चुनाव आयोग ने प्रधानमंत्री मोदी, राहुल गांधी के खिलाफ आचार संहिता उल्लंघन के आरोपों को भाजपा, कांग्रेस प्रमुखों के साथ साझा किया, इस पर 29 अप्रैल तक जवाब मांगा। उधर लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण से पहले जम्मू में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई गई।आज लोकतंत्र के महापर्व का दूसरा चरण, 13 राज्यों की 88 सीटों पर पड़ेंगें वोट भाजपा में शामिल होने के बाद यूट्यूबर मनीष कश्यप ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा से मुलाकात की। वहीं बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल ने अपनी मां के साथ पुरी के जगन्नाथ मंदिर में दर्शन किए।
दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक महोत्सव की शुरुआत 19 अप्रैल को हो गई थी। आज इस महोत्सव का दूसरा चरण है। दूसरे चरण में 13 राज्यों के मतदाता 88 सीटों पर उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेंगे। जिन 88 सीटों पर इस चरण में मतदान होगा उनमें आधी से अधिक सीटें यानी 52 भाजपा के पास थीं, वहीं कांग्रेस के पास 22 सीटें हैं।
13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 88 सीटों के लिए सुबह 7 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक मतदान होगा । हालांकि, चुनाव आयोग ने यह भी कहा है कि मतदान बंद होने का समय संसदीय क्षेत्र के अनुसार अलग हो सकता है। बिहार में बांका, मधेपुरा, खगड़िया और मुंगेर निर्वाचन क्षेत्रों के कई मतदान केंद्रों पर गर्मी को देखते हुए मतदाताओं की सुविधा के लिए मतदान का समय बदल दिया गया है।
ये दिग्गज हैं चुनावी मैदान में
दूसरे चरण में भाजपा की ओर से हेमा मालिनी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत व राजीव चंद्रशेखर, अरुण गोविल, कांग्रेस के राहुल गांधी, भूपेश बघेल, केसी वेणुगोपाल, शशि थरूर जैसे दिग्गज चुनाव मैदान में हैं। पहले चरण में 102 सीटों पर मतदान हुआ था।
इन सीटों पर होगा मतदान
दूसरे चरण में केरल की सभी 20, कर्नाटक की 14, राजस्थान की 13, महाराष्ट्र व उत्तर प्रदेश में 8-8, एमपी में 6, असम-बिहार में 5-5, छत्तीसगढ़ व बंगाल में 3-3 व मणिपुर, त्रिपुरा व जम्मू-कश्मीर में एक-एक सीटों पर वोट डाले जाएंगे।
राज्य | सीटें | उम्मीदवार |
असम | 5 | 61 |
बिहार | 5 | 50 |
छत्तीसगढ़ | 3 | 41 |
जम्मू कश्मीर | 1 | 22 |
कर्नाटक | 14 | 247 |
केरल | 20 | 194 |
मध्य प्रदेश | 6 | 80 |
महाराष्ट्र | 8 | 204 |
मणिपुर | 1 | 4 |
राजस्थान | 13 | 152 |
त्रिपुरा | 1 | 9 |
उत्तर प्रदेश | 8 | 91 |
पश्चिम बंगाल | 3 | 47 |
बलूचियों पर पाकिस्तानी हुकूमत के जुल्म
पाकिस्तान में जहां एक तरफ लोग ईद मना रहे थे, वहीं बलूच समुदाय के लोग सड़कों पर पाकिस्तानी सरकार व सेना के अत्याचारों के खिलाफ देश भर में प्रदर्शन कर रहे थे। उनका विरोध पाकिस्तान से आजादी पाने और लापता बलूचियों की तलाश की मांग को लेकर था। दरअसल इन लोगों को पाकिस्तानी सेना ने गायब करवाया था और आज तक पता नहीं चल सका है कि वे जिंदा हैं, या नहीं। मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन होने के कारण दुनिया भर में इसकी निंदा हो रही है।
विभाजन के समय बलूचिस्तान पाकिस्तान में शामिल नहीं होना चाहता था, लेकिन पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना के दबाव में उसे शामिल होना पड़ा। उस समय बलूच नेता कलात खान के संरक्षण में आजादी हासिल करने के लिए आंदोलन जारी था, जो बाद में और तेज हो गया। इसलिए बलूच राष्ट्रवादियों को पाकिस्तानी सरकार व सेना विद्रोही कहती है। उनकी नाराजगी पाकिस्तानी हुकूमत और सेना द्वारा ढाए जा रहे जुल्मों के कारण लगातार बढ़ती जा रही है। माना जा रहा है कि जब तक सेना और आईएसआई बलूचिस्तान पर अत्याचार बंद नहीं करती, उनमें पाकिस्तान से अलग होने की भावना खत्म नहीं होगी। अब तो उनकी आजादी की मांग अमेरिका और अन्य देशों तक पहुंच गई है। सरकार के अत्याचार से तंग आकर सैकड़ों बलूची पलायन करके विदेशों में बस गए हैं। वे रोज प्रदर्शन करके विश्व समुदाय का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर हस्तक्षेप करने की उम्मीद कर रहे हैं।
इमरान खान की सरकार के समय से बलूचिस्तान के हालात और ज्यादा खराब हुए हैं। अब फौज के समर्थन से बनी गठबंधन सरकार इस तरफ कोई ध्यान नहीं दे रही है। वह बलूचियों पर अत्याचार कर रही है।
बलूचियों के लापता होने के पीछे खुफिया एजेंसी का हाथ बताया जा रहा है। जो लोग लापता बलूचियों की तलाश करने की मांग करते हैं, उनकी हत्या कर दी जाती है। लगभग 25,000 से अधिक बलूचियों का अपहरण हुआ है और उनमें से ढाई हजार से अधिक लोगों के गोलियों से छलनी व अत्याचारों के प्रमाण देने वाले शव बरामद हुए हैं। अब बाकियों की तलाश की मांग जारी है। ईद के अवसर पर हुए प्रदर्शन में सैकड़ों महिलाएं और बच्चे अपने लापता परिजनों की तस्वीरें लेकर शामिल हुए थे। मगर मौजूदा पाक सरकार व सेना उनकी कोई मदद नहीं कर रही है, बल्कि अब भी बलूचियों को जबरन गायब करने का सिलसिला जारी है। क्षेत्रफल के हिसाब से बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है। यहां करीब एक करोड़ लोगों की आबादी है। प्राकृतिक संसाधनों के लिहाज से यह बाकी पाकिस्तान से ज्यादा समृद्ध है। पाकिस्तान के संविधान के अनुसार, बलूचिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों पर केंद्र और दूसरे प्रांतों का अधिकार कायम है, जबकि संसाधनों पर केवल बलूचियों को अधिकार मिलना चाहिए था। इस प्रांत में जो गैस पैदा की जाती है, उसकी आपूर्ति सारे पाकिस्तान में होती है और बलूचिस्तान को बहुत कम रॉयल्टी मिलती है। बलूची लोग चाहते हैं कि वहां से फ्रंटियर कोर की वापसी हो और उन पर लगाए गए मुकदमे वापस लिए जाएं।
बलूचियों को इस बात का भी मलाल है कि ग्वादर बंदरगाह पर उन्हें काम देने के बजाय चीनियों को काम दे दिया गया है। जबकि बंदरगाह के निर्माण के समय उनसे वादा किया गया था कि बलूचियों को काम दिया जाएगा। चीन आर्थिक गलियारों को ग्वादर बंदरगाह से जोड़कर इस क्षेत्र को अपनी कॉलोनी बनाना चाहता है। हाल ही में पांच चीनी इंजीनियरों की हत्या हुई और उसके लिए बलूचियों को जिम्मेदार ठहराया गया है। इन इंजीनियरों की हत्या के संदर्भ में पाकिस्तान चीन के आगे बेबस है।
पाकिस्तान भारत पर अक्सर आरोप लगाता रहता है कि भारत बलूचियों को भड़काता है। लेकिन यह पाकिस्तान का बहुत बड़ा झूठा है। भारत इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं करना चाहता। ऐसे कई मौके आए हैं, जब विदेश में रह रहे बलूचियों ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद मांगी, ताकि पाकिस्तान से उन्हें छुटकारा मिल सके। जिस तरह पाकिस्तान कश्मीर का मसला अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाता रहता है, भारत को भी बलूचियों पर ढाए जा रहे जुल्मों के मसले को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाना चाहिए। इससे कश्मीर के बारे में दुष्प्रचार करने वाले पाकिस्तान का असली चेहरा बेनकाब हो जाएगा।
दिल्ली के मेयर और डिप्टी कर्नाटक में आज दूसरे चरण के मतदान से पहले रामनगर जिले के केथागनहल्ली गांव में मतदान केंद्र को गुब्बारों और गुलाबी बैनरों से सजाया गया। बूथ संख्या 236 बेंगलुरु ग्रामीण संसद क्षेत्र के अंतर्गत आता है। कर्नाटक में दो चरणों में 18वीं लोकसभा का चुनाव होने जा रहा है। आम चुनाव के दूसरे और तीसरे चरण में मतदान के दो चरण 26 अप्रैल और 7 मई को होने वाले हैं।मेयर का निर्धारित चुनाव स्थगित कर दिया गया है। एमसीडी सचिव की ओर से जारी नोटिस में लिखा गया, “चूंकि डीएमसी अधिनियम, 1957 (संशोधित 2022) की धारा 77 (ए) के अनुसार पीठासीन अधिकारी का नामांकन अनिवार्य है। इसलिए तय समय पर मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव कराना संभव नहीं हो सकेगा”
उत्तर प्रदेश के बरेली में विशाल जनसभा को संबोधित करते पीएम मोदी ने कहा, “मैं यूपी के ओबीसी समाज को गारंटी दे रहा हूं कि मैं आपके आरक्षण का अधिकार सपा और कांग्रेस को छीनने नहीं दूंगा… ये मोदी की गारंटी है। कांग्रेस और सपा सिर्फ अपने परिवार के बारे में सोचती है… इनको जनता से कोई लेना-देना नहीं है।”
लोगों के प्रति कांग्रेस की मानसिकता उजागर हुई : सीएम योगी
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा की टिप्पणी पर कहा, “आम जनता के प्रति कांग्रेस की मानसिकता क्या है यह UPA सरकार के दौरान और कल फिर उजागर हुआ है। कांग्रेस के घोषणापत्र में भी यही सब इशारा था। सैम पित्रोदा ने जो कल कहा उसकी वकालत UPA सरकार में मंत्री रहे पी चिदंबरम कर चुके थे। उनकी नीयत आम जनता की संपत्ति पर है इसलिए वे विरासत टैक्स की बात कर रहे हैं और इसे वे उन लोगों को बांटेंगे जो घुसपैठिये हैं। कौन नहीं जानता कि देश के अंदर अलग-अलग भागों में जो करोड़ो संख्या में घुसपैठिए, रोहिंग्या आए हैं उसके पीछे कांग्रेस के वोट बैंक की नीति है… एक तरफ ये आम जनता पर टैक्स लादकर उन्हें तबाह करेंगे और उन लोगों को देंगे जिनका भारत से कोई संबंध नहीं है। सैम पित्रोदा ने इसी बात को उजागर किया है।
राजस्थान के सीएम गहलोत पर फोन टैपिंग के आरोप
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा ने उन पर राज्य में उनकी सरकार को ‘गिराने’ की कोशिश कर रहे उनकी पार्टी के नेताओं के फोन टैप करने का आरोप लगाया। लोकेश शर्मा का आरोप है कि मैं आज तक सबको यही बताता रहा कि मुझे वो ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया से मिलीं… लेकिन ये सच नहीं है। 16 जुलाई 2020 को कुछ ऑडियो क्लिप मीडिया के ज़रिए वायरल हो गईं क्योंकि मैंने उन्हें शेयर किया था। मीडिया मेरे फोन नंबर का उपयोग कर रहा है। उन ऑडियो में विधायकों को खरीदकर सरकार गिराने की साजिश की जा रही थी। लोकेशन ने कहा कि मैंने वही किया जो मुझे कहा गया था।
समन अनदेखी मामले में अदालत ने केजरीवाल को जवाब दाखिल करने के लिए वक्त दिया
दिल्ली की एक अदालत ने आबकारी नीति मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जारी समन को कथित तौर पर नजरअंदाज करने को लेकर एक आदेश के खिलाफ पुनर्विचार की मांग करने वाली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की दो याचिकाओं पर एजेंसी के जवाब पर प्रतिक्रिया देने के लिए आम आदमी पार्टी (आप) नेता को समय दिया है। ईडी की शिकायत पर एक मजिस्ट्रेट अदालत ने केजरीवाल को समन जारी किया था और उनके खिलाफ एक आदेश पारित किया था, जिसको चुनौती देते हुए आप नेता ने विशेष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। ईडी ने मामले में जारी समन से कथित तौर पर बचने के लिए केजरीवाल के खिलाफ मजिस्ट्रेट अदालत में शिकायत की थी। विशेष न्यायाधीश राकेश सयाल ने बुधवार को केजरीवाल की अपील पर ईडी का जवाब मिलने के बाद आप संयोजक को अपना जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया। केजरीवाल के वकीलों ने अदालत को बताया कि ईडी मामले में आप नेता को गिरफ्तार कर चुकी है और उन्हें इस बारे में अभी केजरीवाल से कोई निर्देश नहीं मिला इसलिए जवाब दाखिल करने के लिए समय चाहिए, जिसके बाद अदालत ने यह आदेश दिया। न्यायाधीश ने कहा, ‘याचिकाकर्ता के वकील का कहना है कि उन्हें ईडी द्वारा दाखिल जवाब पर प्रत्युत्तर दाखिल करना होगा। हालांकि, वे याचिकाकर्ता से निर्देश नहीं ले पाए हैं, जो न्यायिक हिरासत में है। अगली तारीख से पहले प्रत्युत्तर दाखिल किया जाए।’ अदालत अब 14 मई को याचिका पर सुनवाई करेगी।
रैली में अचानक बेहोश हो गए थे गडकरी, अब कहा- स्वस्थ हूं, स्नेह के लिए धन्यवाद
महाराष्ट्र के पुसद में चुनावी रैली के दौरान केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी अचानक बेहोश हो गए। घटना के बाद गडकरी ने बताया कि रैली के दौरान गर्मी की वजह से असहज महसूस कर रहा था। लेकिन अब पूरी तरह से स्वस्थ हूँ और अगली सभा में सम्मिलित होने के लिए वरूड के निकल रहा हूं। आपके स्नेह और शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद।
पीएम के खिलाफ साजिश करने का आरोप लगाते वक्त रहें सावधान: हाई कोर्ट
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि प्रधानमंत्री जैसी शख्सियत के खिलाफ साजिश रचना देशद्रोह के समान है। इस कारण, किसी भी व्यक्ति के खिलाफ प्रधानमंत्री के खिलाफ साजिश रचने का आरोप यूं ही नहीं लगाना चाहिए। जस्टिस जसमीत सिंह ने मौखिक टिप्पणी में कहा कि प्रधानमंत्री के खिलाफ साजिश के आरोप गैर-जिम्मेदाराना तरीके से नहीं लगाए जा सकते हैं। ठोस सबूत हों तभी ऐसे गंभीर आरोप लगाए जाएं। हाई कोर्ट की सिंगल बेंच बीजू जनता दल (बीजेडी) के सांसद और सीनियर एडवोकेट पिनाकी मिश्रा की तरफ से एडवोकेट जय अनंत देहाद्राई के खिलाफ दायर मानहानि के मुकदमे पर सुनवाई कर रही थी। मिश्रा ने देहाद्राई को उनके खिलाफ कथित तौर पर झूठे और मानहानिकारक आरोपों को प्रकाशित या प्रसारित करने से रोकने की मांग की है।