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 41 कंपनियों पर केंद्रीय एजेंसियों की जांच,18 कंपनियों ने खरीदे 2010 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड

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प्रतीक गोयल

न्यूज़लॉन्ड्री और द न्यूज़ मिनट की रिपोर्ट में 30 कंपनियों द्वारा केंद्रीय एजेंसियों की जांच का सामना करने और भाजपा को चंदा देने की बात सामने आई थी. हाल ही में भी हमें 11 और कंपनियों के बारे में पता लगा था.  

इसी बीच चुनाव आयोग ने 14 मार्च को इलेक्टोल बॉन्ड्स का डाटा जारी कर दिया है. इस डाटा में 18 कंपनियां ऐसी हैं, जिनके बारे में हम पहले भी रिपोर्ट कर चुके हैं. अब पता चला है कि इन 18 कंपनियों ने 2010.5 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड भी खरीदे थे. यह आंकड़ा हमारी पड़ताल में सामने आई कुल 41 कंपनियों द्वारा अन्य माध्यमों से दिए गए चंदे से करीब 5 गुणा ज्यादा है.  

आइए इन कंपनियों पर एक नजर डालते हैंः

फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज पीआर 

यह कंपनी स्वघोषित ‘लॉटरी किंग’ सेंटिआगो मार्टिन की है. मार्टिन के खिलाफ कई आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं. न्यूज़लॉन्ड्री और द न्यूज़ मिनट ने पहले यह बात उजागर की थी कि 2019 में आयकार विभाग की कार्रवाई के बाद 2020-21 में 100 करोड़ रुपये देकर यह कंपनी प्रूडेंट इलेक्टोरल फंड की सबसे बड़ी दानकर्ता के रूप में सामने आई. 

अब ये बात भी सामने आई है कि इस कंपनी ने सबको पीछे छोड़ते हुए 21 अक्टूबर 2020 से 9 जनवरी 2024 तक 1368 करोड़ रुपये के बॉन्ड्स खरीदे थे.  

यशोदा हॉस्पिटल्स 

हैदराबाद-आधारित यशोदा ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स ने 4 अक्टूबर 2021 से 11 अक्टूबर 2023 के बीच 162 करोड़ रुपये के बॉन्ड्स खरीदे थे. इससे पहले हमने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि 2020 में इस कंपनी पर जांच हुई थी. जिसके बाद इसने भाजपा को चंदा देना शुरू किया था. 

आईआरबी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपर्स 

आईआरबी मुंबई आधारित इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी है. जिसे विरेंद्र डी. म्हैस्कर चलाते हैं. 2015 में इस कंपनी के पुणे और मुंबई दफ्तर पर सीबीआई ने छापे मारे थे. 2014 से 2023 तक इसने और इसकी सहायक कंपनियों- मॉडर्न रोड मेकर्स और आइडियल रोड बिल्डर्स ने भाजपा को 84 करोड़ रुपये का चंदा दिया. 

कल आई जानकारी के मुताबिक, आईआरबी की तीन शाखाओं- मॉडर्न रोड बिल्डर्स, आईआरबी एमपी एक्सप्रेसवे और आइडियल रोड बिल्डर्स ने मिलकर 84 करोड़ के बॉन्ड्स भी खरीदे थे. जहां मॉडर्न रोड बिल्डर्स ने 16 अप्रैल 2019 से 3 जुलाई 2023 के दौरान 53 करोड़ के बॉन्ड्स खरीदे. वहीं, आईआरबी एमपी एक्सप्रेसवे ने 4 जुलाई 2023 को 25 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड् खरीदे. आइडियल रोड बिल्डर्स ने 4 अक्टूबर 2023 को 6 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड्स खरीदे थे. 

सोम डिस्टीलरीज  

मध्य प्रदेश की कंपनी सोम डिस्टिलरीज एजेंसियों की छापेमारी के बाद भाजपा को चंदा देने में सबसे तेज कंपनियों में से एक रही. हमारी पड़ताल के मुताबिक, इस कंपनी ने अपने प्रमोटर्स के छूटने के 10 दिन बाद ही चंदा दे दिया था. अब यह जानकारी सामने आई है कि इस कंपनी ने 2023 में 3 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे. जिनमें 12 जुलाई 2023 को 1 करोड़ और 10 अक्टूबर 2023 को 2 करोड़ के बॉन्ड्स शामिल थे.

श्री सीमेंट्स

कुल 7.5 करोड़ रुपये का चंदा देने वाली यह कंपनी कोलकाता की है. इसने 8 मई 2019 को 1.5 करोड़ रुपये, 21 जनवरी 2020 को 4 करोड़ रुपये और 21 अक्टूबर 2020 को 2 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे. उल्लेखनीय है कि ‘बांगुर श्री’ के नाम से 21 जनवरी, 2020 को 40 लाख रुपये के बॉन्ड खरीदने का भी जिक्र है.  

हमने पहले बताया था कि श्री सीमेंट्स ने 2020-21 और 2021-22 में खुद पर चल रही केंद्रीय एजेंसी की जांच के दौरान ही भाजपा को 12 करोड़ का चंदा दिया था. 

हेटेरो ग्रुप 

हैदराबाद स्थित यह दवा कंपनी बी पार्था सारदी रेड्डी की है. रेड्डी, भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) पार्टी के राज्यसभा सांसद हैं. वह देश के सबसे अमीर सांसद भी हैं. हमारी 30 कंपनियों की सूची में भी इस हेटेरो ग्रुप का नाम आया था. जो केंद्रीय जांच एजेंसियों की जांच का सामना कर रहीं थीं.  

इस ग्रुप की तीन कंपनियों- हेटेरो ड्रग्स, हेटेरो लैब्स और हेटेरो बायोफार्मा ने 7 अप्रैल 2022 से 12 अक्टूबर 2023 के बीच 60 करोड़ रुपये के बॉन्ड्स खरीदे थे. 

यूएसवी प्राइवेट लिमिटेड 

मुंबई स्थित इस स्वास्थ्य-सेवा कंपनी को लीना गांधी तिवारी चलाती हैं. वे भारत की दूसरी सबसे अमीर महिला हैं. उनके 20 कार्यस्थलों पर आयकर विभाग ने छापे मारे थे. जिसके एक महीने बाद उन्होंने भाजपा को 9 करोड़ रुपये दान में दिए.  

कल आई जानकारी के मुताबिक, यूएसवी लिमिटेड ने 15 नवंबर 2022 को 10 करोड़ के चुनावी बॉन्ड्स खरीदे थे. 

चेन्नई ग्रीन वुड्स प्राइवेट लिमिटेड 

चेन्नई ग्रीन वुड्स प्राइवेट लिमिटेड एक निर्माण कंपनी है. यह रामकी ग्रुप का हिस्सा है. जिसके चेयरमैन वाईएसआरसीपी पार्टी के राज्यसभा सांसद अयोध्या रामी रेड्डी हैं. केंद्रीय जांच एजेंसियों के द्वारा जांच के दौरान इस कंपनी ने भाजपा को 2022-23 में 1 करोड़ रुपये का चंदा दिया.  

इसके अलावा 5 जनवरी 2022 से 12 अक्टूबर 2023 के बीच इस कंपनी ने 105 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड्स खरीदे थे.  

अरबिंदो फार्मा 

हैदराबाद आधारित यह दवा कंपनी अरबिंदो रियल्टी एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड की भी मालिक है. ईडी ने इसके निदेशक सरथ रेड्डी को दिल्ली शराब घोटाले से कथित संबंध के लिए नवंबर 2022 में गिरफ्तार किया था. 3 अप्रैल 2021 से 8 नवंबर 2023 में कंपनी ने 52 करोड़ के बॉन्ड्स खरीदे थे.  

एसपीएमएल ओम मेटल जे. वी. 

यह कंपनी ओम कोठारी ग्रुप की है. जिसका बिजनेस हाईड्रो पावर, रियल एस्टेट, ऑटो डीलरशिप, होटल और एंटरटेनमेंट क्षेत्र तक फैला है. जुलाई 2020 में कर अधिकारियों ने इसके कार्यस्थलों की तफ्तीश की थी. इसके बाद 2021-22 में में इसने भाजपा को 5 करोड़ का चंदा दिया था. इसके अलावा इसने 4 अक्टूबर, 2021 को 5 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड्स भी खरीदे थे. 

माइक्रो लैब्स

डोलो-650 बनाने वाली माइक्रो लैब्स ने 10 अक्टूबर 2022 से 9 अक्टूबर 2023 तक 16 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड्स खरीदे थे. यह कंपनी बेंगलुरु में स्थित है. दिलीप और आनंद सुराणा इसके मालिक हैं. 

कुछ समय पहले न्यूज़लॉन्ड्री और द न्यूज़ मिनट ने पाया था कि माइक्रो लैब्स ने भाजपा को 2017-18 में 21 लाख, 2019-20 में 50 लाख और 2022-23 में 2 करोड़ का चंदा दिया था. केंद्रीय एजेंसियों ने इसके 40 ठिकानों पर छापेमारी की थी.   

रामको सीमेंट्स 

तमिलनाडु आधारित रामको ग्रुप एक प्रमुख सीमेंट कंपनी है. कई बार इस कंपनी को भी छापेमारी का सामना करना पड़ा है. इसकी तरफ से भी भाजपा को चंदा देने की बात सामने आई थी.

नई जानकारी के अनुसार, इसने 10 अक्टूबर 2022 से 15 नवंबर 2023 के बीच 54 करोड़ के चुनावी बॉन्ड्स खरीदे थे.

केजेएस ग्रुप 

मध्य प्रदेश आधारित केजेएस सीमेंट्स के मालिक कमलजीत सिंह आहलूवालिया हैं. इसने 20 अप्रैल 2019 और 9 मई 2019 के दौरान 14 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड्स खरीदे. इस कंपनी का नाम हमारी पिछली रिपोर्ट में भी शामिल था. 

त्रिवेणी अर्थ मूवर्स 

त्रिवेणी अर्थ मूवर्स एक माइन डेवलपर कंपनी है. इसका मुख्यालय सालेम में है. इसके मालिक बी प्रभाकरण हैं. कंपनी ने भाजपा को 2014-15 में 89.99 लाख, 2016-17 में 20 लाख और 6 जुलाई 2017 को 3 करोड़ का दान दिया था.  

हालिया जानकारी के आधार पर पता चलता है कि त्रिवेणी अर्थ मूवर्स और उसकी सहायक कंपनी त्रिवेणी सैनिक माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड ने 9 अप्रैल 2021 से 13 अक्टूबर 2023 तक 11 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड्स खरीदे थे.  

ट्राइडेंट लिमिटेड 

कंपनी के मालिक पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित राजेंदर गुप्ता हैं. कंपनी ने 5 और 6 अक्टूबर 2023 को 7 करोड़ के चुनावी बॉन्ड खरीदे. इससे पहले कंपनी ने वित्त वर्ष 2021-22 में भाजपा को 4.10 करोड़ रुपयों का दान भी दिया था.  

कैपेसाइट इंफ्रा प्रोजेक्ट्स 

मुंबई आधारित इस इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी ने 6 अप्रैल से 12 अप्रैल 2023 के बीच 7 करोड़ के बॉन्ड्स खरीदे. राहुल कत्याल इसके मालिक हैं. 

न्यूज़लॉन्ड्री ने पहले भी जानकारी दी थी कि इस कंपनी पर अगस्त 2019 में कर विभाग के छापे पड़ने के बाद अक्टूबर 2019 में इसने भाजपा को 5 करोड़ का दान दिया था. वित्त वर्ष 2022-23 में इसने भाजपा को 1 करोड़ रुपये भी दिए थे. 

आईलैब्स टेक्नोलॉजी सेंटर प्राइवेट लिमिटेड 

हैदराबाद स्थित इस निवेश कंपनी को श्रीनिवासराजू चिंतलापति, कृष्णा प्रसाद तुमुलुरी, श्रीनिवास तल्लाप्रगदा, दुद्दूकुरी वेंकट धनुमजय राव चलाते हैं. इसने 10 अप्रैल 2023 को 5 करोड़ के चुनावी बॉन्ड्स खरीदे.  इससे पहले मई 2019 में भी कंपनी ने भाजपा को 5 करोड़ रुपयों का दान दिया था. 

एल्केम लैबोरेट्रीज 

यह देश की एक प्रमुख दवा कंपनियों में शामिल है. संप्रदा सिंह और बीएन सिंह ने साल 1973 में इसकी शुरुआत की थी. इसका पहला संयंत्र नवी मुंबई के पास तलोजा में स्थापित किया गया. इसने भाजपा को 2020-21 में 1 करोड़ और 2022-23 में 25 लाख रुपयों का दान दिया. सितंबर 2023 में कर विभाग ने कंपनी पर छापे मारे थे. इसी साल फरवरी में इस पर फर्जी लेनदेन और कर चोरी के आरोप लगे.  

जानकारी मिली है कि कंपनी ने 14 नवंबर 2022 को 15 करोड़ के चुनावी बॉन्ड्स भी खरीदे. 

गौरतलब है कि न्यूज़लॉन्ड्री ने पहले ही केंद्रीय एजेंसी की कार्रवाई और पिछले पांच वित्तीय वर्षों के दौरान 30 कंपनियों द्वारा भाजपा को 335 करोड़ रुपये के दान के बीच एक स्पष्ट पैटर्न पर रिपोर्ट की थी. 

इसके बाद हमें 11 कंपनियां और मिलीं, जिन्होंने 2016-17 से 2022-23 तक भाजपा को 62.27 करोड़ रुपये का चंदा दिया और इसी अवधि के दौरान उन्हें केंद्रीय एजेंसी की कार्रवाई का सामना करना पड़ा. 

देश के सबसे बड़े बैंक को देश की सबसे बड़ी अदालत से फटकार पड़ी है.. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया. एसबीआई ने इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी देने के लिए 30 जून तक का समय बढ़ाने की मांग की थी. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने करीब 40 मिनट में ही फैसला सुना दिया. सुप्रीम कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि बैंक 12 मार्च तक सारी जानकारी चुनाव आयोग को सौंपे और चुनाव आयोग सारी जानकारी को इकट्ठा कर 15 मार्च शाम 5 बजे तक इसे सार्वजनिक करे. 

तो 11 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में हुई इस त्वरित सुनवाई में एसबीआई की मुख्य दलीलें क्या थी. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें किस आधार पर खारिज किया और क्यों तय अवधि से दो दिन पहले 4 मार्च को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. 

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