विपक्ष के संविधान बचाओ के नारे को लेकर चल रही सियासी जंग के बीच केंद्र ने आपातकाल के मुद्दे को अपना हथियार बनाया है। केंद्र सरकार ने 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ घोषित कर दिया है। केंद्र ने अपने इस फैसले को आपातकाल के खिलाफ लोकतंत्र बहाली की जंग लड़ने के दौरान अमानवीय यातना झेलने वाले लाखों लोगों का सम्मान करार दिया। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाना इस बात की याद दिलाएगा कि उस दिन क्या हुआ था और संविधान को कैसे कुचला गया था।गौरतलब है कि 1975 में इसी दिन तत्कालीन इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने देश पर आपातकाल लगाने का एलान किया था और देश में करीब 21 महीने तक आपातकाल लगा रहा था।
गृह मंत्रालय से 11 जुलाई को जारी अधिसूचना में कहा गया है कि 25 जून 1975 को आपातकाल की घोषणा की गई थी। इसके बाद उस समय की सरकार ने सत्ता का घोर दुरुपयोग किया और भारत के लोगों पर ज्यादतियां और अत्याचार किए गए। और जबकि भारत के लोगों को देश के संविधान और देश के मजबूत लोकतंत्र पर दृढ़ विश्वास है। इसलिए भारत सरकार ने आपातकाल की अवधि के दौरान सत्ता के घोर दुरुपयोग का सामना और संघर्ष करने वाले सभी लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए 25 जून को संविधान हत्या दिवस घोषित किया है और भारत के लोगों को भविष्य में, किसी भी तरह से सत्ता के घोर दुुरुपयोग का समर्थन नहीं करने के लिए पुन: प्रतिबद्ध किया है।
आपातकाल की घोर पीड़ा झेलने वाले लोगों को नमन करने का दिन’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा कि 25 जून को संविधान हत्या दिवस देशवासियों को याद दिलाएगा कि संविधान के कुचले जाने के बाद देश को कैसे-कैसे हालात से गुजरना पड़ा। यह दिन उन सभी लोगों को नमन करने का भी है, जिन्होंने आपातकाल की घोर पीड़ा झेली। देश कांग्रेस के इस दमनकारी कदम को भारतीय इतिहास के काले अध्याय के रूप में हमेशा याद रखा जाएगा।
अमित शाह ने बोले- भारतीय लोकतंत्र की आत्मा का गला घोंटा गया था
अमित शाह ने ट्वीट करते हुए लिखा, ’25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी तानाशाही मानसिकता को दर्शाते हुए देश में आपातकाल लगाकर भारतीय लोकतंत्र की आत्मा का गला घोंट दिया था। लाखों लोगों को अकारण जेल में डाल दिया गया और मीडिया की आवाज को दबा दिया गया। भारत सरकार ने हर साल 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय किया है। यह दिन उन सभी लोगों के विराट योगदान का स्मरण करायेगा, जिन्होंने 1975 के आपातकाल के अमानवीय दर्द को झेला था।’
उन्होंने आगे लिखा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार द्वारा लिए गए इस निर्णय का उद्देश्य उन लाखों लोगों के संघर्ष का सम्मान करना है, जिन्होंने तानाशाही सरकार की असंख्य यातनाओं व उत्पीड़न का सामना करने के बावजूद लोकतंत्र को पुनर्जीवित करने के लिए संघर्ष किया। ‘संविधान हत्या दिवस’ हर भारतीय के अंदर लोकतंत्र की रक्षा और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की अमर ज्योति को जीवित रखने का काम करेगा, ताकि कांग्रेस जैसी कोई भी तानाशाही मानसिकता भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति न कर पाए।’
सरकार के इस फैसले को विपक्ष के लोकसभा चुनाव और उसके बाद मोदी सरकार की ओर से संविधान खत्म करने की बनाई जा रही धारणा का जवाब माना जा रहा है। कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन ने मोदी सरकार के तीसरी बार सत्ता में आने पर संविधान और आरक्षण खत्म करने के लगातार आरोप लगाए गए। इन आरोपों के चलते भाजपा को चुनाव में काफी नुकसान उठाना पड़ा।
केंद्र सरकार ने 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में घोषित किया है। इसे लेकर अधिसूचना भी जारी की गई है। अधिसूचना में केंद्र सरकार ने कहा है, ‘25 जून, 1975 को देश में आपातकाल लगाया गया था, ऐसे में अब भारत सरकार ने हर वर्ष 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय किया है। यह दिन, उन सभी लोगों के विराट योगदान का स्मरण कराएगा, जिन्होंने 1975 के आपातकाल के अमानवीय दर्द को झेला था।’ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस संबंध में ट्वीट भी किया है। अब इसे लेकर राजनेताओं की अलग अलग प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। एक तरफ विपक्षी गठबंधन ने सरकार पर बेवजह सुर्खियां बटोरने का आरोप लगाया है तो दूसरी तरफ सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं ने कांग्रेस पर निशाना साधा है।
लोकतंत्र की हत्या कर देश पर ‘आपातकाल’ थोपा था- जेपी नड्डा
केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा, ‘25 जून 1975, वह काला दिवस था जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के तानाशाही मानसिकता ने हमारे संविधान में निहित लोकतंत्र की हत्या कर देश पर आपातकाल थोपा था। केंद्र सरकार ने प्रत्येक वर्ष 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। यह दिवस हमारे सभी महापुरूषों के त्याग व बलिदान का स्मरण कराएगा, जो संविधान की रक्षा व लोकतंत्र की पुनर्स्थापना के लिए यातनाएं सहकर दिवंगत हो गए। मैं पीएम मोदी का आभार प्रकट करता हूं।’
‘कांग्रेस ने संविधान की हत्या करने की कोशिश की’
केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, ‘25 जून 1975, वह काला दिवस था जब देश के लोकतंत्र की हत्या करने की कोशिश की गई। देश की जनता को इसे भूलना नहीं चाहिए। कांग्रेस ने संविधान की हत्या की कोशिश कर बड़ा गुनाह किया है। देश की अगली पीढ़ी उस समय को ना भूले, इसलिए संविधान हत्या दिवस मनाया जाए। स्कूलों और कॉलेजों में भी भारत के संविधान के महत्व को साथ साथ आपातकाल के बारे में भी बताया जाएगा।’
पीएम मोदी ने बेवजह सुर्खियां बटोरने का काम किया- जयराम रमेश
कांग्रेस नेता जयराम रमेश का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार फिर से बेवजह सुर्खियां बटोरने का काम किया है। उन्होंने कहा,‘प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले 10 वर्षों से देश में अप्रत्यक्ष आपातकाल लगाया हुआ है। 4 जून 2024 को देश की जनता ने उन्हें नैतिक रूप से हार का रास्ता दिखाया और उस दिन को मोदी मुक्त दिवस के रूप में मनाया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने देश के संविधान और इसके सिद्धातों को अपने अधीन कर दिया है। उनके लिए डेमोक्रेसी (जनतंत्र) का मतलब डेमो-कुर्सी हो गया है।’
आम आदमी पार्टी का पीएम मोदी पर निशाना
उधर आम आदमी पार्टी नेता प्रियंका कक्कड़ ने आरोप लगाया है कि भाजपा ने वर्ष 2014 से लगातार हर दिन संविधान की हत्या की है। आम आदमी पार्टी नेता ने कहा,‘चंडीगढ़ के महापौर पद के चुनाव में अनिल मासी ने संविधान की हत्या की, संविधान की हत्या तब की गई जब भाजपा चुनावी बॉन्ड लेकर आई।’
देश के लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश- कुणाल घोष
तृणमूल कांग्रेस नेता कुणाल घोष ने कहा, ‘आपातकाल की आलोचना हो चुकी है। एक बार इंदिरा गांधी हार चुकीं थीं और फिर से सत्ता में लौटकर वापसी की। इतने वर्ष के बाद भाजपा जानबूझकर इस मुद्दे को जनता के बीच ला रही है। देश का बुरा हाल है और केंद्र सरकार जन विरोधी नीतियों से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए इस पुराने कार्ड को खेलने की कोशिश कर रही है।’
‘पीएम मोदी का कार्यकाल संविधान हत्या युग के रूप में मनाएं’
कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा, ‘महंगाई से, बेरोजगारी से, हर तरफ असफलता से, चीन का हमारी सीमा पर अतिक्रमण से ध्यान हटाने के लिए संविधान हत्या दिवस विरोधी दिवस मनाया जा रहा है। जिस दिन आपात काल लगा था, उसके बाद से बहुत से चुनाव हो चुके हैं। जिस दिन से पीएम मोदी ने सत्ता संभाली है, उस दिन से हर दिन संविधान की हत्या हो रही है। मैं समझता हूं कि पीएम मोदी का कार्यकाल संविधान हत्या युग के रूप में जाना जाए।’