~ सुधा सिंह
इसमें कोई दोराय नहीं कि बच्चों को एक अच्छा इंसान बनाने और उन्हें आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी पेरेंटस की होती हैं। मगर इस जिम्मेदारी को पूरा करने के चक्कर में माता पिता धीरे धीरे बच्चों को अधिक कन्ट्रोल करने लगते हैं।
उनकी मर्जी को तवज्जो देने की जगह पेरेंटस हर कार्य को अपने अनुसार करवाने लगते हैं।
हर समय बच्चों को टोकना और उनकी हर बात को गलत ठकराकर खुद को सही साबित करने की आदत बच्चों को इन्ट्रोवर्ट बना देती है। जो आगे चलकर कई मेंटल हेल्थ समस्याओं के शिकार बनने लगते हैं.
जर्नल ऑफ सोशल एंड क्लिनिकल साइकोलॉजी में प्रकाशित एक रिसर्च के मुताबिक हर वक्त बच्चों के व्यवहार को नियंत्रित करने का प्रयास करने वाले पेरेंटस बच्चों की मेंटल ग्रोथ का प्रभावित करते हैं। इसके चलते उनके अंदर क्रिएटिविटी स्किल्स कम होने लगते है, जो उनकी ओवरऑल ग्रोथ को नुकसान पहुंचाता है। ऐसे बच्चे ज्यादा एक्सप्रेसिव नहीं हो पाते हैं।
कन्ट्रोल्ड पेरेंटिंग के बच्चों पर होने वाले नकारात्मक प्रभाव ये हैं :
*1. चाइल्डहुड एंग्ज़ाइटी :*
पेरेंटस का नियंत्रण बच्चों की परवरिश में एक बाधा बनने लगता है। इससे बच्चों में एंग्जाइटी बढ़ने लगती हैंं। वे हर वक्त परेशान रहने लगते हैं। किसी भी काम को करने से पहले डर का अनुभव करने हैं।
माता पिता के व्यवहार में सख्ती के चलते वे धीरे धीरे अपना आत्म विश्वास खोने लगते हैं और लोगों से मिलने जुलने में भी कतराने लगते हैं।
*2. डिप्रेशन :*
बात बात पर बच्चों को टोकना और उनकी हर मर्जी को सिरे से खारिज कर देना। बच्चों के कोमल मन को चोट पहुंचाने जैसा होता है। ऐसे में बच्चे धीरे धीरे मायूस और डिप्रेस रहने लगते हैं।
वे पेरेंटस से मन ही मन दूरी बना लेते हैं। उन्हें अन्य लोग अपने लगने लगते हैं। वे बच्चे जो इस समस्या का शिकार हाते हैं। वे अक्सर सेल्फ टॉक करते नज़र आते हैं। इसके अलावा उनकी बॉडी हर वक्त मूवमेंट करती रहती हैं। ये बच्चे मन ही मन बेहद मायूस रहने लगते हैं।
*3. पेरेंटस से बातें छुपाना :*
पेरेंटस का नकारात्मक रैवेया बच्चों को उनसे दूर करने लगता है। अब बच्चे अपनी बातों को खुलकर शेयर करने से डरने लगते हैं। यहां तक की क्लास में आने वाले कम मार्क्स भी पेरेंटस को दिखाने से कतराते हैं।
माता पिता का सहयोग और प्यास न मिल पाने के कारण बच्चे छुपकर सभी काम करना शुरू कर देते हैं। फिर चाहे कुछ खाना हो या किसी से मिलना।
*4. नर्वसनेश :*
ऐसे बच्चे हर वक्त डरे और सहमे दिखते हैं। उनसे कोई भी सवाल पूछने पर वे तुरंत उसका जवाब नहीं दे पाते हैं। देर तक सोचना और विचारना इस बात को दर्शाता है कि वे मानसिक तौर पर परेशान हैं।
माता पिता का कन्ट्रोलिंग व्यवहार बच्चों को पूरी तरह से मेंटली ग्रो नहीं होने देता है।
इन टिप्स को अपनाकर पाया जा सकता है समाधान :
*1. कहानियों के ज़रिए सीख :*
हर वक्त डांटकर बच्चों को समझाने की बजाय उन्हें ऐसी कहानियां और किस्से सुनाएं। जिससे बच्चे आपकी बात को बिना किसी परेशानी के समझ पाएं।
अगर बच्चा बार बार फोन देखने की जिद्द करता है, तो उसे फटकारने की बजाय फोन के नकारात्मक प्रभाव समझाएं। इसके अलावा खानपान की आदतों को सुधारने के लिए उन्हें पोषक तत्वों को मूल्य समझाएं। इस तरह से बच्चो आपके करीब भी आने लगता है।
*2. सरप्राइज़ प्लान :*
अगर बच्चे के मन में लंबे वक्त से किसी चीज़ को लेने की चाहत है, तो उसे डांटे या इग्नोर न करें। इससे बच्चों का मनोबल गिरने लगता है।
बच्चे के लिए अच्छ मार्क्स आने पर या आपकी मदद करने के बदले उसके लिए सरप्राइज प्लान करें और उसे वो तोहफे के तौर पर दें। इससे बच्चे को गिफ्ट की वैल्यू का एहसास होने लगेगा।
*3. आउटिंग :*
अगर आप बच्चों को अपने साथ बाहर लेकर जाते हैं, तो इससे बच्चे का मानसिक और भवनात्मक विकास होने लगता है। इससे बच्चों की पर्सनेलिटी में निखार आता है।
उन्हें अपने साथ हर वक्त बाहर लेकर जाएं। इससे बच्चों के साथ आपकी बॉडिंग बेहतर होने लगती है। वे आपको समझने लगते है और आपका ख्याल भी रखते हैं।
*4. बच्चों की राय :*
किसी भी समस्या पर डिस्कस करने के दौरान बच्चों की राय को भी जानें। इससे उनके अंदर एक आत्मविश्वास की भावना पैदा होती है।
वे हर काम में एक्टिविली पार्टिसिपेट करने लगते है, जो उनकी मेंटल ग्रोथ में सहायता प्रदान करता है।