितनों में पुनः विश्वास जताया जाता है।