आम आदमी पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए ‘जेल का जवाब वोट से’ अभियान शुरू किया। उधर जम्मू-कश्मीर के रामबन में खूनी नाला पर भूस्खलन के कारण जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग बाधित हुआ। सड़क बहाली का काम चल रहा है। वहीं मध्य प्रदेश में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की एक टीम सर्वेक्षण के लिए धार में भोजशाला परिसर पहुंची है।’सेना बनाम सेना’ विवाद मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई,केजरीवाल को सीएम पद से हटाने वाली याचिका पर हाईकोर्ट में आज सुनवाई,के. कविता की जमानत याचिका पर राउज एवेन्यू कोर्ट सुनाएगी फैसला,पीएम नरेंद्र मोदी की आज छत्तीसगढ़ के बस्तर और चंद्रपुर में रैली,यूपी के CM योगी आदित्यनाथ महाराष्ट्र में आज तीन जगहों पर करेंगे रैली, ASI ने 22 मार्च को धार भोजशाला परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण शुरू किया था
अब दवाओं का भ्रामक प्रचार नहीं कर पाएंगी कंपनियां, हो सकती है एक साल की जेल, जुर्माना या दोनों
दिल्ली में आयुर्वेद, सिद्ध यूनानी व होम्योपैथी दवाओं की कंपनियां भ्रामक प्रचार नहीं कर पाएंगी। इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग ने सार्वजनिक सूचना जारी की है। ऐसा करने पर आरोपी को एक साल तक की सजा, भारी जुर्माना या दोनों किया जा सकता है। सूचना में कहा गया है कि औषधि एवं चमत्कारी उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 की अनुसूची रोगों को लेकर आयुर्वेद, सिद्ध यूनानी एवं होम्योपैथी या किसी अन्य औषधि का विज्ञापन नहीं किया जा सकता।दिल्ली में आयुर्वेद, सिद्ध यूनानी व होम्योपैथी दवाओं की कंपनियां भ्रामक प्रचार नहीं कर पाएंगी। इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग ने सार्वजनिक सूचना जारी की है। ऐसा करने पर आरोपी को एक साल तक की सजा, भारी जुर्माना या दोनों किया जा सकता है।
आयुर्वेद, सिद्ध यूनानी व होम्योपैथी से जुड़े अस्थमा, अंधापन, कैंसर, मोतियाबिंद, बहरापन, मधुमेह, मासिक धर्म और गर्भाशय संबंधी विकार, तंत्रिका संबंधी विकार, जलोदर, मिर्गी, महिला वक्ष की संरचना, कद, पित्त की पथरी, गुर्दे और मूत्राशय की पथरी, लकवा, पागलपन, ल्यूकोडर्मा, मोटापा, गठिया, यौन नपुंसकता, महिलाओं में बांझपन, यौन रोग और एचआईवी एड्स सहित दूसरे रोग को लेकर दवाओं का विज्ञापन नहीं कर पाएंगे। ऐसा करने वालों पर औषधि एवं जादुई उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 के प्रावधान के तहत सजा हो सकती है।
वहीं इस आदेश को लेकर दिल्ली के डॉक्टरों का कहना है कि यह अच्छा फैसला है। विभिन्न कंपनियां दावा करती हैं कि वह उक्त रोग को जड़ से खत्म कर देंगे। लोग प्रचार को देखकर दवाओं का सेवन करते हैं। इससे शरीर को नुकसान हो सकता है। ऐसे में यह आदेश काफी महत्वपूर्ण है। इस आदेश को सख्ती से लागू करना चाहिए।
मोदी की डिग्री पर टिप्पणी मामले में संजय सिंह को SC से नहीं मिली राहत, जानें पूरा मामला
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शैक्षणिक योग्यता पर टिप्पणी मामले में दायर मानहानि मुकदमे में जारी समन पर हस्तक्षेप करने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया। मानहानि का यह मुकदमा गुजरात विश्वविद्यालय ने दायर किया है।
पहले गुजरात हाईकोर्ट ने इस मामले में सिंह को कोई राहत देने से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर सहमति जताई है। मानहानि के मुकदमे में संजय सिंह के अलावा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का भी नाम है।
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष जारी समन को रद्द करने की मांग वाली संजय सिंह की याचिका को खारिज कर दिया। इससे पहले गुजरात हाईकोर्ट ने इस मामले में सिंह को कोई राहत देने से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर सहमति जताई है। मानहानि के मुकदमे में संजय सिंह के अलावा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का भी नाम है।
आप के दोनों नेताओं ने प्रधानमंत्री मोदी को दिए गए डिग्री प्रमाणपत्रों की प्रतियों का खुलासा करने में गुजरात विश्वविद्यालय की स्पष्ट अनिच्छा पर सवाल उठाया था। गुजरात हाईकोर्ट ने मार्च 2023 में फैसला सुनाया था कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मोदी के डिग्री प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं है। इसके तुरंत बाद गुजरात विश्वविद्यालय ने दोनों पर मानहानि का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज की।
ट्रायल कोर्ट ने पिछले साल अप्रैल में इस मामले में केजरीवाल और सिंह को समन जारी किया था। जिसके बाद दोनों ने राहत के लिए गुजरात हाईकोर्ट का रुख किया था। 26 फरवरी को हाईकोर्ट ने केजरीवाल और सिंह को जारी समन को रद्द करने से इनकार करते हुए कहा था कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का मतलब यह नहीं हो सकता कि एक नागरिक दूसरे को बदनाम कर सकता है।
‘लाठी के जोर पर लोकतंत्र’ कायम रखना चाहती हैं सीएम ममता बनर्जी
लोकसभा की 42 सीटों वाले पश्चिम बंगाल में चुनावी कोलाहल कुछ ज्यादा ही सुनाई पड़ रहा है। छोटा संदेशखाली कहे जा रहे पूर्व मिदनापुर के भूपतिनगर में छह अप्रैल को एनआईए की टीम पर हमले ने साफ कर दिया है कि राज्य में कानून-व्यवस्था की मशीनरी किस तरह ध्वस्त हो गई है।बंगाल में एनआईए टीम पर हमले ने साफ कर दिया है कि ममता सरकार ‘लाठी के जोर पर लोकतंत्र’ की परिपाटी को हर हालत में कायम रखना चाहती हैं।
वर्ष 2022 में पूर्वी मेदिनीपुर जिले के भूपतिनगर में एक तृणमूल नेता के घर बम विस्फोट हुआ और तीन लोगों के चीथड़े उड़ गए। दो घायल फरार हो गए थे। एनआईए को तभी से उन दोनों की तलाश थी। एनआईए को जांच का जिम्मा कलकत्ता हाईकोर्ट ने दिया था। कई बार समन भेजने के बावजूद ये आरोपी हाजिर नहीं हो रहे थे। सफाई देते हुए पांच अप्रैल की सभा में ममता ने उस विस्फोट को पटाखे का विस्फोट बताया। सवाल है कि क्या पटाखा फटने से शरीर के अंग डेढ़ किलोमीटर दूर जा सकते हैं। हद तो तब हो गई, जब मुख्यमंत्री ममता ने कहा कि लोगों ने वही किया, जो करना चाहिए था। बंगाल पुलिस ने तो एनआईए की टीम पर ही महिलाओं से छेड़खानी का केस दर्ज कर लिया। संदेशखाली में ईडी के खिलाफ भी इसी तरह के आरोप लगाकर स्थानीय थाने में केस दर्ज किया गया था, पर संभावित कार्रवाई पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी।
आरोप है कि एक भाजपा नेता जितेंद्र तिवारी ने एनआईए के एसपी धनराजराम सिंह से उनके घर पर मुलाकात की। तृणमूल इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ले जाने की बात कह रही है। वह इस चुनावी मौसम में केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगा रही हैं। अगर न्याय के लिए तृणमूल सरकार अदालतों की शरण में जाए, तो यह बात समझ में आती है, पर कई मामलों में वह डंडे के जोर पर लोकतंत्र चलाती हैं और अदालती आदेशों को भी ठेंगा दिखाती रही हैं। पूर्व सांसद महुआ मोइत्रा पर हाल ही में पीएमएलए के तहत केस दर्ज किया गया है। ममता सरकार ने संदेशखाली में कैंप लगाकर जिन लोगों की हड़पी गई जमीनें वापस लौटाईं, उन पर शाहजहां की गिरोह के दूसरे लेयर के उपद्रवी कब्जा नहीं करने दे रहे। आज भी पुलिस के असहयोग का आलम यह है कि बलात्कार पीड़ित महिलाएं घूंघट में आकर कलकत्ता हाईकोर्ट में बयान दर्ज करा रही हैं।
कई कारणों से सिर्फ बशीरहाट सीट का जनादेश पूरे बंगाल का भविष्य इंगित करेगा। इसी निर्वाचन क्षेत्र में संदेशखाली है, जहां की डरावनी कहानियां झकझोर देती हैं। हिंदी में ठीक-ठाक बात करने में सक्षम रेखा पात्रा को तृणमूल ने बाहरी मान लिया है। वैसे, तृणमूल हिंदी बोलने वालों को बाहरी ही कहती रही है। कुछ साल पहले आसनसोल में एक चुनावी सभा में ममता ने हिंदी भाषियों को अतिथि कहा था।
ऐसे माहौल में, भाजपा ने सही दांव चलते हुए संदेशखाली की पीड़िताओं को एकजुट करने वाली रेखा पात्रा को उम्मीदवार बनाया, ताकि पूरे चुनाव में महिला सम्मान का विमर्श जिंदा रहे। ममता की बड़ी ताकत राज्य की 49 प्रतिशत महिला वोटर हैं। इस सीट पर तृणमूल ने मुस्लिम आबादी को देखते हुए एक बार सांसद रह चुके हाजी नुरुल इस्लाम को टिकट दिया है, जिन पर वर्ष 2010 में इसी इलाके में दंगे भड़काने का आरोप लगा था। अभी चार अप्रैल को उत्तर बंगाल की चुनावी सभा में ममता ने लोगों से कहा कि वे दंगा न करें, और दंगा न होने दें। रामनवमी से ठीक पहले यह संदेश जारी करने की क्या जरूरत थी?
बशीरहाट का बड़ा हिस्सा सुंदरबन के जंगलों व टापुओं पर बनी बस्तियों से घिरा है। यहां साढ़े 17 लाख मतदाता हैं, जिनमें करीब 87 प्रतिशत ग्रामीण इलाकों में रहते हैं। इस क्षेत्र में लगभग 46.3 फीसदी मुस्लिम आबादी है। अनुसूचित जाति के करीब 25.4 प्रतिशत लोग हैं और रेखा पात्रा इसी समुदाय से हैं। पिछले दो महीनों से इलाके की महिलाओं के लक्ष्मी भंडार के रुपये खातों में नहीं आ रहे हैं। इन महिलाओं ने प्रदर्शन करते हुए पूछा कि क्या यह राशि तृणमूल दे रही है? इन मेहनतकश महिलाओं के प्रति किसी की ममता अगर नहीं छलकती है, तो इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है?
सात अप्रैल को उत्तरबंगाल के धूपगुड़ी में चुनाव प्रचार करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने भी कहा कि अपराधियों को बचाने के लिए तृणमूल सरकार केंद्रीय एजेंसियों पर हमले करवा रही है। मुख्यमंत्री होकर राष्ट्र से लड़ने का दुस्साहस दीदी को भारी पड़ सकता है। कई बार शक होता है कि कहीं ममता खुद ही राज्य को राष्ट्रपति शासन की ओर तो नहीं ले जा रही हैं, ताकि क्षेत्रीयता का बवंडर उठाया जा सके? हालांकि भाजपा ऐसा ‘मौका’ नहीं देने के पक्ष में है।
दिल्ली के बाजारों में दिखने लगी रौनक, पठानी और लखनवी कुर्ते की धूम; खरीदारी में जुटे लोग
ईद को अब कुछ ही दिन बाकी रह गए हैं। दिल्ली के बाजारों में इसकी रौनक दिखने लगी है। खरीदारों की मौजूदगी से चहल-पहल अधिक हो गई है। सभी प्रमुख बाजारों में लोग ईद के लिए खरीदारी में जुट गए हैं। ईद का त्योहार नजदीक आने से लोगों का उत्साह भी बढ़ने लगा है। इससे जुड़ी हर जरूरी चीज की खरीदारी में लोग व्यस्त हो गए हैं। रोजा-इफ्तार से जुड़े सामानों के साथ लोग अब त्योहार के लिए कपड़े, आभूषण व अन्य महत्वपूर्ण सामानों की खरीदारी करने लगे है।ईद का त्योहार नजदीक आने से लोगों का उत्साह भी बढ़ने लगा है। इससे जुड़ी हर जरूरी चीज की खरीदारी में लोग व्यस्त हो गए हैं। जामा मस्जिद, तुर्कमान गेट, उर्दू बाजार, सदर बाजार, दिल्ली गेट सहित अन्य इलाकों में खरीदार अधिक संख्या में दिखाई देने लगे हैं।
जामा मस्जिद, तुर्कमान गेट, उर्दू बाजार, सदर बाजार, दिल्ली गेट सहित अन्य इलाकों में खरीदार अधिक संख्या में दिखाई देने लगे हैं। इस मौके पर रोजेदारों का उत्साह देखते ही बन रहा है। इस पाक महीने में लोग तरह-तरह के पकवान, सेवइयां, खजूर के अलावा अगरबत्ती, टोपियां और स्कार्फ की खरीदारी कर रहे हैं।
इस खास मौके पर लोग इत्र की भी खरीदारी करना पसंद करते हैं। ऐसे में बाजारों में मिलने वाले मनमोहक इत्र लोगों को लुभा रहे हैं। जामा मस्जिद में खजूर के विक्रेता सलीम ने बताया कि खजूर की बिक्री काफी हो रही है, क्योंकि यही वह सबसे खास चीज है, जिसे खाकर लोग रोजा खोलते हैं। वहीं, दूसरी ओर इस खास मौके पर पकौड़ों की भी खूब मांग होती है। दुकानदार शायरा ने बताया कि रमजान के दिनों में शाम को इसे लोग सबसे ज्यादा खरीदते हैं, क्योंकि इफ्तार में पकौड़े खाने का रिवाज है।
शृंगार की दुकानों पर महिलाओं की भीड़
ईद के त्योहार पर सबसे ज्यादा युवाओं को एक से बढ़कर एक वेरायटी में मौजूद कुर्ता पायजामा खूब लुभा रहा है। गर्मी से निजात पाने के लिए ज्यादातर लोग सूती पायजामा-कुर्ता व टोपी की खरीदारी कर रहे हैं। सूट, साड़िया व श्रृंगार की दुकानों पर महिलाओं व युवतियों की अच्छी खासी भीड़ देखने को मिल रही है। रेडीमेड कपड़ों के विक्रेता अली ने बताया कि पठानी कुर्ते की मांग काफी अच्छी देखी जा रही है, लेकिन लखनवी कुर्ता भी किसी से कम नहीं है। युवतियों में लखनवी सलवार सूट का क्रेज बढ़ा है। बाजार में 100 से 900 रुपये तक का कुर्ता व 100 से 300 रुपये तक का पायजामा उपलब्ध है। इन दिनों लोगों को लखनवी चिकन के कुर्ता-पजामा के अलावा पाकिस्तानी डिजाइन के कुर्ते खूब पसंद आ रहे हैं। इसकी कीमत 1000 से लेकर 2000 रुपये तक है। वहीं, लखनवी चिकन कुर्ता-पजामा की कीमत 1000 से लेकर 2500 रुपये तक है।
ब्रांडेड इत्र की बढ़ी मांग
ईद की बात बिना खुशबूदार इत्र के अधूरी है। बाजार में इत्र की कई किस्में हैं। शमामा, मोतिया, रूह खस, चंपा, मोगरा, रात की रानी, चमेली आदि है। बाजार में 30 से लेकर 100 रुपये तक की इत्र उपलब्ध है। इत्र बेचने वाले दुकानदार मोहम्मद आलम का कहना है कि महंगाई के बावजूद गिल, चंपा, मोगरा इत्र की जबरदस्त मांग है। अब बाजार में आर्टिफिशियल इत्र भी आ चुका है। इसके खरीदारों की तादाद भी कम नहीं है। इसकी खुशबू पुराने इत्र के मुकाबले कहीं नहीं ठहरती है। वहीं, शाहनवाज ने बताया कि ईद का पर्व करीब होने के साथ इत्र की बिक्री बढ़ी है। दुकानदारों की मानें तो ब्रांडेड की ज्यादा मांग है।
TMC नेता डेरेक ओ’ब्रायन ने हिरासत में लिए जाने पर कहा, “…हम अपना शांतिपूर्ण धरना जारी रखेंगे… यह तानाशाही है लेकिन हम TMC से हैं और हम लड़ेंगे।”
दिल्ली शराब घोटाला: कल हाई कोर्ट सुनाएगा केजरीवाल की याचिका पर फैसला
दिल्ली हाई कोर्ट मंगलवार को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की उस याचिका पर फैसला सुनाएगा, जिसमें उन्होंने आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अपनी गिरफ्तारी और ED रिमांड को चुनौती दी है।
दिल्ली पुलिस ने दिल्ली में चुनाव आयोग कार्यालय के बाहर धरने पर बैठे TMC नेताओं को हिरासत में लिया।
कविता को अंतरिम जमानत देने से कोर्ट का इनकार
दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को कथित शराब नीति घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में भारत राष्ट्र समिति की एमएलसी के. कविता को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया। उन्होंने अपने बेटे की परीक्षा के आधार पर अंतरिम जमानत के लिए आवेदन दिया था। कविता पर 100 करोड़ रुपये की रिश्वत में सक्रिय रूप से शामिल होने का आरोप है। वो 9 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में हैं। राउज एवेन्यू कोर्ट की विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने सोमवार को उनकी याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि उन्हें अंतरिम जमानत देने का यह सही समय नहीं है। पिछले हफ्ते, उन्होंने तिहाड़ जेल में पूछताछ करने और बयान दर्ज करने की मांग की सीबीआई याचिका का विरोध किया था और अदालत का रुख किया था। अदालत ने 5 अप्रैल को सीबीआई को तिहाड़ जेल में कविता से पूछताछ करने की अनुमति दी थी। कविता की याचिका पर जवाब देने के लिए सीबीआई द्वारा समय मांगे जाने के बाद अदालत अब इस मामले की सुनवाई 10 अप्रैल को करेगी।